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मप्रः जम्मू-कश्मीर में बलिदान हुए जवान का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

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-दोनों बेटों ने दी मुखाग्नि, नम आंखों से हजारों लोगों ने दी अंतिम विदाई

भोपाल, 06 नवंबर . जम्मू-कश्मीर के राजौरी में शहीद हुए मध्य प्रदेश के आर्मी जवान बद्रीलाल यादव (32) का बुधवार को आगर मालवा जिले के पैतृक गांव नरवल में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री तथा उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल ने नरवल पहुंचकर बलिदानी की पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी. बलिदानी बद्रीलाल यादव के दोनों पुत्रों ने उन्हें पार्थिव देह को मुखाग्नि दी और हजारों नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी.

बलिदानी की पार्थिव देह को पहले इंदौर एयरपोर्ट लाया गया, जहां से सड़क मार्ग द्वारा पैतृक गांव नरवल ले जाया गया. पूरे मार्ग में आमजन ने पार्थिव देह पर पुष्प-वर्षा कर बलिदानी नायक बद्रीलाल यादव को सच्ची श्रद्धांजलि दी. गांव में अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव देह को रखा गया, जहां हजारों लोगों के दर्शन कर पुष्पांजलि दी. बलिदान नायक बद्रीलाल यादव को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी गई.

वे भारतीय सेना की 63वीं राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के इलेक्ट्रॉनिक एंड मैकेनिकल इंजीनियर (EME) विभाग में सेवा दे रहे थे. गत सोमवार की रात राजौरी में पेट्रोलिंग के दौरान नायक बद्रीलाल यादव कर्त्तव्य की बलिवेदी पर बलिदान हुए थे.

बलिदानी बद्रीलाल यादव के चाचा और रिटायर्ड फौजी निर्भय सिंह यादव ने बताया कि सोमवार शाम 7.30 बजे बद्रीलाल की पत्नी निशा से मोबाइल पर बात हुई थी. गाड़ी खराब होने की जानकारी देते हुए उसने कहा था कि एक घंटे में यहां से यूनिट पहुंच जाऊंगा, फिर कॉल करता हूं... फोन कट करने के करीब एक घंटे बाद ही रात 8.40 बजे हादसा हो गया.

उन्होंने बताया कि बद्रीलाल का जन्म 02 मार्च 1992 को हुआ था. पिता हीरालाल खेती करते थे, जिनका निधन हो चुका है. परिवार में मां रूखमा बाई, पत्नी निशा, दो बेटे राजवीर और पीयूष हैं. बद्रीलाल का बड़ा भाई गोपाल पीथमपुर में केबल फैक्टरी में इंजीनियर है. दो बहनें भगवती और मीरा हैं. पिता के निधन और दोनों बेटों के गांव से बाहर चले जाने से खेती चाचा का परिवार संभाल रहा था. साल 2012 में बतौर इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियर सेना में चयन के बाद बद्रीलाल की ट्रेनिंग भोपाल में हुई. उसके बाद वे जम्मू, पंजाब, साउथ सूडान, असम, सिकंदराबाद के बाद अभी जम्मू कश्मीर के राजौरी में पदस्थ थे.

तोमर

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