कीव: रूस ने जब फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला किया था, उस वक्त जेलेंस्की के देश के पास नाम मात्र की ही वायुसेना थी। यूक्रेन के पास सिर्फ 98 लड़ाकू विमान थे, जिनमें से आधे ही ऑपरेशनल थे। फ्लाइटग्लोबल की विश्व वायु सेना 2022 रिपोर्ट के मुताबिक, कीव के पास कोई पश्चिमी लड़ाकू विमान नहीं थे और उसके पास पुराने सोवियत विमान थे, जिनमें 43 मिग-29, 12 एसयू-24, 17 एसयू-25 और 26 एसयू-27 शामिल थे।
माना जा रहा है कि यूक्रेन की अल्पविकसित वायु सेना की वजह से ही शायद व्लादिमीर पुतिन ने आक्रमण करने का फैसला किया। पुतिन ने अनुमान था कि रूस कुछ ही दिनों में यूक्रेन के आसमान पर कंट्रोल हासिल कर लेगा और रूसी लड़ाकू विमानों और बमवर्षकों की विशाल मारक क्षमता, एक हफ्ते के भीतर ही कीव को घुटने टेकने पर मजबूर कर देगी। लेकिन पुतिन का अनुमान गलत निकला। यूक्रेन के पास एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम था, जिसने अभी तक रूसी लड़ाकू विमानों को आसमान पर कंट्रोल नहीं करने दिया है। हालांकि यूक्रेन के पास एडवांस लड़ाकू विमान नहीं होना उसकी सबसे बड़ी कमजोरी रही।
यूक्रेन बनाएगा एडवांस एयरफोर्स
अपनी गलतियों से सबक सीखते हुए यूक्रेन ने एक एडवांस एयरफोर्स बनाने का फैसला किया है। यूक्रेन एक ऐसी वायु सेना बनाने की तैयारी में जुट गया है, जो रूस के साथ मौजूदा युद्ध के बाद भी कीव की सेवा करेगी। यूक्रेन ने विजन 2035 दस्तावेज तैयार कर लिया है और राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। इस दस्तावेज के मुताबिक यूक्रेन 250 से ज्यादा लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बना रहा है और इसके लिए जेलेंस्की एक साथ तीन-तीन यूरोपीय देशों से बात कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत स्वीडन से ग्रिपेन ई, फ्रांस से राफेल फाइटर जेट और अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बनाई गई है।
इसी महीने जेलेंस्की ने स्वीडन की यात्रा के दौरान 100 से 150 यूनिट Saab JAS 39 Gripen E लड़ाकू विमान खरीदने के लिए समझौता किया है। बताया जा रहा है कि अगर यह डील पूरी तरह लागू हुई तो यूक्रेन दुनिया का सबसे बड़ा ग्रिपेन फाइटर जेट का ऑपरेटर बन जाएगा। इसकी पहली डिलीवरी 2027-28 से शुरू होगी और 2035 तक पूरी वायुसेना नया रूप ले लेगी। जेलेंस्की ने कहा है कि Gripen को चुनने के पीछे इसकी मेंटेनेंस लागत कम होना और ऑपरेशन आसान होना है। इसे हाईवे पर भी लैंड कराया जा सकता है और यह यूक्रेन के मौजूदा मिसाइल सिस्टम्स के साथ पूरी तरह इंटीग्रेट हो सकता है।
राफेल और F-16 भी खरीदने की तैयारी में जेलेंस्की
जेलेंस्की ने खुलासा किया है कि यूक्रेनी वायुसेना को एडवांस बनाने के लिए एफ-16 और राफेल को लेकर भी बात चल रही है। जेलेंस्की ने कहा, "मैं विमानों के संबंध में तीन समानांतर बातचीत कर रहा हूं, स्वीडन, फ्रांस और अमेरिका के साथ।" आपको बता दें कि यूक्रेन पहले से ही F-16 विमानों का संचालन कर रहा है। युद्ध शुरू होने के बाद नाटो देशों ने उसे 80 पुराने F-16 विमान देने का वादा किया है। जिनमें से अभी भी 50 एफ-16 यूक्रेन को सौंपे जा चुके हैं। इनका इस्तेमाल यूक्रेन ने करना भी शुरू कर दिया है। इसके अलावा फ्रांस ने सैन्य सहायता पैकेज के तहत यूक्रेन को 20 मिराज 2000-5F लड़ाकू विमानों की भी पेशकश की है। ये मिराज हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने में सक्षम हैं और SCALP-EG मिसाइलें और AASM बम दाग सकते हैं।
लेकिन सबसे ज्यादा दिलचस्पी यूक्रेन के राफेल फाइटर जेट डील को लेकर है। हालांकि, फ्रांस ने यूक्रेन को साल 2021 में राफेल की पेशकश की थी, लेकिन उस वक्त बात आगे नहीं बढ़ी और फिर 2022 में युद्ध शुरू हो गया। अगर यूक्रेन राफेल के सौदे को अंतिम रूप दे देता है, तो वह इस लड़ाकू विमान का नौवां अंतरराष्ट्रीय ग्राहक और फ्रांसीसी विमान का ऑर्डर देने वाला चौथा यूरोपीय देश बन जाएगा। अब तक, भारत, इंडोनेशिया, कतर, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात (एशिया से) ने इस विमान का ऑर्डर दिया है। वहीं, यूरोप में, ग्रीस, क्रोएशिया और सर्बिया पहले ही राफेल के लिए ऑर्डर दे चुके हैं। माना जा रहा है कि यूक्रेन को मेटियोर मिसाइल भी मिल सकता है, जो हवा से हवा में मार करने वाली विनाशक मिसाइल है। यानि यूक्रेन आने वाले वक्त में अपनी वायुसेना को इतना एडवांस बनाने के मिशन पर जुट गया है कि रूस को हमला करने से पहले सौ बार सोचना पड़े।
