कानपुर, 04 अप्रैल . नवरात्रि के नौ दिन देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. इन दिनों मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ कई गुना बढ़ जाती है. ऐसी ही भीड़ कानपुर के बारादेवी मंदिर में देखी जा रही है. शहर के दक्षिण इलाके में स्थित 1700 साल प्राचीन इस मंदिर की एक ऐसी मान्यता है कि चुनरी बांधने से माता प्रसन्न हाेती हैं और भक्ताें की मनाेकामनाएं पूरी करती है.
मंदिर के पुजारी पंडित ज्ञानू तिवारी ने यहां के दर्शन पूजन काे लेकर कई अहम जानकारियां बताई. उन्हाेंने बताया कि इस मंदिर में नवरात्रि के दिनों में देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. पुजारी ने बताया कि इस मंदिर से जुड़ी सटीक जानकारी तो किसी के पास नहीं है लेकिन ऐसा बताया जाता है कि आज से करीब 17 साल पहले क़िदवई नगर इलाके में रहने वाली 12 सगी बहनों का उनके पिता से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था. पिता को आग बबूला देख सभी बहनें घबरा गई और जूही पहुंचकर पिता के प्रकोप से बचने के लिए पत्थर की बन गई. तभी से इस मंदिर के साथ-साथ इस इलाके का नाम भी 12 बहनों के नाम पर बारादेवी पड़ गया.
उन्होंने बताया कि इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु यदि सच्चे मन से देवी मां से मुराद मांगते हुए चुनरी बांधते हैं तो उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. मनोकामना पूरी होने के बाद भक्ति मां का श्रृंगार भी कराते हैं. यही कारण है कि इस मंदिर में कानपुर ही नहीं बल्कि उसके आसपास के कई जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु में दर्शन करने आते हैं. नवरात्रि के दिनाें में यहां मेला लगता है और लाेगाें की खासी भीड़ उमड़ती है.
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/ रोहित कश्यप
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