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कांग्रेस के जादूगर भी बिहार में हो गए फेल, अशोक गहलोत ने माना- होकर रहेगी RJD से फ्रेंडली फाइट

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पटना: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पर्यवेक्षक बनाया है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि सियासत के जादूगर अशोक गहलोत बिहार में भी गठबंधन की गांठ सुलझाने वाला जादू कर दिखाएंगे। लेकिन यहां लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के सामने 'जादूगर' फेल हो गए। अब सियासी गलियारे में यही सवाल तैर रहा है कि क्या उन्होंने भी राजद की 'विशालकाय इच्छा' के सामने सरेंडर कर दिया।


बिहार में नहीं चला कांग्रेस के जादूगर का जादू

हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर विपक्षी दलों के ‘महागठबंधन’ के भीतर जारी चर्चाओं के बीच कांग्रेस ने इस बात को रखने की पूरी कोशिश की कि महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है और जल्द सभी भ्रम समाप्त हो जाएंगे। अशोक गहलोत ने भी मामला सलटाने की कोशिश करते हुए कहा कि ‘तमाम काम बहुत अच्छे से चल रहे हैं। एक-दो दिन में जो भी भ्रम है, वह पूरी तरह दूर हो जाएगा।’


क्या राजद को समझाने में अशोक गहलोत भी फेल?
लेकिन यहीं अशोक गहलोत ने भी मान लिया कि वो बिहार में राजद-कांग्रेस के बीच विवाद सुलझाने में नाकाम रहे। अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में माना कि बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से कुछ पर कांग्रेस की राजद से फ्रेंडली फाइट हो सकती है। अब ये बिहार में छिपा नहीं है कि चुनावी फाइट फ्रेंडली कहने भर को होती है। मुकाबला बिल्कुल असली होता है।


तर्क बहुत लेकिन फ्रेंडली फाइट तो होकर रहेगी
हालांकि अशोक गहलोत ने इसे समझाते हुए ये भी कहा कि 'कभी-कभी कार्यकर्ताओं में उत्साह होता है, स्थानीय परिस्थितियों के चलते ऐसी स्थितियां आती हैं। इसे महागठबंधन की कमजोरी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक जोश के रूप में देखना चाहिए।' आपको बता दें कि सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और लेफ्ट पार्टियों के बीच जारी आंतरिक मतभेद के चलते महागठबंधन के घटक दल बिहार की कम से कम 11 विधानसभा सीट पर एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं।
भाषा के इनपुट्स के साथ
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