पूर्णिया, 08 जुलाई (Udaipur Kiran) ।
पूर्णिया के रुपौली प्रखंड क्षेत्र के टीकापटी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (एपीएचसी) की दुर्दशा इन दिनों चरम पर है। खासकर प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को यहां बुनियादी सुविधाएं तक नसीब नहीं हो रही हैं। नाश्ता-भोजन तो दूर, उन्हें एक कप चाय भी नहीं दी जाती। अस्पताल परिसर में गंदगी का आलम यह है कि रोगियों का स्वागत सबसे पहले आवारा कुत्ते और बकरियां करती हैं। ऐसी स्थिति में यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों में लगातार भय का माहौल बना रहता है।
बैरिया गांव की शबनम कुमारी और तेलडीहा की नूतन कुमारी ने बताया कि शुक्रवार की रात वे प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचीं, लेकिन शनिवार दोपहर 11 बजे तक उन्हें एक कप चाय भी नहीं दी गई। मौके पर मौजूद एनजीओ कार्यकर्ता ने दूध फटने की बात कहकर स्थिति से पल्ला झाड़ लिया, वहीं अस्पताल कर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां आजतक किसी को खाना या नाश्ता नहीं मिला है। अब जब रिपोर्टिंग हो रही है, तो शायद दिखावे के लिए कुछ दिया जा सकता है।
ओपीडी गेट के बाहर आधा दर्जन से अधिक कुत्ते व बकरियां बेधड़क घूमते रहते हैं। मरीज और कर्मी इनसे डरे रहते हैं कि कब हमला हो जाए। अस्पताल में गार्ड की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे जानवरों का आतंक बना हुआ है।अस्पताल की साफ-सफाई व्यवस्था बदहाल है। आउटडोर गेट के पास कचरे का डब्बा उल्टा पड़ा है, बदबू फैली रहती है और अस्पताल परिसर में मोटरसाइकिल जैसे वाहन भी बेतरतीब तरीके से पड़े रहते हैं। मरीजों को बदबू और गंदगी के बीच इलाज कराना मजबूरी है।
यह अस्पताल बीएचएम (ब्लॉक हेल्थ मैनेजर) के अधीन आता है, पर इलाके के लोग बताते हैं कि उन्हें न तो कभी क्षेत्र में देखा गया और न ही रेफरल अस्पताल में उनकी उपस्थिति रहती है। पूछने पर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टाल दी जाती है।
मुखिया शांति देवी ने कहा कि अस्पताल की हालत बद से बदतर हो चुकी है। प्रसव महिलाओं को कभी खाना मिला हो, ऐसा हमने नहीं देखा। विभाग ने जो व्यवस्था दी है, वह कहां और किसके लिए लागू है, यह अबतक पता नहीं चल सका। वास्तव में
स्वास्थ्य विभाग की ओर से घोषित योजनाएं और ज़मीनी हकीकत के बीच एक गहरी खाई है, जिसे भरने की जिम्मेदारी विभाग और स्थानीय प्रशासन की है। सवाल यह भी है कि महिला मरीजों की इस उपेक्षा का जवाब कौन देगा?
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(Udaipur Kiran) / नंदकिशोर सिंह
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