— संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में पारम्परिक और आधुनिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रारंभ
वाराणसी, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । शास्त्री और आचार्य जैसे पारम्परिक संस्कृत पाठ्यक्रम अब सिर्फ ज्ञान तक सीमित नहीं रहे, बल्कि इनके माध्यम से विद्यार्थियों के लिए भारत ही नहीं, विदेशों में भी रोजगार के नये अवसर सुलभ हो रहे हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो. शैलेश कुमार मिश्र के अनुसार, शास्त्री एवं आचार्य की डिग्री प्राप्त विद्यार्थी अर्चक, कर्मकाण्ड विशेषज्ञ, वास्तुविद, ज्योतिषी और सनातन संस्कृति के प्रचारक के रूप में देश-विदेश में अपनी पहचान बना सकते हैं।
प्रो. मिश्र ने बताया कि विश्वविद्यालय में पारम्परिक विषयों — वेद, व्याकरण, ज्योतिष, साहित्य, पुराण, धर्मशास्त्र, न्याय, वेदांत, पालि एवं थेरवाद — में स्नातक (शास्त्री) और स्नातकोत्तर (आचार्य) स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने रोजगारपरक पाठ्यक्रमों पत्रकारिता एवं जनसंचार विज्ञान स्नातकोत्तर और पुरातत्व एवं संग्रहालय विज्ञान स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए है।
उन्होंने बताया कि शास्त्री और आचार्य में प्रवेश के लिए 10 जुलाई 2025 अंतिम तिथि है। इसी तरह रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में पत्रकारिता एवं जनसंचार (एमजेएमसी) एवं पुरातत्व संग्रहालय विज्ञान स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश अंतिम तिथि 31 जुलाई है।
विश्वविद्यालय की विशेषताएं
मुख्य पाठ्यक्रमों के साथ व्यावसायिक, रोजगारपरक एवं मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रमों की सुविधा
– छात्रावास सुविधा (विदेशी छात्रों एवं महिलाओं के लिए अलग छात्रावास),कंप्यूटर लैब, वेधशाला, यंत्रशाला, भाषा प्रयोगशाला, पुरातत्व संग्रहालय, पाण्डुलिपि पाठ्यपुस्तक, श्रौत मंडप एवं स्मार्ट मंडप से यज्ञशाला,विश्वविद्यालय पुस्तकालय और वाई-फाई सुविधा परिसर, शुद्ध पेयजल एवं सुसज्जित क्रीड़ा प्रांगण है।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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