इंटरनेट डेस्क। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस समय श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। पितृ पक्ष का नाम आते ही सबसे पहले गयाजी की चर्चा होती है। बिहार के गया में हर साल इस दौरान भव्य मेला लगता है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचकर अपने पितरों का पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि गयाजी में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा तृप्त होती है। लेकिन अगर किसी कारणवश आप गया जी नहीं पहुंच पाते हैं तो ऐसे में आप इन जगहों पर भी श्राद्ध कर सकते हैं।
घर पर
अगर कोई व्यक्ति किसी कारणवश गयाजी नहीं जा पाता है, तो ऐसे में घर की दक्षिण दिशा में भी श्राद्ध किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए किसी विद्वान पंडित अवश्य बुलाएं।
हरिद्वार का महत्व
हरिद्वार को ‘हरि का द्वार’ कहा जाता है। यहां गंगा नदी में स्नान और श्राद्ध का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि गंगा तट पर बैठकर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
काशी
काशी भगवान शिव की नगरी है और इसे मोक्षदायिनी भी कहा जाता है। यहां गंगा घाटों पर श्राद्ध करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि वाराणसी में पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
प्रयागराज संगम
प्रयागराज को ‘तीर्थराज’ कहा जाता है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। ऐसे में मान्यता है कि संगम तट पर श्राद्ध करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
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