मुजफ्फरपुर: बिहार शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और प्रधान शिक्षकों को एक बड़ा झटका दिया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी किए हैं। अब प्रधानाध्यापक मध्याह्न भोजन (MDM) का काम नहीं देखेंगे। उनकी जगह कोई और शिक्षक यह जिम्मेदारी निभाएगा। यह बदलाव इसलिए किया जा रहा है ताकि प्रधानाध्यापक स्कूल के शैक्षणिक कार्यों पर ध्यान दे सकें। फिलहाल, यह योजना 10 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई है। अपर मुख्य सचिव ने लिखा पत्रशिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और मध्याह्न भोजन के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक की जगह किसी अन्य शिक्षक को एमडीएम संचालन का प्रभार दिया जाए। उन्होंने बताया कि राज्य के 10 जिलों में एमडीएम संचालन व्यवस्थापक और सहायक व्यवस्थापक के माध्यम से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट की समीक्षा की गईडॉ सिद्धार्थ ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट की समीक्षा की गई। समीक्षा में पता चला कि प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षकों का काफी समय एमडीएम के काम में चला जाता है। इससे स्कूल की पढ़ाई-लिखाई पर असर पड़ता है। साथ ही, कई बार विवाद भी हो जाते हैं। इसलिए, यह फैसला लिया गया है कि प्रधानाध्यापक को एमडीएम के काम से पूरी तरह अलग रखा जाएगा। हर जिले में, जहां मध्याह्न भोजन योजना चल रही है, एक प्रखंड में यह पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। प्रधानाध्यापक सिर्फ पढ़ाई-लिखाई का काम देखेंगेइस प्रोजेक्ट के तहत, प्रधानाध्यापक की जगह कोई और शिक्षक एमडीएम का काम देखेगा। प्रधानाध्यापक का मुख्य काम स्कूल की पढ़ाई-लिखाई को ठीक से चलाना होगा। एमडीएम प्रभारी शिक्षक को स्कूल शुरू होने के 1 घंटे बाद बच्चों की फोटो लेनी होगी। उन्हें बच्चों की संख्या रसोईया को बतानी होगी और मध्याह्न भोजन की तैयारी देखनी होगी।
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