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इरफान के बेटे बाबिल बोले- सोशल मीडिया पर पहले सेफ महसूस करते थे, क्योंकि लोगों में उनके पिता के लिए प्यार था

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मशहूर एक्टर इरफान खान के बेटे बाबिल खान का कहना है कि उनके पिता हमेशा उनकी यादों और बातों में जिंदा हैं और उनका सपना अपने पिता की तरह ही एक कलाकार बनना है। बाबिल का कहना है कि वह अपने इस सपने को स्वीकारने से डरते थे क्योंकि जहां इरफान खान बहुत उम्दा कलाकार थे वहीं बाप-बेटे के बीच अपना-अपना एक अहम भी होता है।इरफान उन चुनिंदा भारतीय कलाकारों में शामिल हैं जिन्होंने न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी खूब नाम कमाया। बाबिल (26) अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए 'कला' जैसी फिल्म और 'द रेलवे मैन' जैसी वेबसीरीज से नजर आ चुके हैं। बाबिल एक खिलाड़ी बन सकते थेउनके फिल्मी करियर की राह में कई मोड़ आए। बाबिल एक खिलाड़ी बन सकते थे, लेकिन एक चोट ने उनकी इच्छा पर फुल स्टॉप लगा दिया और फिर वह ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी से सिनेमैटोग्राफी का कोर्स करने पहुंच गए। उन्होंने कहा कि वह अपने पिता से यह कहने से डरते थे कि वह भी फिल्मों में आना चाहते हैं। 'आखिर में मैंने उनसे अपने दिल की बात कह दी'बाबिल ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक बातचीत में कहा, 'क्योंकि बाप-बेटे के बीच अपना एक अहम होता है...ये भी डर था कि अगर मैं नाकाम हो गया तो? क्योंकि वह बहुत महान कलाकार थे। लेकिन आखिर में मैंने उनसे अपने दिल की बात कह दी। यह सुनकर वह मेरे लिए काफी डर गए क्योंकि वह जानते थे कि उन्होंने मुझे कैसे पाला है। मैं बहुत संवेदनशील बच्चा था।' 'अभी मैं बहुत ही शर्मिला किस्म का सिंगर हूं"उन्होंने बताया कि अब उन्हें यह अहसास हुआ है कि उन्हें सिनेमैटोग्राफी पसंद है लेकिन फोटोग्राफी के एक शौक की तरह। बाबिल का कहना था, 'मेरा जुनून परफोर्मेंस है। ये अभिनय भी हो सकता है, संगीत भी हो सकता है। अभी मैं बहुत ही शर्मिला किस्म का सिंगर हूं। थोड़ी एक्टिंग करने के बाद मैं इसमें हाथ आजमाना चाहूंगा।' 'मैंने सोचा ही नहीं था कि वह हमें छोड़कर चले जाएंगे'बाबिल जब पढ़ रहे थे तभी इरफान को पता चला था कि उन्हें कैंसर है। इरफान खान का अप्रैल 2020 में निधन हो गया। बाबिल ने उन दिनों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, 'मैं यूनिवर्सिटी से वापस आकर बाबा के साथ समय बिताने वाला था। मैंने सोचा ही नहीं था कि वह हमें छोड़कर चले जाएंगे। ममा (मां) को भी लगता था कि वह कैंसर से 100 प्रतिशत ठीक हो जाएंगे।' लेकिन शरीर की इम्यूनिटी पावर एकदम खत्म हो गईउन्होंने कहा, 'उन्होंने कैंसर को हराया और फिर हमें छोड़कर चले गए...। उन्हें दुनिया छोड़कर जाना पड़ा क्योंकि कीमो (कीमोथेरेपी) ने उनके शरीर को बर्बाद कर दिया था। कैंसर सेल्स बिल्कुल नहीं थीं लेकिन शरीर की इम्यूनिटी पावर एकदम खत्म हो गई थी। एक छोटे से इन्फेक्शन ने उनकी जिंदगी छीन ली। उन्होंने कैंसर को मात दी। यह भी कितनी खूबसूरत बात थी कि उन्होंने अपनी आखिरी चुनौती से भी पार पा लिया।' तब सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा थाअप्रैल 2020 वो महीना था जब भारत में कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन लगा था लेकिन इससे इरफान के फैन्स पर कोई फर्क नहीं पड़ा। बाबिल ने बताया, 'जब उनके जनाजे को कब्रिस्तान ले जाया जा रहा था तब सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था...। मुझे एहसास हुआ कि उनका जाना सिर्फ मेरे जीवन का खालीपन नहीं था। इसलिए एक परिवार के नाते हमने एक नोट लिखा, हम सबने इसे मिलकर लिखा और हमने कहा कि उनके जाने से सिर्फ हमें ही उनकी कमी नहीं खलेगी बल्कि सबको उनकी कमी खलेगी जिसकी कोई भरपाई नहीं कर सकता।' 'लोग मेरे पास आते, मुझे गले लगाते और रोते थे'यही वह समय था जब सोशल मीडिया पर बाबिल की सक्रियता बढ़ गई थी। यही वह समय था जब उन्होंने अपनी भावनाओं के बारे में पूरी तरह से खुलकर बात की थी। उन्होंने कहा, 'लोग मेरे पास आते, मुझे गले लगाते और रोते थे। उस वक्त मैं लोगों के बहुत करीब महसूस करता। मुझे बाबा के साथ जुड़ी निजी यादों के प्रति जिम्मेदारी का एहसास हुआ।' 