जबलपुर, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू ) की टीम ने मंगलवार को आदिम जाति कल्याण विभाग के डिप्टी कमिश्नर जगदीश सरवटे के जबलपुर, सागर और भोपाल स्थित ठिकानों पर मंगलवार को छापा मारा कार्रवाई की। करीब 10 घंटे की सर्चिंग के दौरान ईओडब्ल्यू को लगभग पांच करोड़ 90 लाख रुपये अनुपातहीन संपत्ति की जानकारी लगी है। उनके यहां से 56 महंगी शराब की बोतलें भी मिलीं। मां और भाई के नाम पर भी करोड़ों की प्रॉपर्टी का खुलासा हुआ है। जांच पूरी होने पर यह आंकड़ा बढ़ सकता है।
जानकारी के अनुसार, आय से अधिक संपत्ति की शिकायतों के आधार पर डिप्टी कमिश्नर जगदीश सरवटे के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने धारा 13 (1) (बी), 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित 2018 पंजीबद्ध कर जांच शुरू की थी। जबलपुर ईओडब्ल्यू की टीम ने मंगलवार को सरवटे के जबलपुर स्थित शंकर शाह नगर रामपुर का शासकीय आवास, भोपाल स्थित बाग मुगलिया का मकान, आधारताल जबलपुर स्थित पैतृक मकान में सर्चिंग के लिए 3 टीमों का गठन किया गया। सागर स्थित शासकीय आवास की सर्चिंग सागर ईओडब्ल्यू की टीम ने की है।
गौरतलब है कि सरवटे ने अपनी नौकरी का लंबा समय जबलपुर में गुजारा है। कुछ समय पहले ही उनका सागर ट्रांसफर हुआ है। वे आदिम जाति कल्याण विभाग के डिप्टी कमिश्नर पद पर कार्यरत हैं। उनके पास परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण जबलपुर का भी अतिरिक्त प्रभार है।
डिप्टी कमिश्नर जगदीश सरवटे पर अब तक की कार्रवाई में कुल पांच करोड़ 89 लाख 95 हजार 624 रुपये की अनुपातहीन संपत्ति उजागर हुई है। एक प्लॉट, बीमा कंपनियों में निवेश और मां के नाम संपत्तियों का मूल्यांकन किया जाना शेष है। एक बैंक लॉकर भी खुलना बाकी है। जबलपुर ईओडब्ल्यू एसपी अनिल विश्वकर्मा का कहना है कि जबलपुर, भोपाल और सागर में अभी जांच चल रही है। देर रात या फिर बुधवार तक फाइनल फिगर आएगा।
(Udaipur Kiran) तोमर
You may also like
IND vs ENG: मैनचेस्टर टेस्ट मैच में कैसा रहेगा पांचों दिन का मौसम, क्या बारिश बनेगी विलेन
20 सालों से एक ही थाली में खाती थी मां, मौत के बाद बेटे को पता चली वजह, हो गया भावुकˏ
मंदिर से भी प्राचीन शिवलिंग: मुगलकाल में किले से फेंका गया, नागों ने बचाया, सिंधिया काल में बना कोटेश्वर महादेव
Success Story: न कोई विरासत, न सहारा... मिडिल क्लास फैमिली से निकले इस IITian ने कैसे खड़ी कर दी 4,500 करोड़ की कंपनी?
हत्या से लेकर दंगे तक के केस, चला रहे स्कूली वाहन, लखनऊ में 100 से ज्यादा ड्राइवरों पर गंभीर मामले