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चप्पल और बेल्ट से कातिल भतीजे तक पहुंची लखनऊ पुलिस, नशेबाजी में की थी चाचा की हत्या

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लखनऊ: लखनऊ के नगराम इलाके में एक मजदूर की सनसनीखेज हत्या के आरोपित को पुलिस ने नौ दिन बाद चप्पल और बेल्ट के सहारे दबोच लिया। पुलिस ने हत्यारोपित के घर से ही उसके दूसरे पांव की चप्पल भी बरामद कर ली है। पूछताछ में खुलासा हुआ कि नशेबाजी में हुई गाली गलौज से नाराज होकर उसने चाचा का कत्ल कर शव गांव के बाहर बनी एक समाधि पर फेंक दिया था। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने खुलासा करने वाली टीम के पुलिसकर्मियों को 25 हजार रुपये का इनाम दिया है।नगराम के कुबाहरा गांव निवासी महेश कुमार (35) का खून से लथपथ शव 5 मई की सुबह गांव के बाहर खेत में सहजराम की समाधि पर पड़ा मिला था। उसके गला बेल्ट से कसा गया था और सिर पर भी चोट के निशान थे। ग्रामीणों ने कुबाहरा निवासी दिवंगत सजराम की समाधि पर महेश का शव पड़ा देखा तो सूचना पुलिस को दी थी। नगराम पुलिस पहुंची और छानबीन के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि अधिक खून बहने और गला कसे जाने से महेश की मौत हुई थी। महेश की पत्नी सुनीता ने इस मामले में दिवंगत सहजराम के बेटे लवकुश, रामदीन, दीपू, पत्नी विनीता, बेटी रेशमा और गोसाईंगंज के मीसा गांव निवासी सुरेंद्र कुमार के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करवाया था। नगराम पुलिस ने केस दर्ज कर छानबीन शुरू की। मैनुअल ट्रैकिंग के साथ ही पुलिस ने सर्विलांस टीम का भी सहारा लिया। पुलिस की तीन टीमें हत्यारों को पकड़ने के लिए बनाई गईं। शुरुआती जांच में आरोपितों की लोकेशन घटनास्थल पर नहीं मिली तो पुलिस ने दूसरे एंगल पर छानबीन करना शुरू किया। पुलिस ने यह पता लगाया कि घटना वाले दिन महेश किन लोगों के साथ था। ग्रामीणों से मिला अहम इनपुटएसीपी रजनीश वर्मा ने बताया कि छानबीन में सामने आया कि महेश मजदूरी कर जीवन यापन करता था। वह 4 मई को काम पर नहीं गया था। वह शाम को 6 से 8:30 बजे तक गांव में अलग-अलग लोगों के साथ रहा और शराब पी थी। उसके बाद वह और शराब लेने कुबहरा तिराहे स्थित ठेके पर गया था। ग्रामीणों से पता चला कि उस दिन महेश हत्यारोपित मंशाराम के साथ देखा गया था। दोनों ने ठेके से शराब खरीदी थी। सर्विलांस से भी मंशाराम के घटनास्थल पर होने की पुष्टि हो गई। उसी के बाद पुलिस ने मंशाराम को दबोचा। कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने महेश की हत्या करना स्वीकार कर लिया है। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि चार मई की शाम को वह मजदूरी कर घर जा रहा था। वह शराब लेने ठेके पर पहुंचा तो महेश भी शराब ले रहा था। उसके बाद चाचा-भतीजा ने ठेके से शराब की बोतलें लीं और गांव के बाहर तिराहे के पास पाकड़ के पेड़ के नीचे बैठकर शराब पीने लगे। तभी नशे में धुत महेश उसे मां-बहन की गालियां देने लगा। उसने मना किया तो वह और गालियां देने लगा। गुस्से में उसने उसे धक्का दे दिया। महेश गिरा तो उसके सिर का पिछला हिस्सा एक पत्थर से टकरा गया। खून बहने लगा। मंशाराम ने सोचा कि होश में आने पर महेश उसे जेल भिजवा देगा, इसीलिए उसने बेल्ट निकालकर उसी से गला कसकर उसकी हत्या कर दी थी। उसका शव घसीटकर बगल में स्थित सहजराम के समाधि पर डाल दिया और भाग गया था। भागते समय वह जल्दबाजी में एक चप्पल अपनी और दूसरी चप्पल महेश की पहनकर भागा था। चप्पल और बेल्ट देखते ही टूट गया मंशाराममंशाराम शुरुआती पूछताछ में महेश की हत्या करने से इनकार करता रहा, लेकिन पुलिस ने घटनास्थल से मिली दो पांच की चप्पल उसे पहनाई और बेल्ट दिखाया तो वह टूट गया। उसने महेश की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली। उसके बाद पुलिस ने उसके घर से दूसरी चप्पलें भी बरामद कर ली, जिससे यह पुष्टि हो गई कि मंशाराम ही महेश का कातिल है। पुलिस की सक्रियता से जेल जाने से बचे बेगुनाहनगराम थाने में महेश की पत्नी सुनीता ने दिवंगत सहजराम के परिवारीजनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। उन्होंने इसलिए शक जताया क्योंकि करीब तीन साल पहले सहजराम का शव गांव के बाहर बबूल के पेड़ से लटका मिला था। उसकी मौत के मामले में उसके घर वालों ने महेश व उसकी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। दोनों जेल भी भेजे गए थे। सुनीता को शक था कि उसी रंजिश में महेश का कत्ल किया गया था। हालांकि, पुलिस ने सूझबूझ से काम लिया और बेगुनाहों को जेल जाने से बचा लिया। 57 लोगों से पूछताछ, दर्जनों लोकेशन खंगालीपुलिस की टीमों ने महेश की हत्या का खुलासा करने के लिए गांव और आसपास के 57 लोगों से पूछताछ की, लेकिन किसी से भी हत्या की कड़ी जुड़ती नजर नहीं आई। मंशाराम के मोबाइल की लोकेशन से शक गहराया तो 58वें आरोपित के रूप में उससे पूछताछ की गई, तब घटना का सच सामने आया। गुमराह करने के लिए समाधि पर फेंका था शवमंशाराम यह जानता था कि महेश व रामदीन के परिवार में पहले से विवाद चला आ रहा है। इसी का फायदा उठाने के लिए उसने पुलिस को गुमराह करने की योजना बनाई। उसने साजिशन महेश के शव को सहजराम की समाधि पर फेंक दिया था, ताकि ऐसा लगे कि घरवालों ने सहजराम की मौत का बदला लेने के लिए महेश की हत्या की है। घटना से बचने व पुलिस को गुमराह करने के लिए आरोपित मंशाराम ने महेश का शव करीब 10 फिट दूर स्थित रामदीन के खेत में कोने पर बने रामदीन के भाई सहजराम की समाधि पर लिटा कर भाग गया था।
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