शिमला, 3 मई . जिला शिमला के ठियोग उपमंडल में एक बैंक धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. इसमें एक शख्स ने चार लोगों के फर्जी दस्तावेजों और पहचान का दुरुपयोग करते हुए 56.83 लाख रुपये का लोन ले लिया. इस धोखाधड़ी में तत्कालीन दो बैंक अधिकारियों की भूमिका भी सामने आई है. चार शिकायतकर्ताओं की तहरीर पर पुलिस ने मुख्य आरोपी और दो तत्कालीन बैंक अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 120-बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.
यह मामला ठियोग निवासी इंदर सिंह पुत्र लायक राम, अनिल वर्मा पुत्र नानक चंद, जगदीश पुत्र केवल राम और हरीश चौहान पुत्र प्यारे लाल द्वारा दी गई लिखित शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है.
इन्होंने शिकायत में बताया है कि ठियोग के भलेच गांव के रहने वाले बसंजीव कुमार ने फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए इन व्यक्तियों की पहचान का गलत उपयोग करते हुए बैंकों से भारी भरकम ऋण ले लिया.
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि संजीव कुमार ने उनके नाम से कर्ज़ की सीमा (लिमिट) बनवाई और उनसे संबंधित पहचान दस्तावेज़ों को जाली तरीके से तैयार किया गया. इन दस्तावेज़ों के आधार पर बैंक से ऋण मंजूर करवाया गया और राशि को स्वयं निकाला गया. आरोप है कि यह सारा फर्जीवाड़ा बैंक ऑफ इंडिया की सरोग शाखा में उस समय तैनात शाखा प्रबंधक (अब सेवानिवृत्त) और कैशियर की मिलीभगत से किया गया. इन दोनों बैंक अधिकारियों ने संजीव कुमार के साथ मिलकर फर्जी लोन आवेदन स्वीकृत करवाए और फिर संजीव ने इन खातों से राशि निकाल ली.
मामले के अनुसार वर्ष 2018 में इंद्र सिंह के नाम पर 15 लाख रुपये की सीमा बनाई गई, जिसमें से पूरी राशि संजीव कुमार ने निकाल ली. इसी वर्ष इंदर सिंह की माता आशा देवी के नाम से 9 लाख रुपये का कर्ज़ लिया गया और उसके बाद इंदर सिंह की पत्नी निशा देवी के नाम से भी 9 लाख रुपये का कर्ज़ उठाया गया, जिसे संजीव कुमार ने ही निकाला.
वर्ष 2019 में अनिल वर्मा के नाम से 8 लाख 50 हजार रुपये की सीमा बनाई गई और यह रकम भी संजीव कुमार द्वारा निकाली गई. इसी वर्ष हरीश चौहान के नाम से 8 लाख रुपये की कर्ज़ राशि भी संजीव कुमार द्वारा निकाल ली गई.
इसके अलावा वर्ष 2022 में संजीव कुमार ने जगदीश पुत्र केवल राम के नाम पर फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर ऑटो लोन लिया और उससे फॉर्च्यूनर कार (नंबर HP95-1767) खरीदी.
सभी मामलों में संजीव कुमार ने जिन लोगों के नाम पर लोन लिया तो उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी और जब उनके पास बैंकों की नोटिस या कॉल्स आने लगीं, तब जाकर यह फर्जीवाड़ा सामने आया.
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि संजीव कुमार ने बैंकों से राशि निकलवाने के लिए खुद को संबंधित व्यक्ति दर्शाया और नकली हस्ताक्षर करवा कर या स्वयं करके बैंक से रकम निकाली. इस पूरी धोखाधड़ी में तत्कालीन शाखा प्रबंधक (अब सेवानिवृत्त) और कैशियर की सीधी संलिप्तता पाई गई है, जिन्होंने नियमों को ताक पर रखकर कर्ज़ स्वीकृत किए और दस्तावेज़ों की जांच नहीं की.
शिकायतकर्ताओं के अनुसार यह धोखाधड़ी केवल आर्थिक लाभ के लिए की गई और सभी फर्जीवाड़ों के जरिए कुल 56 लाख 83 हजार रुपये की राशि अलग-अलग खातों और नामों से निकाल ली गई.
डीएसपी ठियोग सिद्धार्थ शर्मा ने शनिवार को बताया कि चार व्यक्तियों की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है. मुख्य आरोपी सहित दो तत्कालीन बैंक कर्मचारियों को भी नामजद किया गया है. इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
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/ उज्जवल शर्मा
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