भोपाल, 8 अप्रैल . नागरिकों की खुशहाली एवं बेहतर जीवन के लिए आंतरिक तथा बाह्य सकुशलता आवश्यक है. राज्य का पूर्ण विकास नागरिकों की मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक उन्नति तथा प्रसन्नता से ही संभव है. नागरिकों के लिये इस प्रकार वातावरण तैयार करना होगा जो उनके लिए आनंद का कारक बनें. विकास का मापदण्ड भौतिक सुविधाओं पर आधारित होने के साथ-साथ नागरिकों के आनंद के आधार पर भी होना चाहिए. इस उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा आनंद संस्थान का गठन अगस्त 2016 में किया गया था. यह संस्थान, मध्य प्रदेश शासन के आनंद विभाग अन्तर्गत संचालित है.
राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आशीष कुमार ने मंगलवार को बताया कि अपनी स्थापना के समय से ही राज्य आनंद संस्थान, प्रदेश के नागरिकों की खुशहाली और मानसिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के लिए सतत कार्यरत है. संस्थान का यह दृढ़ विश्वास है कि सुख बाहरी प्रभाव नहीं, बल्कि एक आंतरिक अनुभूति और एक स्वाभाविक अवस्था है, जिसे सही दृष्टिकोण, जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. इसी दिशा में कार्य करते हुए, संस्थान अपने विभिन्न कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और आनंदम गतिविधियों से नागरिकों में सकारात्मकता और आत्मिक आनंद की भावना विकसित करने का प्रयास कर रहा है.
राज्य आनंद संस्थान द्वारा विगत माह भोपाल में एक नेशनल सेमिनार ऑन हैप्पीनेस का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य और खुशहाली से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहन चर्चा करना था. इस सेमिनार में देश के प्रमुख मनोवैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, समाजशास्त्रियों और नीति निर्माताओं को आमंत्रित किया गया, ताकि वे अपने अनुभवों और शोध निष्कर्षों को साझा कर सकें. आयोजन ने आनंद के विविध आयामों एवं तत्वों पर केंद्रित विभिन्न विषयों पर चर्चा करने और इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक मंच प्रदान किया.
सेमिनार में आतंरिक आनंद की अनुभूति, आनंद और स्वास्थ्य के बीच संबंध, खुशहाल परिवार एवं कार्य स्थल, विद्यार्थियों और युवाओं में मानवीय मूल्य को बढ़ावा देने की रणनीतियों और भारतीय परंपरा में आनंद के स्त्रोतों पर चर्चा की गई.
/ उम्मेद सिंह रावत
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