'मेरी मासूमियत पर असर पड़ने लगा'बाबिल ने कहा कि जैसे-जैसे उनकी लोकप्रियता बढ़ी, उन्हें यह भी एहसास होने लगा कि सोशल मीडिया की प्रसिद्धि का एक स्याह पक्ष भी है और ट्रोल्स आपकी भावनात्मक सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं। उन्होंने कहा, 'मेरी मासूमियत पर असर पड़ने लगा। मुझे खुद को बचाना था... इसलिए मैंने उस मंच पर जाना बंद कर दिया।' बाबिल एक बार फिर से ट्रोलिंग का निशाना बन गएएक्टर ने कहा कि एक समय वह सोशल मीडिया पर सुरक्षित महसूस करते थे क्योंकि लोगों में उनके पिता के लिए प्यार था और जब वह एक्टर बने तो उन्होंने शुरुआती ट्रोलिंग को सहजता से लिया। पिछले साल रेड कार्पेट पर एक अन्य गेस्ट से माफी मांगने की उनकी एक क्लिप वायरल हुई और बाबिल एक बार फिर से ट्रोलिंग का निशाना बन गए, जिसमें बिना वजह कॉमेंट्स में उनके पिता का नाम घसीटा गया। बाबिल ने कहा- मैं टूट गयाबाबिल ने कहा, 'मैं टूट गया क्योंकि मुझे लगा कि ये मैंने किया और इससे उनकी (इरफान की) छवि प्रभावित हो रही है।' उन्होंने कहा कि उनकी मां सुतापा सिकदर ने उनसे कहा कि उनके पिता इस सब की कोई परवाह नहीं करते। जी5 पर 18 अप्रैल को रिलीज होने वाली ‘लॉगआउट’ की शूटिंग के दौरान ही वह इस बात को समझ पाए कि सोशल मीडिया पर लोग दूसरों से क्यों नफरत करते हैं। 'हम लगातार खुद की तुलना दूसरों से करते रहते हैं'उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि हमने अपने आत्मसम्मान को दूसरों की स्वीकृति के सामने गिरवी रख दिया है। हमने दूसरों की राय पर आधारित अपनी छवि से अपनी पहचान को जोड़ लिया है। इसलिए हम लगातार खुद की तुलना दूसरों से करते रहते हैं। और इसी के चलते हम खुद के लिए नफरत पैदा कर रहे हैं जिसे हम दूसरों पर थोपते हैं।' एक सपना है- भारत में बेस्ट एक्टर का ऑस्करबाबिल का एक सपना है- भारत में बेस्ट एक्टर का ऑस्कर पुरस्कार लाना। उन्होंने यह भी साफ किया कि वह पूरी तरह से एक पेशे से बंधे नहीं रहना चाहते हैं। वर्ष 2022 में आई अपनी पहली फिल्म ‘कला’ में उन्होंने एक प्रतिभाशाली शास्त्रीय संगीतकार का किरदार निभाया था। ‘द रेलवे मेन’ में उन्होंने रेलकर्मी का किरदार निभाया जो 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के दौरान लोगों की जान बचाता है। 2023 की फिल्म ‘फ्राइडे नाइट प्लान’ और अब की ‘लॉगआउट’ युवा किरदारों पर आधारित हैं। ‘लॉगआउट’ में उन्होंने एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की भूमिका निभाई है जिसका फोन गुम हो जाने के बाद उसका जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। मुझे फोन और तकनीक से दूर रखा थाबाबिल ने कहा, ‘मेरे माता-पिता ने बहुत सोच समझ कर मुझे फोन और तकनीक से दूर रखा था...। दूसरे बच्चों पर इसका असर जो पड़ रहा था, वह उन्हें पसंद नहीं था। एक बात जो बाबा ने मुझे बताई थी और जो मुझे तब समझ में नहीं आई, वह यह थी, ‘अगर तुम इन चीजों से दूर नहीं रहोगे तो तुम खुद से दूर हो जाओगे।' पिता ने उन्हें अपना टूटा हुआ ब्लैकबेरी फोन दे दिया थाउन्होंने कहा कि उन्हें याद है कि कैसे एक बार उनके पिता ने उन्हें अपना टूटा हुआ ब्लैकबेरी फोन दे दिया था, जबकि उनके साथी पहले से ही बेहतर फोन इस्तेमाल कर रहे थे। उन्होंने बताया, 'उस समय मैं परेशान हो जाता था लेकिन आज मैं आभारी हूं उनका क्योंकि मेरा स्क्रीन टाइम बहुत कम है। मैं केवल अपने फोन पर संगीत सुनता हूं और नोट्स ऐप इस्तेमाल करता हूं।' 'वह अक्सर कहते थे, बोरियत को महसूस करो'अपने माता-पिता के साथ अपने टीनेज के दिनों को याद करते हुए बताया कि उनके पिता उनके साथ शतरंज का खेल यह जानने के लिए खेलते थे कि उनका बेटा कैसा महसूस कर रहा है। बाबिल ने बताया, 'वह अक्सर कहते थे, बोरियत को महसूस करो। बैठो और बैठ कर बोरियत को महसूस करो। अगर तुम्हें बोरियत हो रही है तो कुछ देर तक बोर होते रहो। समस्या क्या है? तुम्हें किसी काम को करने की इतनी जल्दी क्यों है?'
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