पटना, 30 अप्रैल . केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह ने देशभर में आगामी जनगणना के साथ ही जातीय गणना को शामिल करने के ऐतिहासिक निर्णय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी का आभार जताया है. एक्स पर संदेश शेयर करते हुए उन्हाेंने कहा कि
देश में जातीय जनगणना को लेकर लंबे समय से राजनीति होती रही है, लेकिन आज़ादी के बाद से अब तक किसी भी सरकार ने इसे लागू नहीं किया. वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में यह आश्वासन दिया था कि जातीय जनगणना पर विचार किया जाएगा. इसके लिए एक मंत्रिमंडलीय समूह का गठन भी किया गया, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी. इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने केवल एक सामाजिक-आर्थिक जातीय सर्वेक्षण कराया, जिसे सार्वजनिक तक नहीं किया गया.
उन्हाेंने कहा कि जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी नीति ‘न्याय के साथ विकास’ के सिद्धांत का पालन करते हुए देश में सबसे पहले पूर्ण पारदर्शिता के साथ जातीगत गणना कराई और उसका परिणाम भी सार्वजनिक किया. वे लंबे समय से जातीय गणना को लेकर केंद्र सरकार से इसकी मांग करते रहे हैं और इसके प्रबल पक्षधर भी हैं.
आज केंद्र सरकार की कैबिनेट समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, आगामी जनगणना में जातीय आंकड़ों को विधिवत रूप से शामिल किया जाएगा. जैसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को 10% आरक्षण देते समय समाज में किसी प्रकार का तनाव उत्पन्न नहीं हुआ. उसी प्रकार यह निर्णय भी सामाजिक संतुलन, समावेशन और नीति निर्धारण में पारदर्शिता को और अधिक सुदृढ़ करेगा.
यह स्पष्ट संकेत है कि वर्तमान सरकार सभी वर्गों की समान भागीदारी और सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध है.
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/ चंदा कुमारी
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