बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सीएम योगी आदित्यनाथ ने वंदे मातरम के विरोध को लेकर जोरदार हमला बोला। सीएम योगी ने बाराबंकी जिले में 1734 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं के लोकार्पण-शिलान्यास एवं अन्य लोक-कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को चेक एवं प्रमाण-पत्र का वितरण किया। इस मौके पर आयोजित जनसभा में सीएम योगी ने कहा कि लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के 150 वर्ष पूर्ण होने के साथ ही भारत के राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' ने भी अपनी रचना के 150वें वर्ष में प्रवेश किया है। उन्होंने कहा कि 1876 में वंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने इस गीत को रचकर देश की स्वतंत्रता के लिए एक मंत्र की रचना की थी। आज हम जब इस राष्ट्र गीत को गाते हैं तो हमारे मन में उस देशभक्ति की भावना को समझना चाहिए, जो इस घरा को अपनी मां के स्वरूप मानता है।
गीत को बताया मंत्रसीएम योगी ने कहा कि वंदे मातरम गीत ने जनजागरण और चेतना के विकास में अहम योगदान दिया। जिस प्रकार से यज्ञकुंड में हवन अर्पित करते हैं, उसी प्रकार देश के स्वाधीनता यज्ञ में क्रांतिकारियों के गाए जाने वाले मंत्र का यह प्रतीक है। यह गीत उस भावना को प्रदर्शित करता है कि हम जिएंगे तो देश के लिए, मरेंगे तो देश के लिए और कुछ भी योगदान देंगे तो राष्ट्र हमारे लिए प्रथम होगा। यह महज संयोग नहीं, बल्कि 'नए भारत' का दिग्दर्शन कराने वाला वर्ष है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आज भी कुछ लोग हैं, रहेंगे हिंदुस्तान में, खाएंगे हिंदुस्तान में, लेकिन 'वंदे मातरम' नहीं गाएंगे। हम उनकी मंशा को समझें। जो लोग 'वंदे मातरम' का विरोध कर रहे हैं, वे भारत माता का विरोध कर रहे हैं।
विरोध करने वालों पर तीखा प्रहारबाराबंकी की जनसभा में वंदे मातरम के विरोध करने वालों पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि आज भी कुछ लोग हैं जो हिंदुस्तान में रहते हैं, हिंदुस्तान का खाते हैं, लेकिन वंदे मातरम कहने से कतराते हैं। हमें उनकी मानसिकता को समझना होगा। सीएम योगी ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत माता की वंदना और राष्ट्रीयता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जो लोग वंदे मातरम का विरोध करते हैं, वे वास्तव में भारत माता का विरोध कर रहे हैं। यह गीत किसी धर्म, जाति या उपासना पद्धति का प्रतीक नहीं, बल्कि हमारी मातृभूमि के प्रति आभार और भक्ति का भाव है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम का अर्थ है भारत माता की वंदना। यह मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां दुर्गा के रूप में शक्ति, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह गीत हमारे मन की भावना को प्रकट करता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे वंदे मातरम के साथ जुड़कर भारत की एकता और राष्ट्रीयता को मजबूत करें।
विरोध को बताया अस्वीकार्यसीएम योगी ने कहा कि जिस गीत को सुनकर भारत के क्रांतिकारियों ने फांसी के फंदे को चूमा, आज उसी गीत का विरोध किया जा रहा है। जिस गीत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी, उसका विरोध अस्वीकार्य है। यह गीत हमारी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है और इसके विरोध के लिए इस देश में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई जाति, मत या मजहब राष्ट्र से ऊपर नहीं हो सकता। हर भारतीय को याद रखना चाहिए कि राष्ट्र प्रथम होना चाहिए।
सीएम ने कहा कि कुछ लोग शासकीय योजनाओं का लाभ लेने में सबसे आगे रहते हैं, लेकिन जब वंदे मातरम गाने की बात आती है तो पीछे हट जाते हैं। ऐसी दोहरी मानसिकता राष्ट्र के लिए घातक है।
