कोलंबो: श्रीलंका में दो साल पहले भयावह आर्थिक संकट आया था और उसके बाद पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पड़ोसी देश के दौरे पर पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका में पिछले साल हुए इलेक्शन में अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व में नेशनल पीपुल्स पावर गठबंधन ने जीत हासिल की थी और दिसानायके देश के राष्ट्रपति बने थे। दिसानायके पिछले साल भारत आए थे और उनके निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, तीन दिनों के लिए श्रीलंका के दौरे पर पहुंचे हैं। इस दौरान भारत श्रीलंका के बीच डिफेंस, एनर्जी, हेल्थ, ट्रेड और डिजिटल बुनियादी ढांचे में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने के लिए साझेदारी होने की उम्मीद है।कोलंबो पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भव्य स्वागत किया गया और भारी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग उनके स्वागत के लिए पहुंचे थे। प्रधानमंत्री मोदी का भंडारनायके इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उनका स्वागत देश के पांच शीर्ष मंत्रियों ने किया, जिनमें विदेश मंत्री विजिता हेराथ, स्वास्थ्य मंत्री नलिंदा जयतिस्सा और मत्स्य पालन मंत्री रामलिंगम चंद्रशेखर शामिल थे। शनिवार की सुबह प्रधानमंत्री मोदी का इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर आधिकारिक स्वागत किया गया, जहां श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने उनकी अगवानी की। श्रीलंका ने पहली बार किसी गणमान्य अतिथि को यह सम्मान दिया है, जिससे यह ऐतिहासिक होने के साथ-साथ दोनों पड़ोसी देशों के बीच मजबूत होते संबंधों का प्रतीक भी बन गया। श्रीलंका ने भारत को दिया मजबूत दोस्ती का 'सबूत'माना जा रहा है कि इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत कर श्रीलंका ने भारत को अपनी मजबूत दोस्ती का 'सबूत' दे दिया है। क्योंकि काफी समय से आशंकाएं लगाई जा रही थीं कि श्रीलंका में चीन अपने पैर मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। भारत के लिए ये काफी राहत की बात है, क्योंकि जिस तरह से एक के बाद एक पड़ोसी देश भारत के खिलाफ जा रहे हैं, उसमें श्रीलंका ने साबित कर दिया है कि वो भारत का सच्चा साथी है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और श्रीलंका, प्रधानमंत्री मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान लगभग 10 महत्वपूर्ण समझौतों की घोषणा करने वाले हैं, जिनमें रक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और डिजिटलीकरण में प्रमुख साझेदारी शामिल हैं।श्रीलंका में भारतीय हाई कमिश्नर संतोष झा ने प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय संबंध "इससे पहले कभी इतने बेहतर नहीं रहे" और दिसंबर 2024 के संयुक्त बयान को उन्होंने "बहुत व्यापक" बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की ये यात्रा "सहयोग के लिए एक नए एजेंडे को आकार देने में मदद करेगी।" इस दौरान दोनों देशों के बीच डिफेंस समझौता होने की भी उम्मीद है, हालांकि भारतीय उच्चायुक्त ने ये नहीं बताया कि ये डिफेंस समझौता किस तरह का होगा। लेकिन माना जा रहा है कि ज्वाइंट एक्सरसाइज, ट्रेनिंग प्रोग्राम और हार्डवेयर की आपूर्ति को लेकर समझौता हो सकता है।भारतीय उच्चायोग ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया है कि "समुद्री सुरक्षा दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है और यह अच्छी तरह से पहचाना जाता है कि हम एक ही क्षेत्र में हैं और हमारी सुरक्षा आपस में जुड़ी हुई है।" उन्होंने कहा कि "भारत और श्रीलंका सबसे करीबी पड़ोसी हैं, खासकर समुद्री पड़ोसी, और दोनों देशों के बीच बहुत व्यापक संबंध हैं। हमारे इतिहास, भूगोल, हमारे सांस्कृतिक संबंधों और लोगों के बीच संबंधों को देखते हुए हमारे लिए सहयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है।" श्रीलंका पहुंचा भारतीय युद्धपोतइस बीच भारतीय नौसेना का जहाज INS सह्याद्रि भी श्राीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर पहुंच चुका है और श्रीलंका नौसेना ने नौसेना परंपराओं के मुताबिक भारतीय जहाज का स्वागत किया। आईएनएस सह्याद्रि 143 मीटर लंबा फ्रिगेट है, जिसमें 320 लोगों का दल है और जहाज की कमान कैप्टन रजत कुमार के हाथों में है। अपनी श्रीलंका यात्रा के दौरान आईएनएस सह्याद्रि के चालक दल श्रीलंका नौसेना की तरफ से आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेंगे, जिसका मकसद द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है। 7 अप्रैल को भारतीय युद्धपोत श्रीलंका से वापस लौट आएगा। भारत-श्रीलंका में क्या डिफेंस समझौते होंगे?वहीं प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बीच श्रीलंका के डिफेंस सचिव संपत थुयाकोंथा ने कहा है कि दोनों देशों के बीच डिफेंस सेक्टर के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होंगे। और ये सहयोग गतिविधि, अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के मुताबिक होगी। उन्होने कहा कि हमारे बीच ऐसे रक्षा समझौते होंगे, जो श्रीलंका या भारत के घरेलू कानूनों और राष्ट्रीय नीतियों के साथ टकराव नहीं करेगी। उनके मुताबिक श्रीलंका और भारत के बीच दशकों से सौहार्दपूर्ण रक्षा संबंध रहे हैं और दोनों देश रक्षा वार्ता, संयुक्त सैन्य और नौसैनिक अभ्यास, प्रशिक्षण में भाग लेते रहे हैं। भारत हर साल श्रीलंका के लगभग 750 सैन्य कर्मियों को प्रशिक्षण देता है। उन्होंने कहा कि भारत-श्रीलंका रक्षा साझेदारी श्रीलंका के लिए एक अमूल्य संपत्ति रही है और आगे भी रहेगी।इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से रक्षा संबंधों के लिए प्रदान किए गए ठोस आधार के माध्यम से, तीनों सेनाओं के अधिकारियों का आदान-प्रदान, प्रशिक्षण, सेनाओं के बीच स्टाफ वार्ता, सूचना का आदान-प्रदान, डिफेंस इंडस्ट्री में सहयोग और प्रासंगिक बौद्धिक संपदा अधिकारों को सुनिश्चित करने के उपायों के साथ डिफेंस टेक्नोलॉजी और रिसर्च में प्रोफेशनल सहयोग को बढ़ाया जाएगा। दोनों देशों के बीच यह समझौता ज्ञापन पांच वर्षों के लिए लागू रहेगा। इसके तहत अगर कोई पक्ष इससे बाहर निकलना चाहेगा तो उसे तीन महीने पहले इसकी जानकारी देनी होगी।
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