फतेहपुर 05 मई . आगामी खरीफ फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए सोमवार को जिला कृषि रक्षा अधिकारी नरोत्तम कुमार ने बताया कि कृषक रबी फसलों की कटाई के उपरान्त ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अवश्य करें. ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से कृषकों को खेती में कई लाभ मिलते हैं.
उन्होंने बताया कि ग्रीष्मकालीन जुताई से मृदा संरचना में सुधार होता है. मृदा की जलधारण क्षमता बढ़ती है जो फसलों की बढ़वार के लिए उपयोगी है. मृदा की कठोर परत टूट जाती है जिससे जडों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बन जाता है. खेत में उगे खरपतवार एवं फसल अवशेष मिट्टी में दबकर सड़ जाते हैं जिससे मृदा में जीवाश्म कार्बन बढ़ता है. मृदा में छिपे हानिकारक कीडे मकोडे जैसे दीमक, गिडार, लार्चा, प्यूपा एवं खरपतवार के बीज गहरी जुताई के बाद सूर्य के तेज प्रकाश से नष्ट हो जाते हैं एवं पक्षियों द्वारा खा लिए जाते हैं. ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से मृदा में पाये जाने वाले हानिकारक जीवाणु, कवक, निमेटोड एवं अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं. मृदा में वायु संचार बढ़ता है जो लाभकारी सूक्ष्म जीवों की वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है. खरपतवारनाशी एवं कीटनाशी रसयनों के विषाक्त अवशेष एवं पूर्व फसल की जड़ों द्वारा छोडे गये हानिकारक रसायनों के अपघटन में सहायक होती है.
/ देवेन्द्र कुमार
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