विभाजन की राजनीति ने किया कमजोरसीएम योगी ने कहा कि जातिवाद, परिवारवाद, क्षेत्रवाद और मजहब के नाम पर विभाजन की राजनीति राष्ट्रीय एकता की सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश गुलाम कैसे हुआ था। विदेशी ताकतों ने पहले हमें आपस में लड़ाया, जाति को जाति से और समाज को समाज से भिड़ाया। फिर इसी कमजोरी का फायदा उठाकर हम पर शासन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास को केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि उससे सीखने के लिए भी देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास हमें आत्ममंथन का अवसर देता है। हमें अपनी गलतियों का परिमार्जन कर भारत के गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेनी चाहिए और भविष्य को स्वच्छ, सशक्त और समृद्ध बनाना चाहिए।
गीत को बताया मंत्रसीएम योगी ने कहा कि वंदे मातरम गीत ने जनजागरण और चेतना के विकास में अहम योगदान दिया। जिस प्रकार से यज्ञकुंड में हवन अर्पित करते हैं, उसी प्रकार देश के स्वाधीनता यज्ञ में क्रांतिकारियों के गाए जाने वाले मंत्र का यह प्रतीक है। यह गीत उस भावना को प्रदर्शित करता है कि हम जिएंगे तो देश के लिए, मरेंगे तो देश के लिए और कुछ भी योगदान देंगे तो राष्ट्र हमारे लिए प्रथम होगा। यह महज संयोग नहीं, बल्कि 'नए भारत' का दिग्दर्शन कराने वाला वर्ष है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आज भी कुछ लोग हैं, रहेंगे हिंदुस्तान में, खाएंगे हिंदुस्तान में, लेकिन 'वंदे मातरम' नहीं गाएंगे। हम उनकी मंशा को समझें। जो लोग 'वंदे मातरम' का विरोध कर रहे हैं, वे भारत माता का विरोध कर रहे हैं।
विरोध करने वालों पर तीखा प्रहारबाराबंकी की जनसभा में वंदे मातरम के विरोध करने वालों पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि आज भी कुछ लोग हैं जो हिंदुस्तान में रहते हैं, हिंदुस्तान का खाते हैं, लेकिन वंदे मातरम कहने से कतराते हैं। हमें उनकी मानसिकता को समझना होगा। सीएम योगी ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत माता की वंदना और राष्ट्रीयता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जो लोग वंदे मातरम का विरोध करते हैं, वे वास्तव में भारत माता का विरोध कर रहे हैं। यह गीत किसी धर्म, जाति या उपासना पद्धति का प्रतीक नहीं, बल्कि हमारी मातृभूमि के प्रति आभार और भक्ति का भाव है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम का अर्थ है भारत माता की वंदना। यह मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां दुर्गा के रूप में शक्ति, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह गीत हमारे मन की भावना को प्रकट करता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे वंदे मातरम के साथ जुड़कर भारत की एकता और राष्ट्रीयता को मजबूत करें।
विरोध को बताया अस्वीकार्यसीएम योगी ने कहा कि जिस गीत को सुनकर भारत के क्रांतिकारियों ने फांसी के फंदे को चूमा, आज उसी गीत का विरोध किया जा रहा है। जिस गीत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी, उसका विरोध अस्वीकार्य है। यह गीत हमारी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है और इसके विरोध के लिए इस देश में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई जाति, मत या मजहब राष्ट्र से ऊपर नहीं हो सकता। हर भारतीय को याद रखना चाहिए कि राष्ट्र प्रथम होना चाहिए।
सीएम ने कहा कि कुछ लोग शासकीय योजनाओं का लाभ लेने में सबसे आगे रहते हैं, लेकिन जब वंदे मातरम गाने की बात आती है तो पीछे हट जाते हैं। ऐसी दोहरी मानसिकता राष्ट्र के लिए घातक है।
विभाजन की राजनीति ने किया कमजोरसीएम योगी ने कहा कि जातिवाद, परिवारवाद, क्षेत्रवाद और मजहब के नाम पर विभाजन की राजनीति राष्ट्रीय एकता की सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश गुलाम कैसे हुआ था। विदेशी ताकतों ने पहले हमें आपस में लड़ाया, जाति को जाति से और समाज को समाज से भिड़ाया। फिर इसी कमजोरी का फायदा उठाकर हम पर शासन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास को केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि उससे सीखने के लिए भी देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास हमें आत्ममंथन का अवसर देता है। हमें अपनी गलतियों का परिमार्जन कर भारत के गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेनी चाहिए और भविष्य को स्वच्छ, सशक्त और समृद्ध बनाना चाहिए।
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