नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल भारत आने वाले हैं। उनकी इस यात्रा में एक खास मुद्दे पर बात हो सकती है। रूस, भारत में सुखोई लड़ाकू विमानों का साथ मिलकर उत्पादन करना चाहता है। मतलब, रूस चाहता है कि ये विमान भारत में भी बनें। इस बारे में दोनों देशों के बीच पहले से ही बातचीत चल रही है। अब इस पर और तेजी से काम हो सकता है। दोनों देश अपने रक्षा संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। इसलिए यह प्रस्ताव और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह प्रस्ताव सिर्फ Su-30MKI जैसे विमानों को बनाने तक ही सीमित नहीं है। इसमें नई तकनीक का इस्तेमाल करके और भी आधुनिक विमान बनाने की बात है। इससे भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। साथ ही, भारतीय वायुसेना (IAF) के पुराने होते विमानों को बदलने में भी मदद मिलेगी।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को मिल सकता है बड़ा काम
मई में पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत आने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था। दोनों देशों के बीच हर साल उच्च-स्तरीय बैठक होती है। इस बार पुतिन की यात्रा में इस प्रस्ताव पर खास ध्यान दिया जाएगा। रूस वाला नया प्रस्ताव महाराष्ट्र के नासिक शहर से जुड़ा है। नासिक में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का एक कारखाना है। यह कारखाना पहले से ही रूस से लाइसेंस लेकर Su-30MKI के घरेलू असेंबली लाइन की तरह काम कर रहा है। CNBC-TV18 ने पिछले महीने खबर दी थी कि भारत सरकार रूस के साथ मिलकर SU-57 लड़ाकू विमान बनाने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है। इसकी एक वजह यह है कि HAL के पास नासिक में Su-30 विमान बनाने की लाइन पहले से ही मौजूद है। भारत सरकार पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के इंजन को भी देश में ही बनाने पर विचार कर रही है। इस काम में सफरान (Safran) और रोल्स रॉयस (Rolls-Royce) जैसी कंपनियां मदद कर सकती हैं। उन्होंने भारत को 100% तकनीक देने का प्रस्ताव दिया है।
नासिक में विमान के कुछ हिस्से बनाने का दिया प्रस्ताव
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार रूस ने अब नासिक में अगली पीढ़ी के विमानों और Su-57E के कुछ हिस्सों को भी बनाने का प्रस्ताव दिया है। इससे नासिक के कारखाने का इस्तेमाल हो सकेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बने हुए विमानों को भारतीय वायुसेना की जरूरत के हिसाब से बदला जा सकेगा। साथ ही, भारत और रूस मिलकर दूसरे देशों को भी इन विमानों का निर्यात कर सकते हैं। यह प्रस्ताव भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' योजनाओं के साथ मेल खाता है। इससे भारत को दूसरे देशों से विमान खरीदने के बजाय अपने देश में ही विमान बनाने का मौका मिलेगा। खासकर तब, जब दूसरे देशों से विमान खरीदने में देरी हो रही है।
Su-35M और Su-57E के लिए मिला है प्रस्ताव
इसी रिपोर्ट में डिफेंस ब्लॉग के हवाले से बताया गया है कि प्रस्ताव दो विमानों Su-35M और Su-57E के लिए है। Su-35M एक आधुनिक 4++ पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह रडार से बच सकता है और लंबी दूरी तक हमला कर सकता है। यह विमान तुरंत इस्तेमाल के लिए तैयार है। भारत के पास लड़ाकू विमानों की संख्या कम हो रही है, इसलिए यह विमान एक अच्छा विकल्प हो सकता है। वहीं. Su-57E, रूस के पांचवीं पीढ़ी के विमान Su-57 का निर्यात संस्करण है। इस बार रूस तकनीक को साझा करने और भारत में ही विमान बनाने के लिए ज्यादा तैयार है।
भारत को इन विमानों की जरूरत क्यों है?
