जम्मू, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर प्रभारी तरुण चुग ने 13 जुलाई के दंगाइयों को हीरो कहने और घटना की तुलना जलियाँवाला बाग से करने पर उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा। चुग ने कहा यह शहादत नहीं है। यह इस्लामी हिंसा को छुपाने का प्रयास है और यह उसी व्यक्ति की ओर से आ रहा है जिसकी पार्टी कश्मीरी पंडितों को बंदूक की नोक पर खदेड़े जाने पर चुप रही।
चुग ने देश को याद दिलाया कि 12 से 16 जनवरी 1990 के बीच डेढ़ लाख से ज़्यादा कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से निकाल दिया गया था। लाउडस्पीकरों से धमकियाँ दी गईं, मंदिरों पर हमले किए गए, महिलाओं को निशाना बनाया गया। पूरे-पूरे परिवारों को अपना सब कुछ छोड़कर भागना पड़ा और जब यह भयावह स्थिति सामने आई तो वही राजनीतिक ताकतें जिन्हें तब मुस्लिम कॉन्फ्रेंस और अब नेशनल कॉन्फ्रेंस कहा जाता था मुँह फेरे रहीं।
चुग ने कहा कि उमर अब्दुल्ला इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं और वह पीड़ितों की यादों पर थूककर ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने 1931 की भीड़ को उकसाने वाले ब्रिटिश एजेंट अब्दुल कादिर के महिमामंडन को एक राजनीतिक धोखाधड़ी से कम नहीं बताया। चुग ने कहा वह स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। उन्हें अशांति फैलाने के लिए लगाया गया था और आज नेशनल कॉन्फ्रेंस उन्हें नायक बनाना चाहती है ताकि तुष्टिकरण का वही पुराना खेल खेला जा सके।
उन्होंने उमर द्वारा इस घटना की तुलना जलियाँवाला बाग से करने पर उनकी आलोचना की। वह निहत्थे नागरिकों के खिलाफ औपनिवेशिक क्रूरता थी। 13 जुलाई को एक सांप्रदायिक भीड़ व्यवस्था को जलाने की कोशिश कर रही थी। तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करके हमारे स्वतंत्रता आंदोलन का अपमान न करें।
चुग ने कहा कि यह केवल इतिहास की बात नहीं है यह इरादे की बात है। यह वही पैटर्न है। हिंदुओं की पीड़ा को कम करके आंकें। इस्लामी भीड़ का जश्न मनाएँ। इसे प्रतिरोध का दिखावा करें। फिर धर्मनिरपेक्षता का रोना रोएँ। उन्होंने कहा कि ये खेल खतरनाक हैं। ये ज़ख्मों को फिर से खोल देते हैं। ये उकसाते हैं और वे उसी विचारधारा को सही ठहराते हैं जिसके कारण कश्मीरी हिंदुओं का जातीय सफाया हुआ। चुग ने कहा जब आप कसाइयों का महिमामंडन करते हैं तो आप पीड़ितों को मिटा देते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया हम इन झूठों को टिकने नहीं देंगे। खासकर तब जब पूरा समुदाय अभी भी घर लौटने का इंतज़ार कर रहा है। चुग ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा इतिहास को सजाने-संवारने के लिए नहीं है। यह इतिहास को वैसे ही बताने के लिए है जैसे वह हुआ था और हर विस्थापित कश्मीरी पंडित के लिए न्याय, सम्मान और वापसी सुनिश्चित करने के लिए है।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
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