पटना: जन सुराज पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राजभवन पहुंचा। उसने बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा। चौधरी के खिलाफ उम्र में धोखाधड़ी करने और आपराधिक मामले में कार्रवाई करने की मांग की गई है। प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल सका। उन्होंने अपना ज्ञापन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र राज्यपाल के प्रधान सचिव को सौंपा।
जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती, वरिष्ठ नेता रामबली चंद्रवंशी और प्रदेश महासचिव किशोर कुमार इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे। उनका राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था। हालांकि, वे राज्यपाल से मुलाकात नहीं कर पाए। इसके बजाय उन्होंने अपना ज्ञापन और दस्तावेज राज्यपाल के प्रधान सचिव को सौंप दिए। राजभवन के बाहर मीडिया से बातचीत में उदय सिंह ने विश्वास जताया कि राज्यपाल उनकी मांगों को केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगे।
सम्राट चौधरी के खिलाफ कार्रवाई होने का भरोसा
उदय सिंह ने कहा, "हमें केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा भरोसा है कि उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे और न्याय मिलेगा।" जन सुराज पार्टी ने आरोप लगाया है कि सम्राट चौधरी, जिनका जन्म का नाम राकेश कुमार बताया गया है, ने कानूनी दस्तावेजों में अपनी उम्र के साथ छेड़छाड़ की है। उनका दावा है कि उन्होंने 1995 के तारापुर नरसंहार मामले (तारापुर PS केस नंबर 44/1995) में अभियोजन से बचने के लिए ऐसा किया था। इस नरसंहार में छह लोग मारे गए थे।
ज्ञापन के अनुसार, सन 1996 में सम्राट ने कथित तौर पर जमानत पाने के लिए एक फर्जी स्कूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। इसमें उन्होंने खुद को नाबालिग (16 वर्ष से कम) बताया था। साल 1999 में उन्हें तत्कालीन राज्यपाल ने कृषि मंत्री के पद से हटा दिया था। यह तब हुआ जब एक याचिका से पता चला कि उनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी, जो मंत्री बनने के लिए न्यूनतम आयु है।
सम्राट चौधरी का चुनाव हुआ था रद्द
सन 2000 में परबत्ता विधानसभा सीट से उनके चुनाव को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में फैसला सुनाया कि उनकी उम्र साबित करने के लिए उन्होंने जो दस्तावेज दिए थे, वे फर्जी थे। इस फैसले के कारण उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था। इसके बावजूद उन्होंने कथित तौर पर उम्र के बारे में विरोधाभासी घोषणाएं जारी रखीं। उन्होंने 2010 में अपनी उम्र 28 और 2020 में 51 बताई। जबकि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से पता चलता है कि यदि उनका 1996 का दावा सही होता, तो 2020 में उनकी उम्र 40 वर्ष से कम होनी चाहिए थी।
ज्ञापन में दावा किया गया है कि ये विसंगतियां धोखे के एक पैटर्न को उजागर करती हैं। इसका उद्देश्य आपराधिक आरोपों से बचना और राजनीतिक शक्ति बनाए रखना है। जन सुराज ने मांग की है कि सम्राट चौधरी को उप मुख्यमंत्री के पद से हटाया जाए। उन्हें हत्या और डकैती के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जन सुराज ने यह भी मांग की है कि न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए पूरे मामले की जांच हाई कोर्ट की निगरानी में की जाए।
उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित और मीडिया में बने रहने का प्रयास बताया है।
जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती, वरिष्ठ नेता रामबली चंद्रवंशी और प्रदेश महासचिव किशोर कुमार इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे। उनका राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था। हालांकि, वे राज्यपाल से मुलाकात नहीं कर पाए। इसके बजाय उन्होंने अपना ज्ञापन और दस्तावेज राज्यपाल के प्रधान सचिव को सौंप दिए। राजभवन के बाहर मीडिया से बातचीत में उदय सिंह ने विश्वास जताया कि राज्यपाल उनकी मांगों को केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगे।
सम्राट चौधरी के खिलाफ कार्रवाई होने का भरोसा
उदय सिंह ने कहा, "हमें केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा भरोसा है कि उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे और न्याय मिलेगा।" जन सुराज पार्टी ने आरोप लगाया है कि सम्राट चौधरी, जिनका जन्म का नाम राकेश कुमार बताया गया है, ने कानूनी दस्तावेजों में अपनी उम्र के साथ छेड़छाड़ की है। उनका दावा है कि उन्होंने 1995 के तारापुर नरसंहार मामले (तारापुर PS केस नंबर 44/1995) में अभियोजन से बचने के लिए ऐसा किया था। इस नरसंहार में छह लोग मारे गए थे।
ज्ञापन के अनुसार, सन 1996 में सम्राट ने कथित तौर पर जमानत पाने के लिए एक फर्जी स्कूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। इसमें उन्होंने खुद को नाबालिग (16 वर्ष से कम) बताया था। साल 1999 में उन्हें तत्कालीन राज्यपाल ने कृषि मंत्री के पद से हटा दिया था। यह तब हुआ जब एक याचिका से पता चला कि उनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी, जो मंत्री बनने के लिए न्यूनतम आयु है।
सम्राट चौधरी का चुनाव हुआ था रद्द
सन 2000 में परबत्ता विधानसभा सीट से उनके चुनाव को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में फैसला सुनाया कि उनकी उम्र साबित करने के लिए उन्होंने जो दस्तावेज दिए थे, वे फर्जी थे। इस फैसले के कारण उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था। इसके बावजूद उन्होंने कथित तौर पर उम्र के बारे में विरोधाभासी घोषणाएं जारी रखीं। उन्होंने 2010 में अपनी उम्र 28 और 2020 में 51 बताई। जबकि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से पता चलता है कि यदि उनका 1996 का दावा सही होता, तो 2020 में उनकी उम्र 40 वर्ष से कम होनी चाहिए थी।
ज्ञापन में दावा किया गया है कि ये विसंगतियां धोखे के एक पैटर्न को उजागर करती हैं। इसका उद्देश्य आपराधिक आरोपों से बचना और राजनीतिक शक्ति बनाए रखना है। जन सुराज ने मांग की है कि सम्राट चौधरी को उप मुख्यमंत्री के पद से हटाया जाए। उन्हें हत्या और डकैती के मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जन सुराज ने यह भी मांग की है कि न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए पूरे मामले की जांच हाई कोर्ट की निगरानी में की जाए।
उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित और मीडिया में बने रहने का प्रयास बताया है।
You may also like
इंदौरः लोकायुक्त ने निलंबित बाबू को 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथों किया गिरफ्तार
उज्जैनः मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नगरकोट माता मंदिर में पूजन कर खरीदे सिंघाड़े
सिवनीः बस स्टैंड की घटना पर हिंदू संगठनों ने सौंपा ज्ञापन
अनूपपुर: नवरात्र की महाष्टमी पर काली नृत्य के साथ हुआ जवारा विसर्जन,भक्ति में झूमते रहे श्रद्धालु
आत्मनिर्भर भारत की कल्पना ही विकसित भारत का मूल मंत्र : राकेश सिंह