अयोध्या, 4 नवंबर (Udaipur Kiran) . भारत: महान राम यात्रा, जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के पवित्र पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए चित्रकूट से लंका और फिर वापस अयोध्या तक की गई. यह 4 नवम्बर को अयोध्या में अपने दिव्य समापन पर पहुँची. यहाँ पूज्य मोरारी बापू ने हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में अंतिम राम कथा का वाचन किया.
भारत और श्रीलंका की आध्यात्मिक यात्रा पूरी करने के बाद, अयोध्या में हुई इस यात्रा की अंतिम कथा ने सत्य, करुणा और धर्म के गृह आगमन से परिचय कराया. भगवान राम की जन्मभूमि में हुई इस पवित्र कथा में देश-विदेश से आए भक्तों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ भाग लिया. एक सुंदर प्रतीकात्मक पल में, बापू के ‘पुष्प’ यानी उनके प्रिय अनुयायी—विमान से बापू के साथ अयोध्या लौटे. यह दृश्य मानो भगवान श्रीराम की उस लंका विजय के बाद की वापसी की याद दिला रहा था, जब वे पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे. सैकड़ों भक्तों का एक साथ अयोध्या पहुँचना, एक बार फिर प्रेम, एकता और समर्पण के अमर संदेश को जीवंत कर गया.
इस दिव्य समापन पर पूज्य मोरारी बापू ने बताया कि: “रामकथा को ‘सकल लोक-जन पावनी गंगा’ कहा गया है, क्योंकि यह उपदेश नहीं देती. यह मन को पवित्र करती है. यह कोई सिद्धांत नहीं, बल्कि आचरण, कोमलता और प्रेम है और इसे सही रूप में समझने के लिए केवल कानों से नहीं, बल्कि मन, समझ और हृदय की गहराई से सुनना चाहिए.” भारत और लंका में इस राम यात्रा के दौरान चित्रकूट, नासिक, हंपी, रामेश्वरम और श्रीलंका से वापस अयोध्या तक भगवान राम के दिव्य पथ का अनुसरण करते हुए 8,000 किलोमीटर से अधिक लंबी दूरी तय की गई है. 11 दिनों तक चली इस पवित्र यात्रा में 400 से अधिक श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया, जिसकी शुरुआत भारत गौरव ट्रेन के साथ हुई और चार्टर्ड प्लेन के माध्यम से यह आगे बढ़ी.
(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय
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