Study in US News: अमेरिका में 'ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग' (OPT) पर काम कर रहे स्टूडेंट्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उन्हें अपना वीजा गंवाना पड़ सकता है, क्योंकि इन दिनों अमेरिकी अधिकारी एक्शन में आ गए हैं। अधिकारी उन जॉब कंसल्टेंसी के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, जो स्टूडेंट्स को जॉब दिए बिना फर्जी पेस्लिप और पेरोल रिकॉर्ड जारी करके सिर्फ नाम के लिए काम पर रखती हैं। अमेरिकी अधिकारी अब इन कंपनियों की लिस्ट तैयार कर रहे हैं और उनके खिलाफ लगातार एक्शन ले रहे हैं।
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सरकार के एक्शन का डर इस कदर फैल गया है कि बहुत सी कंसल्टेंसी ने इस तरह का काम बंद कर दिया है। ऐसे में इन पर निर्भर सैकड़ों OPT स्टूडेंट्स के सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है। उनके पास अब सिर्फ 60 दिन का समय है, जिसमें उन्हें किसी कंपनी से जॉब पाना होगा। अगर वे ऐसा करने में फेल होते हैं, तो फिर उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है। यहां हैरानी वाली बात ये है कि भारतीय छात्र भी इन कंसल्टेंसी का सहारा लेते हैं, ताकि जब तक जॉब ना मिले, तब तक उन्हें देश ना छोड़ना पड़े।
भारतीय स्टूडेंट्स ने क्या कहा?
टीओआई से बात करते हुए ह्यूस्टन में रहने वाली एक 26 वर्षीय पोस्टग्रेजुएट स्टूडेंट ने बताया, 'ये बहुत डरावना है। मुझे बताया गया था कि मेरा एक एंप्लॉयर है और मुझे पेस्लिप भी मिल रही थी, लेकिन अब ये बंद हो गई है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं। इतने कम समय में असली काम मिलना लगभग नामुमकिन है।' हैदराबाद के रहने वाले एक 25 वर्षीय छात्र की भी यही कहानी है। वह इस वक्त वर्जीनिया में रह रहा है।
भारतीय छात्र ने बताया कि किस तरह फर्जी पेस्लिप की वजह से वह अभी तक अमेरिका में रह पा रहा है। उसने कहा, 'मैं हजारों रुपये किराए और ट्यूशन फीस पर इस उम्मीद में चुका रहा हूं कि मेरे कागजात दुरुस्त हैं। अब मैं दो महीने से भी कम समय में असली नौकरी ढूंढने के लिए संघर्ष कर रहा हूं। अब मुझे भरोसेमंद कंसल्टेंसी की तलाश भी है।'
फर्जीवाड़े का अंजाम खतरनाक
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) की गाइडलाइंस में साफ-साफ लिखा गया है कि फर्जी डॉक्यूमेंट की वजह से स्टूडेंट अपने कानूनी रूप से देश में रहने के अधिकार को खतरे में डालते हैं। उन्हें इसकी वजह से भविष्य में अमेरिका आने में भी परेशानी हो सकती है। फर्जी पेस्लिप की वजह से I-20 फॉर्म टर्मिनेट हो सकता है, इमिग्रेशन स्टेटस गंवाना पड़ सकता है और कुछ मामलों में H-1B जैसे वीजा देने से भी इनकार किया जा सकता है।
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सरकार के एक्शन का डर इस कदर फैल गया है कि बहुत सी कंसल्टेंसी ने इस तरह का काम बंद कर दिया है। ऐसे में इन पर निर्भर सैकड़ों OPT स्टूडेंट्स के सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है। उनके पास अब सिर्फ 60 दिन का समय है, जिसमें उन्हें किसी कंपनी से जॉब पाना होगा। अगर वे ऐसा करने में फेल होते हैं, तो फिर उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है। यहां हैरानी वाली बात ये है कि भारतीय छात्र भी इन कंसल्टेंसी का सहारा लेते हैं, ताकि जब तक जॉब ना मिले, तब तक उन्हें देश ना छोड़ना पड़े।
भारतीय स्टूडेंट्स ने क्या कहा?
टीओआई से बात करते हुए ह्यूस्टन में रहने वाली एक 26 वर्षीय पोस्टग्रेजुएट स्टूडेंट ने बताया, 'ये बहुत डरावना है। मुझे बताया गया था कि मेरा एक एंप्लॉयर है और मुझे पेस्लिप भी मिल रही थी, लेकिन अब ये बंद हो गई है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं। इतने कम समय में असली काम मिलना लगभग नामुमकिन है।' हैदराबाद के रहने वाले एक 25 वर्षीय छात्र की भी यही कहानी है। वह इस वक्त वर्जीनिया में रह रहा है।
भारतीय छात्र ने बताया कि किस तरह फर्जी पेस्लिप की वजह से वह अभी तक अमेरिका में रह पा रहा है। उसने कहा, 'मैं हजारों रुपये किराए और ट्यूशन फीस पर इस उम्मीद में चुका रहा हूं कि मेरे कागजात दुरुस्त हैं। अब मैं दो महीने से भी कम समय में असली नौकरी ढूंढने के लिए संघर्ष कर रहा हूं। अब मुझे भरोसेमंद कंसल्टेंसी की तलाश भी है।'
फर्जीवाड़े का अंजाम खतरनाक
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) की गाइडलाइंस में साफ-साफ लिखा गया है कि फर्जी डॉक्यूमेंट की वजह से स्टूडेंट अपने कानूनी रूप से देश में रहने के अधिकार को खतरे में डालते हैं। उन्हें इसकी वजह से भविष्य में अमेरिका आने में भी परेशानी हो सकती है। फर्जी पेस्लिप की वजह से I-20 फॉर्म टर्मिनेट हो सकता है, इमिग्रेशन स्टेटस गंवाना पड़ सकता है और कुछ मामलों में H-1B जैसे वीजा देने से भी इनकार किया जा सकता है।
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