शिमला, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पांगी उप-मंडल को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल अधिसूचित किए जाने के बाद से चंबा जिले के इस दूरस्थ जनजातीय क्षेत्र में खुशी और उत्साह का माहौल है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा हिमाचल दिवस के अवसर पर की गई इस ऐतिहासिक घोषणा के क्रियान्वयन के साथ ही प्राकृतिक खेती को संस्थागत रूप मिलने लगा है।
यह निर्णय न केवल पांगी की पारंपरिक कृषि पद्धतियों को संरक्षण देगा, बल्कि इससे क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता संरक्षण और टिकाऊ आजीविका को भी बढ़ावा मिलेगा। अधिसूचना जारी होने के बाद, पांगी के लगभग 2,244 किसान परिवार पहले ही रसायन-मुक्त खेती की ओर अग्रसर हो चुके हैं, और अब सरकार की योजना 2,920 हेक्टेयर भूमि को शत-प्रतिशत प्राकृतिक खेती क्षेत्र में बदलने की है।
धनवास गांव के किसान राजकुमार ने कहा कि इस निर्णय से उन परिवारों को भी प्रेरणा मिलेगी जिन्होंने अपनी जमीनों को लीज पर दे दिया था। अब लोग फिर से अपनी जड़ों की ओर लौटेंगे और गांवों में रुकने का विकल्प चुनेंगे। इस फैसले से क्षेत्र में रोजगार और आत्मनिर्भरता को भी बल मिलेगा।
पुंटो गांव की शीला देवी और सुनीता कुमारी ने कहा कि उनके पास सीमित संसाधन हैं, लेकिन अब प्राकृतिक खेती की मदद से वे भी रसायन मुक्त कृषि कर सकती हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बन सकती हैं।
मुख्यमंत्री सुक्खू के निर्देश पर कृषि विभाग ने चरणबद्ध कार्य योजना तैयार की है। पहले चरण में गांव स्तर पर योजना निर्माण, किसानों की आवश्यकताओं का आकलन और जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद प्रशिक्षण कार्यक्रम और खेतों में प्रत्यक्ष प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।
पंचायत स्तर पर बॉयो इनपुट रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) बनाए जाएंगे, जहां से किसानों को बीजामृत, जीवामृत, दशपर्णी अर्क, अग्निअस्त्र जैसे प्राकृतिक उत्पाद उपलब्ध होंगे। जिनके पास गाय नहीं है, उनके लिए ये केंद्र विशेष भूमिका निभाएंगे।
योजना के अगले चरण में क्षेत्र में पॉलीहाउस, कोल्ड स्टोरेज और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा। किसानों को संगठित करने के लिए स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठन (FPOs) और किसान उत्पादक कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, पीजीएस इंडिया प्रणाली के अंतर्गत लार्ज एरिया सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया अपनाकर गांवों को जैविक क्षेत्र के रूप में मान्यता दिलाई जाएगी, जिससे प्रीमियम बाजार तक किसानों की सीधी पहुंच सुनिश्चित होगी।
सूरल पंचायत के प्रधान दीपक कुमार ने इसे पांगी की आर्थिकी को सशक्त करने वाला कदम बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार की यह पहल जनजातीय उद्यमिता, पारंपरिक बीजों के संरक्षण और स्थानीय कृषि संस्कृति के उत्थान की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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