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Amla navami 2024: आंवला नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और करें ये 5 उपाय

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Amla navami 2024 Date and Time: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर आंवला नवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इसे अक्षय नवमी, धात्री नवमी और कूष्मांड नवमी भी कहते हैं। इस शुभ अवसर पर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस बार यह पर्व 10 नवंबर 2024 रविवार के दिन रहेगा। आओ जानते हैं पूजा का मुहूर्त और 5 खास उपाय जो जीवन में लाएंगे सुख, शांति एवं समृद्धि। ALSO READ:

आंवला नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 2024:-

नवमी तिथि प्रारम्भ: 09 नवम्बर 2024 को रात्रि 10:45 बजे से।

नवमी तिथि समाप्त: 10 नवम्बर 2024 को रात्रि 09:01 बजे तक।

अक्षय नवमी पूर्वाह्न पूजा समय- प्रात: 06:40 से दोपहर 12:05 बजे तक।

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:43 से 12:27 तक।

गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:30 से 05:56 तक।

रविवार योग: सुबह 10:59 से अगले दिन सुबह 06:41 तक।

चौघड़िया: सुबह 09:22 से दोपहर 12:05 तक शुभ और अमृत।

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1. पितृ तर्पण: इस दिन पितरों का तर्पण भी करें और पितरों के निमित्त ऊनी वस्त्र और कंबल आदि का दान करें। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी।

2. मंत्र जाप: आंवले के पेड़ के के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर 'ॐ धात्र्ये नमः' मंत्र और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इससे जीवन में सुख एवं शांति बनी रहेगी।

3. भोज: इस दिन आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव में किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन भी कराएं। तत्पश्चात खुद भी परिवार सहित उसी वृक्ष के निकट बैठकर भोजन करें। इससे आरोग्य की प्राप्ति होगी। क्योंकि इस दिन आंवले के पेड़ से अमृत की वर्षा होती है। आंवला नवमी के दिन आंवले का सेवन अवश्य करना चाहिए।

4. दान: आंवला नवमी के दिन कुष्मांड का दान करना काफी शुभ माना जाता है। इसलिए आंवला नवमी के दिन कुष्मांड का दान अवश्य करें। इससे घर में संकट नहीं आते हैं और समृद्धि बनी रहती है। आंवला नवमी के दिन किसी गरीब या ब्राह्मण को दान अवश्य देना चाहिए क्योंकि इस दिन का दान अक्षय होता है। जो कभी भी समाप्त नहीं होता।

5. तुलसी को करें आवला अर्पित: आंवला नवमी के दिन तुलसी के पौधे को आंवला अवश्य अर्पित करें। ऐसा करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

6. आंवले के पौधे का रोपण: आंवला नवमी के दिन आंवले का पौधा अवश्य लगाना चाहिए। इस दिन आंवले का पौधा लगाना अत्यंत ही शुभ माना जाता है, क्योंकि इस पौधे में श्रीहरि विष्णु और शिवजी का संयुक्त निवाल रहता है। आंवले का फल एक मात्र ऐसा फल है जिसमें तुलसी और बिल्वपत्र के गुण भी समापित हैं इसलिए यह शिव और विष्णु दोनों को ही अर्पित किया जा सकता है।

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