पटना: 2014 में केंद्र में सत्ता हासिल करने और बिहार में राजद और जेडीयू से भी बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद से भाजपा (BJP) ने अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश की है। इसी रणनीति के तहत यादवों को भी अपने पाले में लाने की पहल की गई थी। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने यादवों को बड़ी संख्या में टिकट दिए थे। राज्य में इस समुदाय की आबादी में हिस्सेदारी 14.2 फीसदी है, जो कुशवाहा (4.2%) समुदाय की तुलना में तीन गुना है। हालांकि, यादव समुदाय ने राजद का साथ नहीं छोड़ा। उलटे, 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने 'इंडिया' गठबंधन के पीछे और भी मजबूती से लामबंदी की।
BJP ने प्रत्याशी को लेकर बदली रणनीति
भाजपा ने इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन को लेकर अपनी रणनीति बदली है। भाजपा के वोट बैंक में सवर्ण और गैर-यादव ओबीसी, ईबीसी तथा अनुसूचित जातियों का एक बड़ा वर्ग शामिल है। इसी रणनीति के तहत औराई से मौजूदा भाजपा विधायक राम सूरत राय का इस बार टिकट कट गया। टिकट कटने पर राम सूरत राय ने भी कहा था कि 'उनके जैसे यादव विधायकों को पार्टी के कोर वोटों पर फोकस करने का खामियाजा भुगतना पड़ा, क्योंकि उन्हें कभी भी पार्टी के सामाजिक गठबंधन का हिस्सा नहीं माना गया।'
राय की जगह भाजपा ने रमा निषाद को टिकट दिया गया है, जो पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी हैं। अजय निषाद को 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। इसके बाद अजय निषाद ने मुजफ्फरपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। मुजफ्फरपुर में निषाद समुदाय को 'बड़ा फैक्टर' माना जाता है। इस वोट बैंक पर राजद और उनके सहयोगी VIP के मुकेश सहनी भी लुभाने में लगे हैं। भाजपा ने निवर्तमान विधानसभा में सात बार के विजेता और स्पीकर नंद किशोर यादव का टिकट काटकर पटना साहिब से रत्नेश कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है।
जदयू ने भी अपनाई इसी तरह की रणनीति नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने भी इसी तरह की रणनीति अपनाई है। जदयू ने कुर्मी-कोयरी (कुशवाहा) जातियों से 25 उम्मीदवारों को टिकट दिया है, और सवर्ण और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) से 22-22 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। हालांकि इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केवल चार मुसलमानों को टिकट दिया है, जबकि 2020 में यह संख्या 11 थी।
माना जा रहा कि मुस्लिम समुदाय जदयू को छोड़कर लालू प्रसाद को चुनाव में प्राथमिकता देगा। जदयू के एक पदाधिकारी ने बताया कि पिछली बार उनके सभी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव हार गए थे। मुस्लिम समुदाय वक्फ कानून में संशोधन का समर्थन करने के लिए और भाजपा के साथ जाने को लेकर पार्टी की आलोचना करता रहा है। हो सकता है चुनाव में इसका असर दिखे, ऐसे में पार्टी बदली रणनीति के तहत काम कर रही है।
BJP ने प्रत्याशी को लेकर बदली रणनीति
भाजपा ने इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन को लेकर अपनी रणनीति बदली है। भाजपा के वोट बैंक में सवर्ण और गैर-यादव ओबीसी, ईबीसी तथा अनुसूचित जातियों का एक बड़ा वर्ग शामिल है। इसी रणनीति के तहत औराई से मौजूदा भाजपा विधायक राम सूरत राय का इस बार टिकट कट गया। टिकट कटने पर राम सूरत राय ने भी कहा था कि 'उनके जैसे यादव विधायकों को पार्टी के कोर वोटों पर फोकस करने का खामियाजा भुगतना पड़ा, क्योंकि उन्हें कभी भी पार्टी के सामाजिक गठबंधन का हिस्सा नहीं माना गया।'
राय की जगह भाजपा ने रमा निषाद को टिकट दिया गया है, जो पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी हैं। अजय निषाद को 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। इसके बाद अजय निषाद ने मुजफ्फरपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। मुजफ्फरपुर में निषाद समुदाय को 'बड़ा फैक्टर' माना जाता है। इस वोट बैंक पर राजद और उनके सहयोगी VIP के मुकेश सहनी भी लुभाने में लगे हैं। भाजपा ने निवर्तमान विधानसभा में सात बार के विजेता और स्पीकर नंद किशोर यादव का टिकट काटकर पटना साहिब से रत्नेश कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है।
जदयू ने भी अपनाई इसी तरह की रणनीति नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने भी इसी तरह की रणनीति अपनाई है। जदयू ने कुर्मी-कोयरी (कुशवाहा) जातियों से 25 उम्मीदवारों को टिकट दिया है, और सवर्ण और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) से 22-22 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। हालांकि इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केवल चार मुसलमानों को टिकट दिया है, जबकि 2020 में यह संख्या 11 थी।
माना जा रहा कि मुस्लिम समुदाय जदयू को छोड़कर लालू प्रसाद को चुनाव में प्राथमिकता देगा। जदयू के एक पदाधिकारी ने बताया कि पिछली बार उनके सभी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव हार गए थे। मुस्लिम समुदाय वक्फ कानून में संशोधन का समर्थन करने के लिए और भाजपा के साथ जाने को लेकर पार्टी की आलोचना करता रहा है। हो सकता है चुनाव में इसका असर दिखे, ऐसे में पार्टी बदली रणनीति के तहत काम कर रही है।
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