नवादा: बिहार के वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र (नवादा) में इस बार का चुनाव सिर्फ एक राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि बाहुबलियों की पुरानी अदावत का नया चैप्टर है। इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अनीता देवी को टिकट दिया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मौजूदा विधायक अरुणा देवी को मैदान में उतारा है। नवादा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ये सीट पिछले 20 सालों से बाहुबली अशोक महतो और अखिलेश सिंह के परिवारों के कब्जे में रही है। इस बार दोनों बाहुबलियों की पत्नियां सीधे मैदान में उतर चुकी हैं, जिससे ये भिड़ंत बेहद दिलचस्प हो गई है। वारिसलीगंज में 11 नवंबर को मतदान होना है।
अशोक महतो बनाम अखिलेश सरदारये चुनावी लड़ाई 90 के दशक के बाहुबलियों के गुटों के टकराव का नतीजा है। अनीता देवी, नवादा जेलब्रेक कांड में 17 साल की सजा काट चुके अशोक महतो की पत्नी हैं। वहीं, अरुणा देवी, नवादा, शेखपुरा, जमुई और नालंदा के कुछ हिस्सों में प्रभाव रखने वाले बाहुबली अखिलेश सिंह (जिन्हें स्थानीय तौर पर 'अखिलेश सरदार' भी कहा जाता है) की पत्नी हैं। बताया जाता है कि 90 और 2000 के दशक में इन दोनों गुटों के बीच जातीय भिड़ंत और हिंसक टकराव हुए थे, जिसमें अनुमान के मुताबिक दर्जनों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
चुनाव से पहले हुई थी अनीता की शादीआरजेडी उम्मीदवार 47 वर्षीय अनीता देवी तब सुर्खियों में आई थीं, जब 2024 में उन्होंने 60 वर्षीय अशोक महतो से शादी की थी। दोनों की शादी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुई थी। बाहुबली छवि के कारण चुनाव लड़ने से अयोग्य अशोक महतो की कहानी पर ही वेब सिरीज 'खाकी: द बिहार चैप्टर' आधारित थी। शादी के बाद अनीता को मुंगेर लोकसभा सीट से आरजेडी का टिकट मिला था, हालांकि वो चुनाव हार गईं। अब वारिसलीगंज में तेजस्वी यादव खुद उनके लिए प्रचार कर चुके हैं।
अरुणा देवी को हैट्रिक की उम्मीदबीजेपी की उम्मीदवार अरुणा देवी, बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी हैं और इस सीट पर उनकी पकड़ बेहद मजबूत रही है। वो इस सीट पर अब तक चार बार जीत (2000, फरवरी 2005, 2015 और 2020) हासिल कर चुकी हैं। हालांकि, अक्टूबर 2005 के चुनाव में उन्हें अशोक महतो के भतीजे प्रदीप महतो से हार का सामना करना पड़ा था, जिन्होंने इस सीट पर दो बार जीत हासिल की है। अरुणा देवी 2015 और 2020 का चुनाव लगातार जीत चुकी हैं और इस बार वह जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं।
अबकी बार किसका होगा राज? वारिसलीगंज सीट पर बीते 20 साल से अशोक महतो या अखिलेश सिंह के परिवार का सदस्य ही जीतता आया है। 11 नवंबर को होने वाला मतदान ये तय करेगा कि जनता इस बार 4 बार की अनुभवी विधायक अरुणा देवी पर भरोसा कायम रखती है या राजनीति में नई आईं अनीता देवी को चुनकर बाहुबली अशोक महतो की विरासत को आगे बढ़ाती है।
अशोक महतो बनाम अखिलेश सरदारये चुनावी लड़ाई 90 के दशक के बाहुबलियों के गुटों के टकराव का नतीजा है। अनीता देवी, नवादा जेलब्रेक कांड में 17 साल की सजा काट चुके अशोक महतो की पत्नी हैं। वहीं, अरुणा देवी, नवादा, शेखपुरा, जमुई और नालंदा के कुछ हिस्सों में प्रभाव रखने वाले बाहुबली अखिलेश सिंह (जिन्हें स्थानीय तौर पर 'अखिलेश सरदार' भी कहा जाता है) की पत्नी हैं। बताया जाता है कि 90 और 2000 के दशक में इन दोनों गुटों के बीच जातीय भिड़ंत और हिंसक टकराव हुए थे, जिसमें अनुमान के मुताबिक दर्जनों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
चुनाव से पहले हुई थी अनीता की शादीआरजेडी उम्मीदवार 47 वर्षीय अनीता देवी तब सुर्खियों में आई थीं, जब 2024 में उन्होंने 60 वर्षीय अशोक महतो से शादी की थी। दोनों की शादी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुई थी। बाहुबली छवि के कारण चुनाव लड़ने से अयोग्य अशोक महतो की कहानी पर ही वेब सिरीज 'खाकी: द बिहार चैप्टर' आधारित थी। शादी के बाद अनीता को मुंगेर लोकसभा सीट से आरजेडी का टिकट मिला था, हालांकि वो चुनाव हार गईं। अब वारिसलीगंज में तेजस्वी यादव खुद उनके लिए प्रचार कर चुके हैं।
अरुणा देवी को हैट्रिक की उम्मीदबीजेपी की उम्मीदवार अरुणा देवी, बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी हैं और इस सीट पर उनकी पकड़ बेहद मजबूत रही है। वो इस सीट पर अब तक चार बार जीत (2000, फरवरी 2005, 2015 और 2020) हासिल कर चुकी हैं। हालांकि, अक्टूबर 2005 के चुनाव में उन्हें अशोक महतो के भतीजे प्रदीप महतो से हार का सामना करना पड़ा था, जिन्होंने इस सीट पर दो बार जीत हासिल की है। अरुणा देवी 2015 और 2020 का चुनाव लगातार जीत चुकी हैं और इस बार वह जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं।
अबकी बार किसका होगा राज? वारिसलीगंज सीट पर बीते 20 साल से अशोक महतो या अखिलेश सिंह के परिवार का सदस्य ही जीतता आया है। 11 नवंबर को होने वाला मतदान ये तय करेगा कि जनता इस बार 4 बार की अनुभवी विधायक अरुणा देवी पर भरोसा कायम रखती है या राजनीति में नई आईं अनीता देवी को चुनकर बाहुबली अशोक महतो की विरासत को आगे बढ़ाती है।
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