भोपाल, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारत की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की समृद्ध कलात्मक परंपरा एक बार फिर राष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप छोड़ने को तैयार है। राजधानी दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन में आज शुक्रवार को ‘सुरमयी सांस्कृतिक संध्या’ की तीसरी प्रस्तुति का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन मध्य प्रदेश की लोक-संगीत, नृत्य एवं सांस्कृतिक विविधता को देश की राजधानी में प्रतिष्ठित और कलाप्रेमी दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने का एक सशक्त प्रयास है। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त भरतनाट्यम नृत्यांगना डॉ. लता सिंह मुंशी अपने समूह के साथ प्रस्तुति देंगी। डॉ. मुंशी की प्रस्तुति के माध्यम से भरतनाट्यम की शास्त्रीय परंपरा और मध्यप्रदेश की लोक अभिव्यक्तियों का सम्मिलन देखने को मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि ‘सुरमयी सांस्कृतिक संध्या’ मंच उस गहरे भाव को अभिव्यक्त करने का एक सांस्कृतिक आयोजन है जिसके माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार अपनी लोक कला, संगीत और नृत्य परंपराओं को देश-दुनिया के समक्ष प्रस्तुत कर रही है। इस तृतीय प्रस्तुति में भरतनाट्यम् जैसे शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से मध्यप्रदेश की लोक भावना, क्षेत्रीय कथानकों, और पारंपरिक संगीत के सुरों को बुना जाएगा। इससे नृत्य और संगीत के माध्यम से एक ऐसा भाव-संवाद रचा जाएगा, जिसमें प्राचीनता और समकालीनता दोनों की झलक मिलेगी।
डॉ. लता सिंह मुंशी: एक परिचय
कार्यक्रम की मुख्य प्रस्तुति देने जा रहीं डॉ. लता सिंह मुंशी भरतनाट्यम की दुनिया का एक प्रतिष्ठित नाम हैं। वे न केवल एक नृत्यांगना हैं, बल्कि एक शोधकर्ता, शिक्षक और नृत्य में नवाचार की प्रतीक भी हैं। उन्होंने भरतनाट्यम की परंपरागत शैली में मध्यप्रदेश के लोक तत्वों को सम्मिलित कर एक नई अभिव्यक्ति शैली विकसित की है, जो न केवल परंपरा का आदर करती है, बल्कि उसे समयानुकूल प्रासंगिकता भी प्रदान करती है। डॉ. मुंशी ने भारत के कई प्रतिष्ठित मंचों के साथ-साथ अमेरिका, फ्रांस, जापान, थाईलैंड, जर्मनी जैसे देशों में भी अपनी प्रस्तुतियों से भारत की सांस्कृतिक गरिमा को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाया है। उनके योगदान के लिए मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 2018 में उन्हें राज्य के सर्वोच्च कला सम्मान ‘शिखर सम्मान’ से अलंकृत किया था।
कार्यक्रम के आयोजकों का कहना है कि मध्य प्रदेश कला, लोक परंपरा और संगीत का अद्भुत संगम है। यह आयोजन राजधानी में बसे कलाप्रेमियों को मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराने का प्रयास है।इससे पूर्व दो प्रस्तुतियों को दिल्लीवासियों और कलामर्मज्ञों से जबरदस्त सराहना मिली थी। हर बार प्रस्तुति की थीम बदलती है, लेकिन उद्देश्य एक ही रहता है । मध्यप्रदेश के विविध क्षेत्रों की लोक संस्कृति, संगीत, नृत्य और जीवन शैली को जीवंत रूप में प्रस्तुत करना।
सांस्कृतिक संध्या की पहली दो प्रस्तुतियों में गोंड, भील और बघेली लोकगीतों के साथ पंथी नृत्य, राई नृत्य, और मालवी लोकगाथाएं प्रमुख आकर्षण रहीं। इस बार भरतनाट्यम के माध्यम से मध्यप्रदेश की कला का एक नया और गूढ़ आयाम प्रस्तुत किया जाएगा। शाम 6:30 से 7:30 बजे तक आयोजित यह एक घंटे की संध्या उन सभी दर्शकों के लिए एक सांस्कृतिक यात्रा होगी, जो नृत्य और संगीत को सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा की अभिव्यक्ति मानते हैं। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जहां शास्त्र और लोक का ताना-बाना एक साथ बुना जाएगा। आयोजकों द्वारा बताया गया कि कि डॉ. मुंशी की प्रस्तुति में मध्यप्रदेश की जनजीवन, नारी-भावना, ऋतुओं का उत्सव, और सामाजिक सरोकारों से जुड़े कथानकों को नृत्य के माध्यम से दर्शाया जाएगा। दर्शकों को भाव, राग, ताल और रंगों का एक अनुपम समावेश देखने को मिलेगा।
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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी
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