लेखक:आनंद वासु
एजबेस्टन टेस्ट में जब भारत ने इंग्लैंड को हराकर सीरीज 1-1 से बराबर कर ली, तो टीम के कप्तान शुभमन गिल ने भी ‘प्रिंस’ से ‘किंग’ बनने का अपना सफर पूरा कर लिया। हालांकि खासतौर पर टेस्ट क्रिकेट के लिए कहा जाता है कि बल्लेबाज मैच जिताने के लिए जमीन तैयार करते हैं, जबकि जीत दिलाते हैं गेंदबाज। और यहीं से उभरता है ऐसा नायक, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी - आकाशदीप।
गेंद से जादू: मैच में कुल 10 विकेट लेकर आकाश ने इतिहास रचने में अहम भूमिका निभाई। इस मैदान पर इससे पहले कोई एशियाई टीम टेस्ट मैच नहीं जीती थी। अब कहना मुश्किल है कि आकाश को यह फैक्ट पहले पता था या नहीं, लेकिन शायद इस उपलब्धि की अहमियत उन्हें बरसों बाद समझ आए। इंग्लैंड ने इस पिच को खासतौर पर बनवाया था और जो बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग समझी जा रही थी - आकाश पर उसी पर गेंद से वह कारनामा कर दिखाया, जो दूसरे न कर सके।
शमी की भरपाई: शुभमन गिल ने जीत के बाद कहा कि आकाशदीप ने दम लगाकर बोलिंग की। लेकिन अगर केवल इससे ही टेस्ट मैच जीते जा सकते, तो फिर हर कोई हीरो होता। इंटरनैशनल लेवल पर कोशिश किसी की कम नहीं होती। आकाश के पास वह हुनर है, जिसकी कमी मोहम्मद शमी के चोटिल होने की वजह से टीम इंडिया को महसूस हो रही थी। आकाशदीप बॉल को एक ही हार्ड लेंथ पर लगातार फेंक सकते हैं। इस तरह की बोलिंग उनकी muscle memory का हिस्सा बन चुकी है। यह आदत ज्यादातर घरेलू क्रिकेट में बेजान मैदानों पर बोलिंग करने से बनती है और आकाश 38 फर्स्ट क्लास मैच खेल चुके हैं।
मुश्किल सफर: क्रिकेट खेलने का सपना आकाश को बिहार के सासाराम से पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर लेकर गया। यह सफर भले 600 किमी से भी कम का हो, लेकिन हकीकत में यह ऐसी उड़ान है, जिसकी कल्पना भी मुश्किल है। आकाश के पास क्रिकेट खेलने के लिए न तो पैसे थे और न समय। वह नौकरी की तलाश में निकले थे, लेकिन घरवालों को बिना बताए एक क्रिकेट अकैडमी में एडमिशन ले लिया। इसके बाद भी परेशानियां कम नहीं हुईं। 2015 में उन पर दोहरी मार पड़ी - कुछ ही महीनों के भीतर पिता और बड़े भाई की मौत हो गई। आकाश को तीन साल तक खेल से दूर रहना पड़ा। मुसीबतें यहीं खत्म नहीं हुईं - कोविड के दौरान उनकी चाची और भाभी की मौत हो गई, मां गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं।
टीम ने किया तैयार: आकाश फिर कोलकाता गए, वहां एक सेकंड डिविजन टीम में जगह बनाई, और जब शमी ने उन्हें बोलिंग के टिप्स दिए तो वह रंग में लौट आए। घरेलू क्रिकेट में वह विकेट लेते रहे और आगे बढ़ते रहे। हालांकि तब भी किसी को उनसे एजबेस्टन वाले कारनामे की उम्मीद नहीं थी। पहले टेस्ट के दौरान वह अनफिट थे और टीम मैनेजमेंट को हर्षित राणा को बुलाना पड़ा। लेकिन, कोचिंग स्टाफ ने इस दौरान आकाश पर पूरा भरोसा रखा और उन्हें तैयार किया।
गंभीर का भरोसा: आकाशदीप के प्रदर्शन ने पूरे देश में यकीन भरा है। जसप्रीत बुमराह की गैर मौजूदगी में भारत का टीम सिलेक्शन रक्षात्मक माना गया था, लेकिन कोच गौतम गंभीर ने शुरू से कहा कि यह टीम 20 विकेट ले सकती है। आकाश के प्रदर्शन ने साबित किया कि घरेलू क्रिकेट पर नजर रखने वाले selectors, प्लेइंग इलेवन में बैलेंस बनाने वाले कोच और मैदान पर टीम को चलाने वाले कप्तान के पास एक स्पष्ट योजना होती है। हां, यह हो सकता है कि बाहर से वह प्लान सभी को न दिखे।
बहन को समर्पित: आकाश ने इस मैच में इतनी जान झोंक दी थी कि पहली बार उन्होंने सार्वजनिक रूप से बताया कि बोलिंग के दौरान उन्हें असली ताकत कहां से मिल रही थी। उन्होंने अपना प्रदर्शन बहन ज्योति को समर्पित किया, जो कैंसर के स्टेज 3 से जूझ रही हैं। उनको यकीन नहीं हो रहा था कि उनके भाई ने पूरे देश के सामने उनके बारे में बात की। आकाश ने बहन को समझाया कि वह भावनाओं को रोकने की कोशिश कर रहे थे, पर कर नहीं पाए। उन्होंने बहन से कहा, ‘चिंता मत करो, पूरा देश इस लड़ाई में हमारे साथ है।’
