Earthquake : पिछले कुछ दिनों से धरती का मिजाज कुछ ठीक नहीं लग रहा। कभी म्यांमार में तबाही, तो कभी नेपाल और जापान में कंपन—भूकंप का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। हाल ही में नेपाल और जापान में आए भूकंप ने लोगों के दिलों में फिर से डर पैदा कर दिया है। वहीं, फिजी में भी धरती के हिलने की खबर ने दुनिया का ध्यान खींचा है। आइए, जानते हैं कि आखिर क्या हो रहा है और क्यों पृथ्वी बार-बार हिल रही है।
नेपाल में सुबह-सुबह डोली धरती
नेपाल, हमारा प्यारा पड़ोसी देश, जहां की खूबसूरती और शांति हर किसी को लुभाती है, वहां आज तड़के सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 दर्ज की गई। भूकंप का केंद्र धरती से करीब 25 किलोमीटर नीचे था, जिसके कारण झटके हल्के लेकिन डरावने लगे।
लोग नींद में थे, जब अचानक उनके बिस्तर हिलने लगे। डर के मारे कई लोग घरों से बाहर निकल आए। सड़कों पर सन्नाटा था, लेकिन हर चेहरे पर एक अनजाना डर साफ दिख रहा था। शुक्र है, इस बार कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन 2015 के उस भयानक भूकंप की यादें अभी भी नेपाली लोगों के जेहन में ताजा हैं।
जापान में भी भूकंप ने दी दस्तक
उधर, जापान में भी प्रकृति ने अपनी ताकत दिखाई। कुछ ही समय पहले वहां 4.6 तीव्रता का भूकंप आया। जापान, जो भूकंपों का आदी है, वहां भी इस बार लोग थोड़ा सहम गए। हाल ही में म्यांमार में 7.7 तीव्रता के भूकंप ने जो तबाही मचाई, उसका डर अभी लोगों के मन से गया नहीं था। वहां हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, और जापान में इस नए झटके ने उस डर को फिर से जगा दिया। अच्छी बात ये रही कि जापान में इस बार कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। फिर भी, लोग सतर्क हैं और हर छोटी-बड़ी हलचल पर नजर रख रहे हैं।
फिजी में प्रकृति का तांडव
दूसरी ओर, फिजी द्वीपों पर भी धरती ने करवट बदली। सोमवार को वहां 6.3 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने लोगों को डरा दिया। समंदर के बीच बसे इस खूबसूरत द्वीप पर झटके इतने तेज थे कि कुछ देर के लिए सब कुछ थम-सा गया। लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और एक-दूसरे का हाल जानने लगे। फिजी में भूकंप कोई नई बात नहीं, लेकिन हर बार ये डर लेकर आता है कि कहीं सुनामी तो नहीं आएगी। सौभाग्य से, इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ, और लोग धीरे-धीरे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लौट रहे हैं।
म्यांमार की त्रासदी और भारत की मदद
म्यांमार में आए भूकंप की त्रासदी ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। 7.7 तीव्रता के उस भूकंप में 3,000 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा बैठे। हजारों लोग बेघर हो गए, और कई अभी भी लापता हैं। इस मुश्किल घड़ी में भारत ने म्यांमार और थाईलैंड की हरसंभव मदद की। राहत सामग्री, मेडिकल टीमें और आर्थिक सहायता के जरिए भारत ने दिखाया कि मुसीबत में पड़ोसी का साथ देना कितना जरूरी है।
क्या कहती है प्रकृति?
इन लगातार भूकंपों ने वैज्ञानिकों और आम लोगों को सोच में डाल दिया है। क्या धरती हमें कुछ बताना चाह रही है? भूकंप विशेषज्ञों का कहना है कि ये झटके टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचल का नतीजा हैं। नेपाल, जापान और फिजी जैसे इलाके भूकंपीय रूप से सक्रिय जोन में आते हैं, जहां ऐसी घटनाएं आम हैं। फिर भी, हर बार ये डर पैदा करते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हमें भूकंपरोधी इमारतें बनाने, आपदा प्रबंधन को मजबूत करने और जागरूकता फैलाने पर ध्यान देना चाहिए।
आगे क्या करें?
भूकंप को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन उसका सामना करने की तैयारी जरूर की जा सकती है। अपने घरों को सुरक्षित बनाएं, आपातकालीन किट तैयार रखें और बच्चों को भूकंप के समय क्या करना चाहिए, ये सिखाएं। अगर आप भूकंपीय क्षेत्र में रहते हैं, तो स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें। आखिर, सावधानी ही सबसे बड़ा हथियार है।
धरती का ये बेचैन होना हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के सामने हम कितने छोटे हैं। फिर भी, हिम्मत और समझदारी से हम हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं। नेपाल, जापान और फिजी के लोग इस वक्त यही कर रहे हैं—डर को पीछे छोड़कर जिंदगी को फिर से पटरी पर ला रहे हैं।
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