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वरुथिनी एकादशी: वरुथिनी एकादशी पर भगवान विष्णु को क्या प्रसाद चढ़ाना चाहिए?

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इस वर्ष वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की वरूथिनी एकादशी का व्रत 24 मार्च, गुरुवार को रखा जाएगा। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसलिए इस दिन पड़ने वाली एकादशी को बहुत शुभ माना जाता है। गुरुवार और वरूथिनी एकादशी का संयोग होने के कारण इस दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है तथा भय और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यदि आप भी वरूथिनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंदीदा चीजें अर्पित करें और उनका आशीर्वाद लें। जानें वरुथिनी एकादशी पर नैवेद्य के रूप में क्या चीजें अर्पित करनी चाहिए और इसके क्या लाभ हैं

वरूथिनी एकादशी कब है?

पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि बुधवार, 23 अप्रैल को शाम 4.43 बजे शुरू होगी और गुरुवार, 24 अप्रैल को दोपहर 2.32 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार वरूथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल, गुरुवार को रखा जाएगा।

 

वरुथिनी एकादशी पर नैवेद्य चढ़ाने के नियम बासी भोजन

भगवान को सदैव ताजा एवं शुद्ध भोजन ही अर्पित करें। बासी या बचा हुआ भोजन चढ़ाना अशुभ माना जाता है।

नमक

चूंकि एकादशी व्रत के दौरान नमक का सेवन वर्जित है, इसलिए भगवान को भोग लगाते समय भी नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए।

चावल

एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता है, इसलिए भगवान को अर्पित किए जाने वाले भोग में चावल से बनी चीजें शामिल न करें।

तुलसी के पत्तों का प्रसाद दिखाएं

भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है। इसलिए प्रसाद में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें। तुलसी के बिना प्रसाद अधूरा माना जाता है।

 

अशुद्ध मन और अशुद्धता

भोजन कराते समय मन शांत एवं शुद्ध होना चाहिए। प्रसाद को अशुद्ध अवस्था में नहीं चढ़ाना चाहिए। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद ही भगवान को भोग लगाना चाहिए।

आलस्य से बचें.

भोग शांति और प्रेम से अर्पित किया जाना चाहिए। परमेश्‍वर जल्दबाजी या लापरवाही से चढ़ाए गए प्रसाद को स्वीकार नहीं करता।

दूसरों द्वारा दी गई खुशी

केवल वही भोजन अर्पित करें जो आपने स्वयं तैयार किया हो या शुद्ध मन से लाया हो। ऐसा भोजन न दें जो आपको किसी और ने दिया हो या जो पहले से इस्तेमाल किया जा चुका हो।

वरूथिनी एकादशी का महत्व

वरुथिनी एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व भक्तों के लिए बहुत अधिक है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका व्रत करने से भक्तों को कई आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से कई जन्मों में किये गए पाप धुल जाते हैं। इस एकादशी का व्रत मोक्ष प्राप्ति के लिए उपयोगी माना जाता है।

इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर भगवान विष्णु के परम धाम में स्थान प्राप्त करता है। वरूथिनी एकादशी का व्रत सौभाग्य और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। ऐसा करने से जीवन में सुख, शांति, धन और यश की प्राप्ति होती है। यह एकादशी भगवान विष्णु से विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने का दिन है। इस दिन पूजा और व्रत करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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