एजबेस्टन टेस्ट में जब भारत ने इंग्लैंड को हराकर सीरीज 1-1 से बराबर कर ली, तो टीम के कप्तान शुभमन गिल ने भी ‘प्रिंस’ से ‘किंग’ बनने का अपना सफर पूरा कर लिया। हालांकि खासतौर पर टेस्ट क्रिकेट के लिए कहा जाता है कि बल्लेबाज मैच जिताने के लिए जमीन तैयार करते हैं, जबकि जीत दिलाते हैं गेंदबाज। और यहीं से उभरता है ऐसा नायक, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी - आकाशदीप।
गेंद से जादू: मैच में कुल 10 विकेट लेकर आकाश ने इतिहास रचने में अहम भूमिका निभाई। इस मैदान पर इससे पहले कोई एशियाई टीम टेस्ट मैच नहीं जीती थी। अब कहना मुश्किल है कि आकाश को यह फैक्ट पहले पता था या नहीं, लेकिन शायद इस उपलब्धि की अहमियत उन्हें बरसों बाद समझ आए। इंग्लैंड ने इस पिच को खासतौर पर बनवाया था और जो बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग समझी जा रही थी - आकाश पर उसी पर गेंद से वह कारनामा कर दिखाया, जो दूसरे न कर सके।
शमी की भरपाई: शुभमन गिल ने जीत के बाद कहा कि आकाशदीप ने दम लगाकर बोलिंग की। लेकिन अगर केवल इससे ही टेस्ट मैच जीते जा सकते, तो फिर हर कोई हीरो होता। इंटरनैशनल लेवल पर कोशिश किसी की कम नहीं होती। आकाश के पास वह हुनर है, जिसकी कमी मोहम्मद शमी के चोटिल होने की वजह से टीम इंडिया को महसूस हो रही थी। आकाशदीप बॉल को एक ही हार्ड लेंथ पर लगातार फेंक सकते हैं। इस तरह की बोलिंग उनकी muscle memory का हिस्सा बन चुकी है। यह आदत ज्यादातर घरेलू क्रिकेट में बेजान मैदानों पर बोलिंग करने से बनती है और आकाश 38 फर्स्ट क्लास मैच खेल चुके हैं।
मुश्किल सफर: क्रिकेट खेलने का सपना आकाश को बिहार के सासाराम से पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर लेकर गया। यह सफर भले 600 किमी से भी कम का हो, लेकिन हकीकत में यह ऐसी उड़ान है, जिसकी कल्पना भी मुश्किल है। आकाश के पास क्रिकेट खेलने के लिए न तो पैसे थे और न समय। वह नौकरी की तलाश में निकले थे, लेकिन घरवालों को बिना बताए एक क्रिकेट अकैडमी में एडमिशन ले लिया। इसके बाद भी परेशानियां कम नहीं हुईं। 2015 में उन पर दोहरी मार पड़ी - कुछ ही महीनों के भीतर पिता और बड़े भाई की मौत हो गई। आकाश को तीन साल तक खेल से दूर रहना पड़ा। मुसीबतें यहीं खत्म नहीं हुईं - कोविड के दौरान उनकी चाची और भाभी की मौत हो गई, मां गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं।
टीम ने किया तैयार: आकाश फिर कोलकाता गए, वहां एक सेकंड डिविजन टीम में जगह बनाई, और जब शमी ने उन्हें बोलिंग के टिप्स दिए तो वह रंग में लौट आए। घरेलू क्रिकेट में वह विकेट लेते रहे और आगे बढ़ते रहे। हालांकि तब भी किसी को उनसे एजबेस्टन वाले कारनामे की उम्मीद नहीं थी। पहले टेस्ट के दौरान वह अनफिट थे और टीम मैनेजमेंट को हर्षित राणा को बुलाना पड़ा। लेकिन, कोचिंग स्टाफ ने इस दौरान आकाश पर पूरा भरोसा रखा और उन्हें तैयार किया।
गंभीर का भरोसा: आकाशदीप के प्रदर्शन ने पूरे देश में यकीन भरा है। जसप्रीत बुमराह की गैर मौजूदगी में भारत का टीम सिलेक्शन रक्षात्मक माना गया था, लेकिन कोच गौतम गंभीर ने शुरू से कहा कि यह टीम 20 विकेट ले सकती है। आकाश के प्रदर्शन ने साबित किया कि घरेलू क्रिकेट पर नजर रखने वाले selectors, प्लेइंग इलेवन में बैलेंस बनाने वाले कोच और मैदान पर टीम को चलाने वाले कप्तान के पास एक स्पष्ट योजना होती है। हां, यह हो सकता है कि बाहर से वह प्लान सभी को न दिखे।
बहन को समर्पित: आकाश ने इस मैच में इतनी जान झोंक दी थी कि पहली बार उन्होंने सार्वजनिक रूप से बताया कि बोलिंग के दौरान उन्हें असली ताकत कहां से मिल रही थी। उन्होंने अपना प्रदर्शन बहन ज्योति को समर्पित किया, जो कैंसर के स्टेज 3 से जूझ रही हैं। उनको यकीन नहीं हो रहा था कि उनके भाई ने पूरे देश के सामने उनके बारे में बात की। आकाश ने बहन को समझाया कि वह भावनाओं को रोकने की कोशिश कर रहे थे, पर कर नहीं पाए। उन्होंने बहन से कहा, ‘चिंता मत करो, पूरा देश इस लड़ाई में हमारे साथ है।’
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