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विदेश में पढ़ाई: कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके में छात्र वीजा नियम सख्त, भारत के छात्रों पर क्या होगा असर?

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Study Abroad For Indians: कनाडा में पढ़ने के लिए वीजा हासिल करना पहाड़ चढ़ने जैसा हो चुका है। यहां वीजा नियमों को कड़ा किया गया है और विदेशी छात्रों को कम संख्या में स्टडी परमिट जारी किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन भी ऐसा ही नियम लाने की सोच रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौजूदा हालातों की वजह से 2025 में इन देशों में भारतीय छात्रों की संख्या कम हो सकती है। धीरे-धीरे भारतीय छात्रों को इन तीनों ही देशों से मोहभंग हो रहा है। कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में वीजा नियम कड़े होने के बाद विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले छात्र अब दूसरे मुल्कों का रुख करने लगे हैं। उन्होंने खुद ही इस समस्या का समाधान ढूंढ़ लिया है और अब वे र्मनी, फ्रांस, स्पेन, इटली, आयरलैंड, न्यूजीलैंड और माल्टा जैसे देशों का रुख करने लगे हैं। हालांकि, इन देशों में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ने के लिए जाएं। लेकिन जिस संख्या में कनाडा और ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में छात्र पढ़ने के लिए जाते हैं, उससे कम ही यहां पढ़ने जा रहे हैं। किन देशों में पढ़ने जा सकते हैं भारतीय छात्र?ऑनलाइन स्टडी अब्रॉड प्लेटफॉर्म, iSchoolConnect के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर वैभव गुप्ता के मुताबिक, लगभग 7,30,000 भारतीय छात्र कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में पढ़ रहे हैं। उन्होंने उम्मीद है कि इन तीनों देशों में लगभग 1,25,000 कम भारतीय छात्र जाएंगे। वैभव ने कहा, "इस कमी को या तो अमेरिका या फिर यूरोपीय देश जैसे फ्रांस, इटली, जर्मनी या पूर्वी यूरोपीय देशों द्वारा पूरा किया जाएगा।" यानी कि भारतीय छात्र कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की जगह इन देशों में पढ़ने जाएंगे। कनाडा ने की स्टडी वीजा अप्रूवल में कटौतीकनाडा ने 2024 के लिए स्टडी वीजा अप्रूवल में 35% की कटौती की है और 2025 में 10% की और कटौती की घोषणा की है। कॉलेजिफाई के को-फाउंडर आदर्श खंडेलवाल ने कहा, "कनाडा द्वारा की गई 35% की भारी कटौती के कारण 2024 में लगभग 80,500 भारतीय छात्रों को स्टडी परमिट से वंचित होना पड़ सकता है, जो एडमिशन में भारी गिरावट का संकेत है।" जानकारों का कहना है कि अगले साल और 23,000 छात्र इससे प्रभावित हो सकते हैं। कनाडा सरकार ने पोस्ट ग्रेजुएशन वर्क परमिट को लेबर मार्केट से जोड़ने का भी फैसला किया है, जिसे IDP एजुकेशन में क्षेत्रीय निदेशक-दक्षिण एशिया और मॉरीशस पीयूष कुमार ने एक सकारात्मक कदम बताया है। उन्होंने कहा, "इसके परिणामस्वरूप छात्र कोर्स का चयन करते समय अधिक सावधानी बरतेंगे।" ब्रिटेन में भी विदेशी छात्रों के लिए कड़े किए नियमब्रिटेन ने हाल ही में पढ़ने आने वाले विदेशी छात्रों के बैंक अकाउंट में मिनिमम अमाउंट रखने की राशि को बढ़ा दिया है। ब्रिटेन में पढ़ने आने पर छात्रों को दिखाना होता है कि उनके अकाउंट में पैसा मौजूद है, जो वे पढ़ने और रहने के दौरान खर्च करेंगे। वीजा लेने के दौरान विदेशी छात्रों को अपना बैंक स्टेटमेंट दिखाना होता है। पहले ही जनवरी में कठोर शर्तें लागू की गई थीं और अब सेविंग के तौर पर रखी जाने वाली राशि को भी बढ़ा दिया गया है। जनवरी में ब्रिटिश सरकार ने कहा था कि विदेशी छात्र स्टडी वीजा पर अपने डिपेंडेंट (पत्नी या माता-पिता) को ब्रिटेन में नहीं ला सकते हैं। सिर्फ पोस्टग्रेजुएट रिसर्चर्स को इससे छूट दी गई थी। एक्सपर्ट्स की मानें तो ब्रिटेन में लगभग 40% भारतीय छात्र डिपेंडेंट के साथ रहते हैं। कॉलेजिफाई के खंडेलवाल ने कहा, "भारत से पोस्टग्रेजुएट आवेदनों में 15-20% की गिरावट का अनुमान है।" उन्होंने कहा कि सेविंग के अमाउंट को बढ़ाने से छात्रों पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ेगा। ऑस्ट्रेलिया ने भी विदेशी छात्रों की संख्या सीमित कीऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में तय किया है कि वह एक निश्चित संख्या में ही विदेशी छात्रों को अपने यहां आने देगा। ऑस्ट्रेलिया में 2025 से हर साल 2,70,000 विदेशी छात्रों को ही स्टडी वीजा मिलेगा। साथ ही वीजा जरूरतों को कड़ा कर दिया गया है और एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया को भी बढ़ा दिया गया है। यूनिवर्सिटी लिविंग के संस्थापक और सीईओ सौरभ अरोड़ा ने कहा, "कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे प्रमुख स्थलों में स्टडी परमिट के लिए इंटेक कैप में हालिया कमी भारतीय छात्रों के लिए अधिक चयनात्मक माहौल बना रही है।"यूनिवर्सिटी लिविंग के अनुसार, 2021 और 2023 के बीच, स्पेन में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में 28% से अधिक की वृद्धि देखी गई, जबकि जर्मनी में लगभग 13% की वृद्धि देखी गई और यूरोप के बाहर, न्यूजीलैंड और दुबई दोनों में लगभग 10% की वृद्धि देखी गई।
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