नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के इलाकों के लिए इस बार दिवाली के बाद की सुबह वैसी भयावह नहीं रही, जैसी हर बार रहा करती थी। हवा में प्रदूषण की मात्रा शुक्रवार सुबह 10 बजे एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) के मुताबिक 365 रही। पिछले साल दिवाली की अगली सुबह के आंकड़े (433) के मुकाबले यह निश्चित रूप से बेहतर है। इस बेहतरी के पीछे की वजहों को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं। पटाखों पर बैन दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने इस स्थिति का श्रेय सरकार के अलग-अलग विभागों द्वारा उठाए गए कदमों को देने में देर नहीं लगाई। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार द्वारा पटाखों पर बैन लगाने और लोगों द्वारा उस बैन का सम्मान करने की वजह से यह स्थिति आई है। हालांकि चोरी-छुपे पटाखों की बिक्री की खबरें इस बीच दिल्ली-NCR के अलग-अलग हिस्सों से आती रहीं। पटाखों की आवाजें भी दिवाली की देर रात तक सुनाई देती रही थीं। मगर इनमें मात्रा का अंतर साफ महसूस किया जा सकता था। बड़े हादसे नहीं रोक का प्रभाव इस तथ्य में भी देखा जा सकता है कि दिल्ली में इस बार दिवाली के दौरान हादसे कम हुए। आग लगने की छोटी-मोटी घटनाओं की कई शिकायतें आईं लेकिन दिल्ली फायर सर्विसेज के मुताबिक ऐसे बड़े हादसे नहीं हुए जिनमें लोगों को जान गंवानी पड़ी हो। निश्चित रूप से यह घटनाक्रम उम्मीद बंधाता है। अन्य कारक कई जानकार प्रदूषण की मात्रा में कमी के पीछे कुछ अन्य कारकों की भूमिका की ओर संकेत करते हैं। उनके मुताबिक शुक्रवार सुबह हवा की स्पीड में करीब 10 किलोमीटर प्रति घंटे की बढ़ोतरी का इसके पीछे हाथ हो सकता है। यह भी गौर करने की बात है कि इस बार दिवाली किस दिन मनाना है इसे लेकर लोगों की राय बंटी हुई थी। कुछ लोगों ने गुरुवार को दिवाली मनाई तो कुछ अन्य इलाकों में माना गया कि शुक्रवार को दिवाली है। ऐसे में बहुत संभव है कि पटाखे भी एक दिन चलने के बजाय दो दिनों में बंट गए हों। शुभ संकेत कारण जो भी रहे हों, इसे एक शुभ संकेत माना जाना चाहिए। दिवाली के अगले दिन अपेक्षाकृत साफ हवा में सांस लेने का अनुभव लोगों को अगले साल भी पटाखे छोड़ने में संयम बरतने को प्रेरित कर सकता है। हालांकि इस संबंध में दो बातें खास तौर पर याद रखने की हैं। एक तो यह कि हवा में प्रदूषण का मौजूदा स्तर किसी भी रूप में संतोषजनक नहीं है। दूसरी बात यह कि अभी सिर्फ दिवाली बीती है। दिल्ली में स्मॉग का असली दौर अभी आना है। हमारे प्रयासों की असली परीक्षा तभी होगी।
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