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दिलसुखनगर बम विस्फोट मामले में हाई कोर्ट ने आरोपितों की सजा रखी बरकरार

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हैदराबाद, 8 अप्रैल . तेलंगाना हाई काेर्ट ने देशभर में सनसनी मचा देने वाले दिलसुखनगर दोहरे विस्फोट मामले में अहम फैसला सुनाया है. मंगलवार को हाई काेर्ट ने एनआईए काेर्ट से मिली मौत की सजा को बरकरार रखते हुए पांच दोषियों की अपील खारिज कर दी.

दिलसुखनगर में लगभग 21 फरवरी 2013 को बस स्टॉप और चाट भंडार के मिर्ची प्वाइंट पर हुए दोहरे बम विस्फोटों में 18 लोग मारे गए थे और 131 घायल हुए थे. दिलसुखनगर में विस्फोट मामले की जांच एनआईए ने पूरी की. इसमें 157 लोगों की गवाही दर्ज की गई. इस घटना में आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल को मुख्य आरोपी बनाया गया था. इस मामले का मुख्य आरोपित मोहम्मद रियाज उर्फ रियाज भटकल फरार है. एनआईए काेर्ट ने 13 दिसंबर 2016 को अन्य पांच असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी, जिया उर रहमान उर्फ वाघस उर्फ नबील अहमद, मोहम्मद तहसीन अख्तर उर्फ हसन उर्फ मोनू, यासीन भटकल उर्फ शाहरुख और अरमान टुंडे उर्फ सागर उर्फ ऐजाज सैयद शेख को मौत की सजा सुनाई थी. एनआईए कोर्ट के फैसले को पांचाें आरोपितों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. पांचों आरोपितों ने एनआईए कोर्ट के फैसले को निरस्त करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में अपील की थी.

इस अपील पर जस्टिस के. लक्ष्मण और जस्टिस पी. श्रीसुधा की पीठ ने लगभग 45 दिन तक लंबी सुनवाई के बाद फैसला स्थगित कर दिया था. मंगलवार को हाई कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद न्यायमूर्ति के. लक्ष्मण की पीठ ने मंगलवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने

एनआईए कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए आरोपितों की अपील को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट के फैसले पर पीड़ितों ने खुशी जताई और न्यायालय परिसर में मिठाइयां बांटी.

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/ नागराज राव

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