बाकू: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान के जो भी मिसाइल चलाए थे, उसे चीनी HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम रोकने में नाकाम रहा था। चाहे वो स्कैल्प मिसाइलें हों या ब्रह्मोस मिसाइल। चीन का एयर डिफेंस सिस्टम ना सिर्फ नाकाम रहा था, बल्कि भारत ने ड्रोन हमलों में उसे तबाह भी कर दिया था। फिर भी पाकिस्तान के दोस्त अजरबैजान वायु सेना ने चीनी HQ-9B लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की पुष्टि की है। अजरबैजान की राजधानी बाकू में एक सैन्य परेड रिहर्सल में इस सिस्टम के एक लॉन्चर का प्रदर्शन किया गया है।
पश्चिमी देशों के साथ साथ इजरायल के साथ भी अच्छे संबंध होने के बाद भी अजरबैजान ने चीनी एयर डिफेंस सिस्टम में अपना भरोसा जताया है। हाल ही में अजरबैजान ने पाकिस्तान से भी JF-17 ब्लॉक III फाइटर जेट खरीदे हैं, जिसकी डिलीवरी शुरू होने की रिपोर्ट पिछले महीने आई थी। HQ-9B सिस्टम, चीन के पुराने रूसी S-300PMU-2 सिस्टम का आधुनिक उत्तराधिकारी बनकर उभरा है।
अजरबैजान खरीदगा चीनी HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम
चीन का दावा रहा है कि HQ-9B, आज दुनिया के सबसे एडवांस लंबी दूरी के एयर डिफेंस सिस्मम में से एक है। यह प्रणाली 250 किलोमीटर तक के दायरे में हवाई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता रखती है और 360 डिग्री रडार कवरेज प्रदान करती है। कुछ विशेषज्ञ इसे रूस के S-400 और अमेरिका के MIM-104 पैट्रियट सिस्टम के समान, बल्कि कुछ मामलों में अधिक ज्यादा प्रभावी मानते हैं। चीन की यह प्रणाली अब तक पाकिस्तान, अल्जीरिया, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और हाल में मिस्र तक पहुंच चुकी है। कई सूत्रों का कहना है कि मोरक्को ने भी इसे गुप्त रूप से हासिल किया है, जिससे यह साफ होता है कि बीजिंग अब रूस की पारंपरिक रक्षा निर्यात बाजारों में जगह बना रहा है।
हालांकि इतने दावों के बाद भी HQ-9B की भारतीय मिसाइलों को रोकने में नाकामी ने इस सिस्टम की कमजोरी को उजागर कर दिया है। लाहौर में भारतीय ड्रोन ने इसके रडार को तबाह किया था। लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीनी हथियार काफी आसानी से और बिना किसी शर्त के साथ आते हैं, इसीलिए ज्यादातर देश इसे खरीद रहे हैं। इसके अलावा इसकी कीमत भी काफी कम होती है। खासकर ऐसे देश, जिन्होंने रूसी विमानों का इस्तेमाल किया है, उनके लिए इस एयर डिफेंस का इंटीग्रेशन आसान हो जाता है। जुलाई 2025 में रिपोर्टों के मुताबिक, चीन ने ईरान को भी लंबी दूरी की एयर डिफेंस प्रणाली दी है, जो संभवतः HQ-9B ही है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। ईरान को डिलीवरी उस समय हुई जब इजरायल ने ईरान पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए थे।
पश्चिमी देशों के साथ साथ इजरायल के साथ भी अच्छे संबंध होने के बाद भी अजरबैजान ने चीनी एयर डिफेंस सिस्टम में अपना भरोसा जताया है। हाल ही में अजरबैजान ने पाकिस्तान से भी JF-17 ब्लॉक III फाइटर जेट खरीदे हैं, जिसकी डिलीवरी शुरू होने की रिपोर्ट पिछले महीने आई थी। HQ-9B सिस्टम, चीन के पुराने रूसी S-300PMU-2 सिस्टम का आधुनिक उत्तराधिकारी बनकर उभरा है।
अजरबैजान खरीदगा चीनी HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम
चीन का दावा रहा है कि HQ-9B, आज दुनिया के सबसे एडवांस लंबी दूरी के एयर डिफेंस सिस्मम में से एक है। यह प्रणाली 250 किलोमीटर तक के दायरे में हवाई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता रखती है और 360 डिग्री रडार कवरेज प्रदान करती है। कुछ विशेषज्ञ इसे रूस के S-400 और अमेरिका के MIM-104 पैट्रियट सिस्टम के समान, बल्कि कुछ मामलों में अधिक ज्यादा प्रभावी मानते हैं। चीन की यह प्रणाली अब तक पाकिस्तान, अल्जीरिया, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और हाल में मिस्र तक पहुंच चुकी है। कई सूत्रों का कहना है कि मोरक्को ने भी इसे गुप्त रूप से हासिल किया है, जिससे यह साफ होता है कि बीजिंग अब रूस की पारंपरिक रक्षा निर्यात बाजारों में जगह बना रहा है।
हालांकि इतने दावों के बाद भी HQ-9B की भारतीय मिसाइलों को रोकने में नाकामी ने इस सिस्टम की कमजोरी को उजागर कर दिया है। लाहौर में भारतीय ड्रोन ने इसके रडार को तबाह किया था। लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीनी हथियार काफी आसानी से और बिना किसी शर्त के साथ आते हैं, इसीलिए ज्यादातर देश इसे खरीद रहे हैं। इसके अलावा इसकी कीमत भी काफी कम होती है। खासकर ऐसे देश, जिन्होंने रूसी विमानों का इस्तेमाल किया है, उनके लिए इस एयर डिफेंस का इंटीग्रेशन आसान हो जाता है। जुलाई 2025 में रिपोर्टों के मुताबिक, चीन ने ईरान को भी लंबी दूरी की एयर डिफेंस प्रणाली दी है, जो संभवतः HQ-9B ही है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। ईरान को डिलीवरी उस समय हुई जब इजरायल ने ईरान पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए थे।
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