वॉशिंगटन डी.सी.: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ नीति पर एक बड़ा और चौंकाने वाला बदलाव किया है। ट्रंप सरकार ने अब यह साफ कर दिया है कि स्मार्टफोन, लैपटॉप, सेमीकंडक्टर और कई जरूरी इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर अब रेसिप्रोकल टैरिफ (जवाबी शुल्क) नहीं लगाया जाएगा।
यह फैसला उन कंपनियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो दुनियाभर में स्मार्ट डिवाइसेज और कंप्यूटर हार्डवेयर का निर्माण करती हैं, जैसे कि Apple, Samsung, Dell और प्रमुख चिप निर्माता कंपनियां।
💡 अचानक क्यों बदला ट्रंप ने फैसला?इस फैसले के पीछे कई अहम आर्थिक वजहें छुपी हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी थी कि यदि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर टैरिफ लगाया गया, तो इसके दुष्परिणाम सीधे आम लोगों और अमेरिकी कंपनियों पर पड़ेंगे।
विशेषज्ञों का कहना था कि स्मार्टफोन, लैपटॉप और चिप्स जैसे प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगने से कीमतों में इजाफा होना तय था। इसका असर अमेरिकी बाजार पर भी पड़ता, क्योंकि Apple और Dell जैसी कंपनियां अपने ज्यादातर प्रोडक्ट चीन और एशिया के अन्य देशों में बनवाती हैं।
⚙️ चिप इंडस्ट्री ने भी जताई थी चिंतासेमीकंडक्टर इंडस्ट्री ने भी ट्रंप प्रशासन पर दबाव बनाया था। पहले से ही वैश्विक स्तर पर चिप की कमी बनी हुई है, और यदि इस पर टैरिफ लगा दिया जाता तो यह संकट और गहरा हो सकता था।
इसी वजह से ट्रंप ने इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के लिए अलग रास्ता अपनाते हुए टैरिफ से छूट देने का ऐलान किया।
📋 इन प्रोडक्ट्स पर अब नहीं लगेगा टैरिफअमेरिकी सरकार ने जिन उत्पादों को जवाबी शुल्क की लिस्ट से हटाया है, उनमें शामिल हैं:
- ऑटोमैटिक डाटा प्रोसेसिंग मशीन
- मशीनों में लगने वाले इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे
- सभी ब्रांड के स्मार्टफोन
- राउटर और नेटवर्क स्विच
- NAND फ्लैश मेमोरी यूनिट
- माउंटेड पीजोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल
- ट्रांजिस्टर
इसके अलावा कई और तकनीकी उपकरणों को भी इस छूट की लिस्ट में शामिल किया गया है।
💬 टेक इंडस्ट्री में खुशी की लहरट्रंप सरकार के इस फैसले का तकनीकी दुनिया ने स्वागत किया है। कंपनियों का कहना है कि यह फैसला बेहद "समय पर और व्यावहारिक" है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम अमेरिकी बाजार में उपभोक्ता कीमतों को स्थिर रखने और सप्लाई चेन को सामान्य बनाए रखने में मदद करेगा।
साफ है कि इस फैसले के जरिए ट्रंप प्रशासन ने यह संकेत दिया है कि अमेरिका फिलहाल टेक्नोलॉजी सेक्टर की आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता देना चाहता है, बजाय टैरिफ के जरिए ट्रेड वॉर को और बढ़ाने के।
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