माना जा रहा है कि यूक्रेन की अल्पविकसित वायु सेना की वजह से ही शायद व्लादिमीर पुतिन ने आक्रमण करने का फैसला किया। पुतिन ने अनुमान था कि रूस कुछ ही दिनों में यूक्रेन के आसमान पर कंट्रोल हासिल कर लेगा और रूसी लड़ाकू विमानों और बमवर्षकों की विशाल मारक क्षमता, एक हफ्ते के भीतर ही कीव को घुटने टेकने पर मजबूर कर देगी। लेकिन पुतिन का अनुमान गलत निकला। यूक्रेन के पास एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम था, जिसने अभी तक रूसी लड़ाकू विमानों को आसमान पर कंट्रोल नहीं करने दिया है। हालांकि यूक्रेन के पास एडवांस लड़ाकू विमान नहीं होना उसकी सबसे बड़ी कमजोरी रही।
यूक्रेन बनाएगा एडवांस एयरफोर्स
अपनी गलतियों से सबक सीखते हुए यूक्रेन ने एक एडवांस एयरफोर्स बनाने का फैसला किया है। यूक्रेन एक ऐसी वायु सेना बनाने की तैयारी में जुट गया है, जो रूस के साथ मौजूदा युद्ध के बाद भी कीव की सेवा करेगी। यूक्रेन ने विजन 2035 दस्तावेज तैयार कर लिया है और राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। इस दस्तावेज के मुताबिक यूक्रेन 250 से ज्यादा लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बना रहा है और इसके लिए जेलेंस्की एक साथ तीन-तीन यूरोपीय देशों से बात कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत स्वीडन से ग्रिपेन ई, फ्रांस से राफेल फाइटर जेट और अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बनाई गई है।
इसी महीने जेलेंस्की ने स्वीडन की यात्रा के दौरान 100 से 150 यूनिट Saab JAS 39 Gripen E लड़ाकू विमान खरीदने के लिए समझौता किया है। बताया जा रहा है कि अगर यह डील पूरी तरह लागू हुई तो यूक्रेन दुनिया का सबसे बड़ा ग्रिपेन फाइटर जेट का ऑपरेटर बन जाएगा। इसकी पहली डिलीवरी 2027-28 से शुरू होगी और 2035 तक पूरी वायुसेना नया रूप ले लेगी। जेलेंस्की ने कहा है कि Gripen को चुनने के पीछे इसकी मेंटेनेंस लागत कम होना और ऑपरेशन आसान होना है। इसे हाईवे पर भी लैंड कराया जा सकता है और यह यूक्रेन के मौजूदा मिसाइल सिस्टम्स के साथ पूरी तरह इंटीग्रेट हो सकता है।
राफेल और F-16 भी खरीदने की तैयारी में जेलेंस्की
जेलेंस्की ने खुलासा किया है कि यूक्रेनी वायुसेना को एडवांस बनाने के लिए एफ-16 और राफेल को लेकर भी बात चल रही है। जेलेंस्की ने कहा, "मैं विमानों के संबंध में तीन समानांतर बातचीत कर रहा हूं, स्वीडन, फ्रांस और अमेरिका के साथ।" आपको बता दें कि यूक्रेन पहले से ही F-16 विमानों का संचालन कर रहा है। युद्ध शुरू होने के बाद नाटो देशों ने उसे 80 पुराने F-16 विमान देने का वादा किया है। जिनमें से अभी भी 50 एफ-16 यूक्रेन को सौंपे जा चुके हैं। इनका इस्तेमाल यूक्रेन ने करना भी शुरू कर दिया है। इसके अलावा फ्रांस ने सैन्य सहायता पैकेज के तहत यूक्रेन को 20 मिराज 2000-5F लड़ाकू विमानों की भी पेशकश की है। ये मिराज हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने में सक्षम हैं और SCALP-EG मिसाइलें और AASM बम दाग सकते हैं।
लेकिन सबसे ज्यादा दिलचस्पी यूक्रेन के राफेल फाइटर जेट डील को लेकर है। हालांकि, फ्रांस ने यूक्रेन को साल 2021 में राफेल की पेशकश की थी, लेकिन उस वक्त बात आगे नहीं बढ़ी और फिर 2022 में युद्ध शुरू हो गया। अगर यूक्रेन राफेल के सौदे को अंतिम रूप दे देता है, तो वह इस लड़ाकू विमान का नौवां अंतरराष्ट्रीय ग्राहक और फ्रांसीसी विमान का ऑर्डर देने वाला चौथा यूरोपीय देश बन जाएगा। अब तक, भारत, इंडोनेशिया, कतर, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात (एशिया से) ने इस विमान का ऑर्डर दिया है। वहीं, यूरोप में, ग्रीस, क्रोएशिया और सर्बिया पहले ही राफेल के लिए ऑर्डर दे चुके हैं। माना जा रहा है कि यूक्रेन को मेटियोर मिसाइल भी मिल सकता है, जो हवा से हवा में मार करने वाली विनाशक मिसाइल है। यानि यूक्रेन आने वाले वक्त में अपनी वायुसेना को इतना एडवांस बनाने के मिशन पर जुट गया है कि रूस को हमला करने से पहले सौ बार सोचना पड़े।
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