ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी, सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित पंचमुखी पहाड़ी प्राचीन गुफाओं और पंचमुखी शिवलिंग के रहस्यों से भरी एक ऐसी जगह है, जो इतिहास, आस्था और रोमांच का अनूठा संगम है। यह स्थल न केवल पुरातात्विक महत्व का खजाना है, बल्कि आध्यात्मिक चमत्कारों की कहानियों से भी गूंजता है। क्या यह प्रकृति का खेल है या प्राचीन सभ्यता का कोई अनसुलझा रहस्य? पंचमुखी पहाड़ी हर आगंतुक को कौतूहल और रोमांच की सैर पर ले जाती है।
प्राचीन गुफाओं का रहस्य
रॉबर्ट्सगंज से लगभग 3-8 किलोमीटर दूर विंध्य और कैमूर पर्वतों के बीच 500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पंचमुखी पहाड़ी की गुफाएं पुरातात्विक दृष्टि से अहम हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ये गुफाएं 10,000 से 30,000 वर्ष पुरानी हो सकती हैं। इनकी दीवारों पर बनी रॉक पेंटिंग्स, जिनमें शिकार, नृत्य, पशु-पक्षी और ज्यामितीय आकृतियां शामिल हैं। लाल ओखरा, सफेद का ओलिन और काले मैंगनीज से जीवंत हैं। 19वीं सदी में ब्रिटिश पुरातत्वविद् आर्किबाल्ड कार्लाइल ने इन गुफाओं की खोज की थी, लेकिन इन चित्रों का इतने वर्षों तक चटखदार बने रहना आज भी एक रहस्य है। कुछ गुफाएं अभी भी अनछुई हैं, जिनमें और रहस्य छिपे हो सकते हैं। हालांकि, प्रदूषण और अतिक्रमण के कारण ये धरोहरें खतरे में हैं।
पंचमुखी शिवलिंग का चमत्कार
पंचमुखी महादेव मंदिर में स्थापित पांच मुखों वाला शिवलिंग स्थानीय आस्था का केंद्र है। स्थानीय कथाओं के अनुसार, यह शिवलिंग हर मकर संक्रांति पर सूती धागे जितना बढ़ता है। कुछ इसे भूगर्भीय प्रक्रिया मानते हैं, तो कुछ इसे दैवीय चमत्कार। मंदिर के खंडहर प्राचीन सूर्य मंदिर और तांत्रिक साधनाओं की कहानियों की ओर इशारा करते हैं। लोककथाएं बताती हैं कि यहां ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी, लेकिन इसका ऐतिहासिक सत्य अभी तक अस्पष्ट है।
इतिहास का अनसुलझा पन्ना
सोनभद्र, जिसे कभी ‘गुप्त काशी’ या ‘ग्रामपुत्र’ कहा जाता था, विजयगढ़ किले की प्रेमकथाओं और अगोरी किले की तांत्रिक कहानियों से समृद्ध है। मंदिर के पुजारी लक्ष्मण दुबे कहते हैं कि यह धरोहर तेजी से खो रही है। खनन गतिविधियां और पर्यावरणीय क्षरण इस ऐतिहासिक स्थल को नष्ट करने की साजिश रच रहे हैं। पंचमुखी पहाड़ी न केवल एक पुरातात्विक पहेली है, बल्कि संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
प्राचीन गुफाओं का रहस्य
रॉबर्ट्सगंज से लगभग 3-8 किलोमीटर दूर विंध्य और कैमूर पर्वतों के बीच 500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पंचमुखी पहाड़ी की गुफाएं पुरातात्विक दृष्टि से अहम हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ये गुफाएं 10,000 से 30,000 वर्ष पुरानी हो सकती हैं। इनकी दीवारों पर बनी रॉक पेंटिंग्स, जिनमें शिकार, नृत्य, पशु-पक्षी और ज्यामितीय आकृतियां शामिल हैं। लाल ओखरा, सफेद का ओलिन और काले मैंगनीज से जीवंत हैं। 19वीं सदी में ब्रिटिश पुरातत्वविद् आर्किबाल्ड कार्लाइल ने इन गुफाओं की खोज की थी, लेकिन इन चित्रों का इतने वर्षों तक चटखदार बने रहना आज भी एक रहस्य है। कुछ गुफाएं अभी भी अनछुई हैं, जिनमें और रहस्य छिपे हो सकते हैं। हालांकि, प्रदूषण और अतिक्रमण के कारण ये धरोहरें खतरे में हैं।
पंचमुखी शिवलिंग का चमत्कार
पंचमुखी महादेव मंदिर में स्थापित पांच मुखों वाला शिवलिंग स्थानीय आस्था का केंद्र है। स्थानीय कथाओं के अनुसार, यह शिवलिंग हर मकर संक्रांति पर सूती धागे जितना बढ़ता है। कुछ इसे भूगर्भीय प्रक्रिया मानते हैं, तो कुछ इसे दैवीय चमत्कार। मंदिर के खंडहर प्राचीन सूर्य मंदिर और तांत्रिक साधनाओं की कहानियों की ओर इशारा करते हैं। लोककथाएं बताती हैं कि यहां ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी, लेकिन इसका ऐतिहासिक सत्य अभी तक अस्पष्ट है।
इतिहास का अनसुलझा पन्ना
सोनभद्र, जिसे कभी ‘गुप्त काशी’ या ‘ग्रामपुत्र’ कहा जाता था, विजयगढ़ किले की प्रेमकथाओं और अगोरी किले की तांत्रिक कहानियों से समृद्ध है। मंदिर के पुजारी लक्ष्मण दुबे कहते हैं कि यह धरोहर तेजी से खो रही है। खनन गतिविधियां और पर्यावरणीय क्षरण इस ऐतिहासिक स्थल को नष्ट करने की साजिश रच रहे हैं। पंचमुखी पहाड़ी न केवल एक पुरातात्विक पहेली है, बल्कि संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
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