छतरपुर, 11 मई . भारत और पाकिस्तान के बीच के बीच प्रसिद्ध कथावाचक बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा से ही बिगड़ैल औलाद की तरह है, जिसे कोई भी सुधार नहीं सकता. पाकिस्तान से कोई भी समझौता न तो सुरक्षित है और न ही टिकाऊ. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कुत्ते की पूंछ पूजार में डालो, तो वह टेढ़ी की टेढ़ी निकलती है, यानी पाकिस्तान का स्वभाव कभी नहीं बदल सकता. पाकिस्तान जितने भी समझौते कर ले, वह किसी न किसी तरह सीजफायर का उल्लंघन करेगा.
पंडित धीरेन्द्र शास्त्री रविवार को श्री लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ में छतरपुर के मोटे महावीर मंदिर पहुंचे थे. उन्होंने यहां मीडिया से बात करते हुए पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला. उन्होंने भारतीय सेना की जमकर तारीफ की. यहां महायज्ञ में शामिल होने आए श्रद्धालुओं ने महाराजश्री के बयानों का समर्थन करते हुए उनकी राष्ट्रभक्ति की सराहना की. आयोजन में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि पाकिस्तान बिगड़ैल औलाद है. वह सुधर नहीं सकता. भारत के पास पाकिस्तान के इस स्वभाव का सामना करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जब तक पाकिस्तान को घर में घुसकर जवाब नहीं दिया जाएगा, तब तक वह समझ नहीं पाएगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय सेना के पास इस समस्या से निपटने के लिए सबसे बेहतर उपाय हैं.
कर्नल सोफिया कुरैशी को बताया महारानी लक्ष्मीबाई
भारत-पाकिस्तान के संघर्ष में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव में जन्मीं कर्नल सोफिया कुरैशी की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण रही है. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग का नेतृत्व किया, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की सफलताओं को उजागर किया गया. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ करते हुए कहा कि हमें गर्व है कि बुंदेलखंड की धरती, छतरपुर के नौगांव से भारतीय सेना में अपनी कार्यशैली से बेटियों के लिए मिसाल कायम करने वाली सोफिया कुरैशी ने दिखाया कि हमारी बेटियां बेटों से कम नहीं. वे महारानी लक्ष्मीबाई का जीता-जागता उदाहरण हैं.
उन्होंने पाकिस्तान में बिना लड़ाई के जीत का जश्न मनाए जाने पर तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान में पटाखे फोड़कर जश्न मना रहे हैं कि हम जीत गए. बिना लड़ाई के जीत का जश्न सिर्फ पाकिस्तान में ही हो सकता है. उन्होंने भारतीय सेना की तैयारियों पर जोर देते हुए कहा कि सेना भर्ती से ज्यादा जरूरी है तैयारी, जो घर-घर में होनी चाहिए. प्रत्येक गांव, कस्बे में भारत के प्रति समर्पित बालक-बालिकाओं को ट्रेनिंग दी जानी चाहिए. ऐसे ट्रेनिंग सेंटर खोले जाएं, जिससे जरूरत पड़ने पर गांव-गांव के नौजवान बॉर्डर पर जाकर 140 करोड़ लोगों की रक्षा कर सकें.
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तोमर
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