भारतीय वायुसेना के पास अभी सिर्फ 31-33 स्क्वाड्रन हैं। जबकि, चीन और पाकिस्तान से खतरे को देखते हुए भारत को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है। पुराने MiG-21 और जगुआर विमानों को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है। इसलिए भारत को तुरंत नए विमानों की जरूरत है। फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने से कुछ कमी पूरी हुई है। लेकिन, भारत को अभी और भी विमान खरीदने हैं। तेजस एमके2 (Tejas Mk2) और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Advanced Medium Combat Aircraft-AMCA) जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं। लेकिन, इन विमानों को पूरी तरह से तैयार होने में अभी कुछ साल लगेंगे। ऐसे में, रूस का प्रस्ताव भारत के लिए सही समय पर आया है और यह किफायती भी हो सकता है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को मिल सकता है बड़ा काम
मई में पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत आने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था। दोनों देशों के बीच हर साल उच्च-स्तरीय बैठक होती है। इस बार पुतिन की यात्रा में इस प्रस्ताव पर खास ध्यान दिया जाएगा। रूस वाला नया प्रस्ताव महाराष्ट्र के नासिक शहर से जुड़ा है। नासिक में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का एक कारखाना है। यह कारखाना पहले से ही रूस से लाइसेंस लेकर Su-30MKI के घरेलू असेंबली लाइन की तरह काम कर रहा है। CNBC-TV18 ने पिछले महीने खबर दी थी कि भारत सरकार रूस के साथ मिलकर SU-57 लड़ाकू विमान बनाने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है। इसकी एक वजह यह है कि HAL के पास नासिक में Su-30 विमान बनाने की लाइन पहले से ही मौजूद है। भारत सरकार पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के इंजन को भी देश में ही बनाने पर विचार कर रही है। इस काम में सफरान (Safran) और रोल्स रॉयस (Rolls-Royce) जैसी कंपनियां मदद कर सकती हैं। उन्होंने भारत को 100% तकनीक देने का प्रस्ताव दिया है।
नासिक में विमान के कुछ हिस्से बनाने का दिया प्रस्ताव
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार रूस ने अब नासिक में अगली पीढ़ी के विमानों और Su-57E के कुछ हिस्सों को भी बनाने का प्रस्ताव दिया है। इससे नासिक के कारखाने का इस्तेमाल हो सकेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बने हुए विमानों को भारतीय वायुसेना की जरूरत के हिसाब से बदला जा सकेगा। साथ ही, भारत और रूस मिलकर दूसरे देशों को भी इन विमानों का निर्यात कर सकते हैं। यह प्रस्ताव भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' योजनाओं के साथ मेल खाता है। इससे भारत को दूसरे देशों से विमान खरीदने के बजाय अपने देश में ही विमान बनाने का मौका मिलेगा। खासकर तब, जब दूसरे देशों से विमान खरीदने में देरी हो रही है।
Su-35M और Su-57E के लिए मिला है प्रस्ताव
इसी रिपोर्ट में डिफेंस ब्लॉग के हवाले से बताया गया है कि प्रस्ताव दो विमानों Su-35M और Su-57E के लिए है। Su-35M एक आधुनिक 4++ पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह रडार से बच सकता है और लंबी दूरी तक हमला कर सकता है। यह विमान तुरंत इस्तेमाल के लिए तैयार है। भारत के पास लड़ाकू विमानों की संख्या कम हो रही है, इसलिए यह विमान एक अच्छा विकल्प हो सकता है। वहीं. Su-57E, रूस के पांचवीं पीढ़ी के विमान Su-57 का निर्यात संस्करण है। इस बार रूस तकनीक को साझा करने और भारत में ही विमान बनाने के लिए ज्यादा तैयार है।
भारत को इन विमानों की जरूरत क्यों है?
भारतीय वायुसेना के पास अभी सिर्फ 31-33 स्क्वाड्रन हैं। जबकि, चीन और पाकिस्तान से खतरे को देखते हुए भारत को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है। पुराने MiG-21 और जगुआर विमानों को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है। इसलिए भारत को तुरंत नए विमानों की जरूरत है। फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने से कुछ कमी पूरी हुई है। लेकिन, भारत को अभी और भी विमान खरीदने हैं। तेजस एमके2 (Tejas Mk2) और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Advanced Medium Combat Aircraft-AMCA) जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं। लेकिन, इन विमानों को पूरी तरह से तैयार होने में अभी कुछ साल लगेंगे। ऐसे में, रूस का प्रस्ताव भारत के लिए सही समय पर आया है और यह किफायती भी हो सकता है।
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