Editorial
Next Story
Newszop

कश्मीर में नई शुरुआत

Send Push
जम्मू-कश्मीर के सात जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर बुधवार को हुई पहले चरण की वोटिंग को आधार बनाया जाए तो ये चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक कहे जा सकते हैं। शांति, सुव्यवस्था और लोगों की भागीदारी की दृष्टि से ये चुनाव उन तमाम नैरेटिव के लिए पूर्णविराम साबित हो सकते हैं जो बाहरी शक्तियां कश्मीर को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चलाती रहती हैं। 370 और राज्य का दर्जा : जम्मू-कश्मीर में पिछले एक दशक में यह पहला विधानसभा चुनाव है। ये दस साल जम्मू-कश्मीर के लिए इस मायने में भी खास रहे कि इस दौरान न केवल संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत उसे हासिल विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया बल्कि वह राज्य से केंद्रशासित क्षेत्र में तब्दील हो गया। स्वाभाविक रूप से इन बड़े कदमों को लेकर वहां के लोगों की राय बंटी हुई है और कुछ हलकों में इसे लेकर गहरा असंतोष भी है। लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति : ध्यान देने वाली बात यह है कि इस असंतोष ने भी लोगों को चुनाव प्रक्रिया से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। इन चुनावों में अनुच्छेद 370 की वापसी और राज्य का दर्जा प्रमुख मुद्दों के रूप में सामने आए हैं। रोजगार एक और बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। लेकिन लोगों की इन भावनाओं को देश के अन्य हिस्सों में मतदाताओं की आकांक्षाओं और उनके असंतोष से अलग नहीं कहा जा सकता। लंबी कतारें : पिछले तीन-चार दशकों के अनुभव की रोशनी में देखें तो यह बड़ा महत्वपूर्ण फर्क है। चुनावों के बहिष्कार की अपीलों, धमकियों और चेतावनियों के बीच लोगों के ऐसे ही असंतोष अलगाववाद और उग्रवाद के समर्थन में इस्तेमाल कर लिए जाते थे। इस बार मतदाताओं की लंबी कतारों ने ऐसी गुंजाइश नहीं रहने दी। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के वोटिंग आंकड़ों का पीछे छूटना बेहद अहम है। लोकसभा चुनावों में 58.46 फीसदी वोटिंग हुई थी जो पिछले 35 साल का रेकॉर्ड था। कोई हिंसा नहीं : सबसे बड़ी बात यह कि ये चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण रहे। इसका श्रेय सुरक्षा बलों और प्रशासनिक तंत्र को देना पड़ेगा। जहां तक बात आतंकवाद के आकाओं की है तो उनकी तरफ से तो इन चुनावों को बाधित करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी गई थी। चुनाव की घोषणा होने के बाद न केवल सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें बढ़ीं बल्कि आतंकी हमलों के भी काफी प्रयास हुए। मगर आतंकी तत्व आम लोगों की सोच को बदलने में कामयाब नहीं हो सके। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर की आतंकवाद से मुक्ति का निर्णायक बिंदु साबित हो तो आश्चर्य नहीं।
Loving Newspoint? Download the app now