फरीदाबाद, 8 अप्रैल . सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में 59 वर्षीय महिला के हृदय का एक दुर्लभ और अत्यंत जटिल इलाज सफलतापूर्वक किया गया. मरीज को सांस फूलने, शरीर में सूजन और लगातार बेचैनी जैसी गंभीर समस्याएं हो रही थीं. रातभर दर्द के कारण वह सो नहीं पाती थी. जांच में सामने आया कि उनके हार्ट में दस साल पहले ओपन हार्ट सर्जरी से लगाया गया वॉल्व अब सिकुड़ चुका है और ठीक से काम नहीं कर रहा था. डॉक्टरों के अनुसार यह स्थिति हार्ट फेलियर की श्रेणी में आती है. महिला की उम्र और अत्यधिक वजन के चलते ओपन हार्ट सर्जरी करना बेहद जोखिम भरा था. यही वजह रही कि कई अस्पतालों ने इस केस को करने से मना कर दिया था. ऐसे में मरीज एकॉर्ड अस्पताल पहुंची, जहां कार्डियोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. ऋषि गुप्ता, डॉ. सिम्मी मनोचा, डॉ. उमेश कोहली, कार्डियक सर्जन डॉ. बीजू पिल्लई ओर कार्डियक एनेस्थेटिक आदित्य की अनुभवी टीम ने वॉल्व इन वॉल्व तकनीक के माध्यम से महिला का जीवन बचाया. इस सफल इलाज के लिए अस्पताल सीएमडी डॉ. जितेंद्र कुमार ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता के दौरान पूरी टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि एकॉर्ड अस्पताल नित प्रति दिन नई तकनीक से इलाज के आयाम लिख रहा है. आने वाले समय में और अधिक एडवांस तकनीकों का उपयोग कर मरीजों का इलाज शुरू किया जाएगा. डॉ. ऋषि गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि बल्लभगढ़ निवासी बृजबाला का ओपन हार्ट सर्जरी से वॉल्व बदला गया था. इस कारण दौरान सर्जरी करना बहुत अधिक जोखिम भरा था. हालांकि महिला ने कई अस्पताल में अपना इलाज कराया लेकिन सर्जरी करने के मना कर दिया. मरीज जब उनके पास पहुंची तो प्राथमिक जांच में स्थित गंभीर पाई गई. मरीज के परिजनों की सहमति से डॉक्टरों की टीम ने तुरंत प्रोजिसर शुरू किया. आमतौर पर यह प्रक्रिया आर्टिक वॉल्व के लिए की जाती है, लेकिन इस मरीज का वॉल्व मायट्रल पोजिशन में था, जिससे प्रक्रिया और भी जटिल हो गई थी. ‘वॉल्व इन वॉल्व’ तकनीक में बिना ओपन हार्ट सर्जरी किए पुराने वॉल्व के अंदर ही नया वॉल्व डाला जाता है. इस प्रक्रिया में एक स्पेशल तकनीक से वॉल्व को काटा गया. ताकि नया वॉल्व पुराने वॉल्व के अंदर डाला जा सके. यह एक एडवांस कैथेटर बेस्ड प्रक्रिया है, जिसमें रिकवरी जल्दी होती है और जोखिम भी काफी कम होता है. फरीदाबाद में यह इस तरह का पहला केस है. सर्जरी के बाद महिला की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ और अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं. एकॉर्ड अस्पताल में इस जटिल केस की सफलता से यह साबित हुआ है कि अत्याधुनिक तकनीकों और अनुभवी डॉक्टरों की मौजूदगी में अब हाई रिस्क मरीजों का भी सुरक्षित इलाज संभव है. यह उपलब्धि न केवल मरीज के परिवार के लिए राहत लेकर आई, बल्कि फरीदाबाद के चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में भी दर्ज हो गई है.
/ -मनोज तोमर
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