गर्मियों का मौसम हो या सर्दियों में धूप का लुत्फ, सड़क पर निकलते समय लोग अक्सर धूप का चश्मा यानी सनग्लासेस (Sunglasses) पहनना पसंद करते हैं। यह सिर्फ फैशन नहीं, बल्कि आंखों की सुरक्षा के लिए एक ज़रूरी उपाय भी माना जाता है। लेकिन कई लोग यह मानते हैं कि धूप का चश्मा ज्यादा पहनने से आंखें “आलसी” हो जाती हैं या कमजोर पड़ने लगती हैं। क्या यह दावा सच है या महज एक मिथक?
हमने इस सवाल का जवाब जानने के लिए विशेषज्ञों की राय, मेडिकल शोध और वैज्ञानिक तथ्यों को खंगाला है।
सनग्लासेस पहनने से आंखें कमजोर नहीं होतीं
नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार, सनग्लास पहनने से आंखों की रोशनी पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता, बल्कि यह आंखों को कई तरह की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों से बचाता है।
वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ कहती हैं:
“यह पूरी तरह से मिथक है कि लंबे समय तक सनग्लास पहनने से आंखें कमजोर हो जाती हैं। उल्टे, सही UV प्रोटेक्शन वाले सनग्लासेस आंखों को सूर्य की खतरनाक किरणों से बचाकर आंखों की उम्र बढ़ाते हैं।”
कैसे करता है सनग्लास आपकी आंखों की सुरक्षा?
UV किरणों से बचाव
सूर्य की UV-A और UV-B किरणें आंखों के लेंस, कॉर्निया और रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती हैं। सनग्लासेस इन किरणों को फ़िल्टर करके आंखों को बचाते हैं।
मोतियाबिंद के खतरे को कम करता है
रिसर्च में पाया गया है कि UV किरणों के लगातार संपर्क में रहने से मोतियाबिंद (Cataract) जल्दी हो सकता है। सनग्लास पहनने से यह जोखिम घटता है।
ड्राई आई और एलर्जी से राहत
धूल, प्रदूषण और तेज़ हवा के सीधे संपर्क से आंखों में जलन, खुजली और सूखापन हो सकता है। सनग्लास आंखों को इन बाहरी तत्वों से बचाते हैं।
मैक्रुलर डिजेनेरेशन से सुरक्षा
यह एक उम्र से जुड़ी बीमारी है, जिससे धीरे-धीरे रेटिना खराब होने लगती है। UV प्रोटेक्शन चश्मा इस जोखिम को भी घटा सकता है।
गलत चश्मा पहनना बन सकता है समस्या
जहां एक ओर सही सनग्लास आपकी आंखों के लिए फायदेमंद है, वहीं सस्ते और बिना प्रमाणन वाले चश्मे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अगर चश्मे में UV प्रोटेक्शन नहीं है लेकिन वो धूप को कम कर रहे हैं, तो पुतलियां (Pupil) चौड़ी हो जाती हैं और ज्यादा UV अंदर प्रवेश करता है, जिससे आंखें नुकसान झेलती हैं।
इसलिए हमेशा “UV 400” या “100% UV Protection” वाला सनग्लास ही चुनें।
क्या लंबे समय तक पहनने से आंखें ‘आलसी’ हो जाती हैं?
इस धारणा में कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। आंखें बाहरी रोशनी की तीव्रता के अनुसार स्वयं को एडजस्ट करती हैं।
सनग्लास पहनने पर सिर्फ रोशनी कम होती है, यह आंखों की फंक्शनिंग पर कोई स्थायी असर नहीं डालता।
हालांकि, घर के अंदर या कम रोशनी में सनग्लास पहनना अनुचित है, क्योंकि यह आंखों को ज़रूरी रोशनी से वंचित करता है।
क्या बच्चों को भी पहनना चाहिए सनग्लास?
बिलकुल। बच्चों की आंखें अधिक संवेदनशील होती हैं, इसलिए बच्चों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए UV प्रोटेक्टेड चश्मे पहनाना चाहिए। यह भविष्य में होने वाली आंखों की समस्याओं से बचाव कर सकता है।
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