Top News
Next Story
Newszop

Chhath Puja History: छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई, जानिए इस पर्व का इतिहास और महत्व

Send Push

Chhath Puja History (बिहार में छठ पूजा क्यों मनाया जाता है): छठ पूजा का पर्व प्राचीन काल से ही मनाया जाता आ रहा है। मान्यताओं अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति को हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है। लेकिन मुख्य रूप से छठ व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना से रखती हैं। वहीं ये व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए भी खास माना जाता है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की अराधना की जाती है। यह एक मात्र ऐसा व्रत है जिसमें चढ़ते सूरज की जगह डूबते सूरज की पूजा होती है। ये पर्व मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड में मनाया जाता है।


छठ पूजा 2024 की तिथियां (Chhath Puja 2024 Dates)
• छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय

• छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
• छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-संध्या अर्घ्य

• छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य

छठ पूजा का इतिहास (History Of Chhath Puja In Hindi)
छठ पर्व से जुड़ी एक पौराणिक लोक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस लौटे तो कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन ही राम राज्य की स्थापना हो रही थी, उस दिन भगवान राम और माता सीता ने व्रत रखा और सूर्य देव की आराधना की। कहत हैं सप्तमी के दिन सूर्योदय के समय उन्होंने पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। ऐसा माना जाता है, कि तब से लेकर आज तक छठ पर्व के दौरान ये परंपरा चली आ रही है।

छठ पूजा की शुरुआत किसने की (Who Started Chhath Puja)
मान्यता के अनुसार छठ महापर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। क्योंकि सूर्य पूजा की शुरुआत सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण के द्वारा हुई थी। कहा जाता है कि कर्ण प्रतिदिन सूर्य देव की पूजा करते थे। वह हर दिन घंटों तक कमर जितने पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया करते थे। कहते हैं कर्ण के महान योद्धा बनने के पीछे सूर्य देव की ही कृपा थी। आज के समय में भी महिलाएं पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।

छठ पर्व क्यों मनाया जाता है (Why Chhath Puja Is Celebrated)
छठ पूजा से जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार द्वापर युग में जब पांडवों को 12 वर्षो का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास प्राप्त हुए था तो पांडवो की पत्नी द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था। कहते हैं सूर्य देव के आशीर्वाद से पांडवो को साहस और तेज प्राप्त हुआ जिससे की उन्होंने महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त की।

छठ की कहानी (Chhath Puja Ki Kahani)
पुराणों के अनुसार राजा प्रियंवद को संतान प्राप्ति की इच्छा थी लेकिन लाख उपायों के बाद भी उन्हें संतान नहीं हो रही थी। तब उन्होंने महर्षि कश्यप की सहायता ली।तब महर्षि कश्यप ने राजा प्रियंवद की ये इच्छा पूरी करने के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया और राजा प्रियंवद की पत्नी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर खाने के लिए दी। इस यज्ञ के फलस्वरूप दोनों को एक पुत्र रत्न की प्राप्ति तो हुई लेकिन दुर्भाग्य से ये बच्चा मृत पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागने लगे। लेकिन वैसे ही भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने प्रियंवद से उनकी पूजा करने के लिए कहा। राजा ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से देवी षष्ठी (देवसेना) का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। कहते हैं ये पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को हुई थी। कहते हैं तभी से संतान प्राप्ति के लिए छठ पूजा का व्रत किया जाने लगा।
Loving Newspoint? Download the app now