Krishna Janmashtami
मोर मुकुट पीतम्बर धारी
तुम ब्रज के हो रसिया।
नन्द जसोदा के तुम लाला
तुम सबके मन बसिया।
बिना तुम्हारे इस दुनिया में
कोई नहीं सहारो।
मूढ़मति सब तुमने तारे
अब मुझको भी तारो।
कोई नहीं मेरा इस जग में
कृष्ण मुझे अपना लो।
सब दीनों के तुम रखवाले
सबके पालन हारी।
मैं दीनों का दीन चरण में
अब तो सुनो बिहारी।
लाख बुराई मेरे अंदर
पर तुमको है पूजा।
मात्र एक ही तुम सच्चे हो
और नहीं है दूजा।
इस भव सागर के भंवरों से
प्रभु जी मुझे निकालो।
मद से भरा हृदय है मेरा
कटु वाणी मन कपटी।
स्वार्थ सरोवर में मन डूबा
अवगुण बुद्धि लिपटी।
बीती उमर ज्ञान नहीं पाया
भव चक्कर में उलझा।
नहीं रास्ता है अब कोई
तू ही अब सब सुलझा।
दुःख भरे निर्मम कांटों से
माधव मुझे बचा लो।
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
You may also like
बिजली बिल माफ करने के एवज में जेई ने महिला से की गंदी डिमांड, विभाग में मचा हड़कंप
New Route: नोएडा से ग्रेटर नोएडा आने-जाने वालों को मिलेगा नया रूट, 10 KM का चक्कर बचेगा
EPFO New System: पेंशनर्स को 1 जनवरी से मिलेगी ये खास सुविधा, पेंशन निकालना होगा आसान
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से क्या रुक जाएगी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जारी जंग?
Pakistan: गैस चैंबर बना पाकिस्तान का मुल्तान, AQI 1914 तक पहुंचा; पाक ने भारत पर फोड़ा इसका भी ठीकरा