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200% या उससे भी ज्यादा... ट्रंप फोड़ने वाले हैं एक और टैरिफ बम, तारीख मुकर्रर, भारत पर कैसे पड़ेगा असर?

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नई दिल्‍ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर 'टैरिफ बम' फोड़ने वाले हैं। इससे वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मचने की आशंका है। इस बार उनका निशाना विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर सेक्‍टर है। वह इन पर टैरिफ को 200% या उससे भी ज्‍यादा बढ़ाने का संकेत दे रहे हैं। इसके अलावा ट्रंप रेसिप्रोकल टैरिफ को 1 अगस्त से लागू करने की योजना बना रहे हैं। इससे भारत सहित कई देशों पर सीधा असर पड़ेगा।



ट्रंप ने कहा है कि वह जल्द ही दवाओं पर टैरिफ लगा सकते हैं। ये टैरिफ इस महीने के अंत तक लगने के आसार हैं। इसके साथ ही, सेमीकंडक्टर पर भी टैरिफ लगाया जा सकता है। ये नए टैरिफ 1 अगस्त से लागू होने वाले 'रेसिप्रोकल' टैरिफ के साथ ही लग सकते हैं। ट्रंप ने पिट्सबर्ग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समिट में भाग लेने के बाद वाशिंगटन लौटने पर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'शायद महीने के अंत में, हम कम टैरिफ से शुरुआत करेंगे और दवा कंपनियों को एक साल का समय देंगे। उसके बाद हम इसे बहुत अधिक टैरिफ वाला बना देंगे।'



इस महीने की शुरुआत में एक कैबिनेट बैठक में ट्रंप ने कहा था कि वह आने वाले हफ्तों में तांबे पर 50% टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि दवा कंपनियों को अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग वापस लाने के लिए एक साल का समय देने के बाद फार्मास्‍यूट‍िकल्‍स टैरिफ 200% तक बढ़ सकते हैं। ट्रंप ने पहले ही दवाओं पर ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट 1962 की धारा 232 के तहत जांच की घोषणा कर दी है। उनका तर्क है कि विदेशी आयात की बाढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।



अमेर‍िकी उपभोक्‍ताओं को होगा नुकसान

हालांकि, किसी भी टैरिफ का सीधा असर एली लिली एंड कंपनी, मर्क एंड कंपनी और फाइजर इंक जैसी दवा कंपनियों पर पड़ सकता है, जो विदेशों में दवाएं बनाती हैं। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ने का खतरा है। सेमीकंडक्टर टैरिफ की योजना से भी ऐपल इंक और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक कंपनी लिमिटेड जैसे लोकप्रिय उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं।



हाल के दिनों में ट्रंप ने कई व्यापारिक भागीदारों को पत्र भेजे हैं। इन पत्रों में उन्होंने कई आयातों पर टैरिफ की दरें तय की हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि वह बातचीत जारी रखेंगे। मंगलवार को ट्रंप ने इंडोनेशिया के साथ एक समझौते की घोषणा की। इस समझौते में 32% की दर को घटाकर 19% कर दिया गया है। अमेरिका ने कहा कि इंडोनेशिया ने समझौते के तहत 15 अरब डॉलर की अमेरिकी ऊर्जा, 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद और 50 बोइंग कंपनी के जेट खरीदने पर सहमति जताई है।



ट्रंप ने मंगलवार को भविष्यवाणी की कि वह 1 अगस्त को अपने रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने से पहले देशों के साथ 'दो या तीन' व्यापार सौदे कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के साथ एक समझौता होने की सबसे अधिक संभावना है। ट्रंप ने बताया कि अमेरिका पांच से छह देशों के साथ महत्वपूर्ण चर्चा में लगा हुआ है। लेकिन, वह केवल टैरिफ दर तय करने के बजाय समझौतों को अंतिम रूप देने के लिए जरूरी नहीं हैं।



भारत पर कैसे पड़ेगा असर?भारत पर ट्रंप के इन टैरिफ का असर मिलाजुला होने की संभावना है:



नकारात्मक असर फार्मास्युटिकल निर्यात: भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का बड़ा निर्यातक है, जो अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को सस्ती दवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 200% तक के टैरिफ से भारत के दवा निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा। 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 9.8 अरब डॉलर की दवाएं निर्यात की थीं, जो उसके कुल दवा निर्यात का 40% है।



कॉपर निर्यात: ट्रंप ने तांबे पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। भारत अपने तांबे के निर्यात का लगभग 17% (लगभग $360 मिलियन) अमेरिका को करता है, जिससे इस क्षेत्र को भी नुकसान होगा।



सेमीकंडक्टर उद्योग: हालांकि, भारत अभी सेमीकंडक्टर उत्पादन में बड़ा खिलाड़ी नहीं है, लेकिन अगर भविष्य में यह क्षेत्र बढ़ता है तो यह टैरिफ भारतीय सेमीकंडक्टर निर्माताओं के लिए चुनौती पैदा कर सकते हैं।



BRICS देशों पर टैरिफ: ट्रंप ने BRICS देशों पर 10% शुल्क लगाने की बात भी कही है, जिससे भारत के लिए कुछ वस्तुओं पर यह टैरिफ भी लागू हो सकता है।



सकारात्मक असर और अवसर व्यापार समझौते की संभावना: ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ एक व्यापार समझौता सबसे संभावित समझौतों में से एक है, जो 1 अगस्त से पहले हो सकता है। अमेरिका भारत के साथ 'पारस्परिक व्यापार' पर जोर दे रहा है। इसका मतलब है कि वह अपने उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में अधिक पहुंच चाहता है।



'मिनी ट्रेड डील': भारत और अमेरिका के बीच 'मिनी ट्रेड डील' की घोषणा जुलाई के मध्य तक संभव है। इस डील के तहत भारत को खनिज, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, फर्नीचर और सी-फूड सेक्टर में लाभ मिल सकता है। इससे भारत को अमेरिकी बाजार की टॉप 30 श्रेणियों में से 22 में प्रतिस्पर्धात्मक फायदा मिलने की उम्मीद है।



कम टैरिफ की संभावना: कुछ रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका भारत पर टैरिफ दर को 26% से घटाकर 15-20% तक कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारत अन्य देशों (जैसे म्यांमार पर 40%, बांग्लादेश पर 35%) की तुलना में बेहतर स्थिति में होगा।



निर्यात में बढ़ोतरी: टैरिफ की आशंका के बावजूद जून 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात 23.53% बढ़कर 8.3 अरब डॉलर हो गया, जबकि अमेरिका से आयात 10.61% घटकर लगभग 4 अरब डॉलर रहा। यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में संतुलन की दिशा में सुधार हो रहा है।



विविधता का विकल्प: एसबीआई रिसर्च ने दावा किया है कि अगर भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता नहीं हो पाता है और ट्रंप प्रशासन भारत पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाता है तब भी भारत के पास अपने निर्यात में विविधता लाने का विकल्प मौजूद है।

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