– राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों के साथ हुआ परस्पर संवाद कार्यक्रम
भोपाल, 04 मई . उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि विकसित भारत का रास्ता किसान के खेत से निकलता है. इसलिए कृषि के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं और कृषि विद्यार्थियों की जिम्मेदारी है कि वे किसानों के जीवन में बदलाव एवं खुशहाली लाने में अपना योगदान दें. प्रयास ऐसे हों कि किसान केवल फसल उत्पादक बनकर ही न रहें, अपितु वे एग्री-प्रीनियर (कृषि उद्यमी) बनें.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ रविवार देर शाम ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों के परस्पर संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कृषि विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे तकनीक और अनुसंधान का इस्तेमाल कर कृषि क्षेत्र में बदलाव के प्रबंधक बनें. कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केन्द्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उप राष्ट्रपति की धर्मपत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ और विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला मंचासीन थे. इस अवसर पर मंत्री तुलसीराम सिलावट भी विशेष रूप से उपस्थित रहे.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारतीय संस्कृति किसानों के कल्याण का संदेश देती है. वर्तमान दौर में किसानों के महत्व को प्रतिपादित करते हुए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान–जय किसान का नारा दिया था. पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने जय जवान–जय किसान के साथ जय विज्ञान जोड़ा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जय जवान–जय किसान–जय विज्ञान में जय अनुसंधान को शामिल किया है.
उन्होंने कहा कि कृषि विद्यार्थी विज्ञान और अनुसंधान के केन्द्र बिंदु होते हैं. इसलिए विद्यार्थी इस कसौटी पर खरे उतरकर किसानों के कल्याण के लिए काम करें. किसानों को अपनी उपज तत्काल न बेचनी पड़े, इसके लिये पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट को बढ़ावा दें और वेयर हाउस एवं कोल्ड स्टोर स्थापित कर किसानों को भण्डारण के लिए प्रेरित करें.किसान अपनी परेशानी व्यक्त करें, उससे पहले ही हमें अंदाजा लगा लेना चाहिए कि किसान क्या चाहते हैं.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार किसानों के हित में काम कर रही है और उनके लिये सकारात्मक नीतियां बनाई हैं. सरकार ने सहकारिता को भी कृषि में अध्याय के रूप में जोड़ा है. पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के खाते में सीधे धनराशि पहुँच रही है.
उपराष्ट्रपति ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया एवं समाजसेवी दत्तोपंत ठेंगड़ी के सुकृत्यों को याद करते हुए कहा कि सुखद संयोग है कि ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालय का नाम राजमाता विजयाराजे सिंधिया एवं सभागार का नाम दत्तोपंत ठेंगड़ी के नाम पर है. इसलिये यह विश्वविद्यालय दो ऐसी महान आत्माओं का संगम है जो राष्ट्रवाद और समाज के कल्याण के लिये समर्पित रहीं. विश्वविद्यालय के विद्यार्थी यह संकल्प लें कि इन विभूतियों के आदर्शों पर चलकर हम सदैव राष्ट्र हित को सर्वोपर्य रखेंगे.
मध्य प्रदेश में गौ-संरक्षण के क्षेत्र में हो रहे प्रयासों को सराहा
उपराष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा गौवंश के संरक्षण के उद्देश्य से गौशालाओं को दिए जा रहे प्रोत्साहन की प्रशंसा की. साथ ही कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री डॉ. यादव से राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की गौशाला के विस्तार में सहयोग के लिये कहा.
कृषि विश्वविद्यालय अनुसंधान की परिपाटियों को विश्व स्तरीय बनाएँ: राज्यपाल
राज्यपाल पटेल ने कहा कि मानव सभ्यता के उद्भव और विकास में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. हमारे देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी के लिये कृषि आज भी आजीविका की जीवन रेखा बनी हुई है. प्रधानमंत्री मोदी दूरदृष्टि दृष्टिकोंण के साथ किसानों को समृद्ध व सशक्त बनाकर विकसित भारत बनाने के लिये लगातार काम कर रहे हैं. कृषि विकास और परिवर्तन के केन्द्र बिंदु विश्वविद्यालयों को अध्ययन व अनुसंधान की मौजूदा परिपाटियों को विश्व स्तरीय बनाना होगा. साथ ही तेजी से बदलती जलवायु को ध्यान में रखकर नई तकनीकों के द्वारा खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना होगा. उन्होंने विश्वविद्यालयों से सामूहिक रूप से कृषि क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का आह्वान किया.
कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में हो रहे कार्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था बदलेंगे: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में कृषि और पशुपालन के कार्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था बदलने का कार्य करेंगे. लगभग दो वर्ष पूर्व प्रदेश का कृषि क्षेत्र 45 लाख हेक्टेयर था जो आज 55 लाख हो गया है. प्रदेश में एक करोड़ हेक्टेयर कृषि क्षेत्र निर्मित करने का राज्य सरकार का संकल्प है. कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सिंचाई का महत्वपूर्ण योगदान है, नर्मदा और अन्य नदियों के जल से सिंचाई का कार्य हो ही रहा है. विश्व की प्रथम नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा मंजूरी के बाद पार्वती काली सिंध चंबल परियोजना को भी स्वीकृति प्राप्त हुई है. वर्षों से यह परियोजनाएं लंबित थीं. आने वाले समय में प्रदेश में बुंदेलखण्ड, चंबल और मालवा क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का उल्लेखनीय विकास होगा. इन परियोजनाओं से मध्य प्रदेश का नक्शा बदलेगा.
उन्होंने कहा कि अनेक राष्ट्रों में कम क्षेत्र में अधिक अनाज उत्पादन का कार्य हो रहा है. मध्यप्रदेश में जहां उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों को कृषि संकाय के महत्व से अवगत करवाकर आवश्यक अध्ययन और अनुसंधान की व्यवस्थाएं की जा रही हैं वहीं लाभकारी फसलों के उत्पादन को महत्व दिया जा रहा है. कृषि के सहयोगी पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्राथमिकताएं निर्धारित की गई हैं. मुख्यमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालय में आगमन के लिए उप राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया, साथ ही राजमाता विजयाराजे सिंधिया एवं दत्तोपंत ठेंगड़ी का श्रद्धाभाव के साथ स्मरण कर उनके द्वारा समाज व देश हित में किए गए कार्यों को रेखांकित किया.
देश में कृषि के क्षेत्र में हो रहे हैं क्रांतिकारी काम: सिंधिया
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम हो रहे हैं. इसी तरह मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा मध्यप्रदेश में सिंचाई सुविधाओं को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है. केन बेतवा एवं काली सिंध-पार्वती व चंबल नदी जोड़ों परियोजना इसी का प्रतिफल है. उन्होंने कहा कि देश अमृतकाल से शताब्दी काल की ओर अग्रसर है. सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक देश आत्मनिर्भर ही नहीं, विश्व गुरू के रूप में स्थापित हो. उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थियों से कहा कि आप सब कल का भारत हो, इसलिये देश के विकास की दिशा में नई क्रांति लाने के वाहक बनें. सिंधिया ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सदकार्यों पर भी प्रकाश डाला.
आरंभ में उपराष्ट्रपति धनखड़ सहित सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया. स्वागत उदबोधन विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला ने दिया. कार्यक्रम का आगाज एवं समापन राष्ट्रगान जन-गण-मन के गायन के साथ हुआ.
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तोमर
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