आज के समय में चेहरे पर तनाव होना आम बात हो गई है। कभी ऑफिस का प्रेशर, कभी घर की जिम्मेदारियां, कभी रिश्तों की उलझन और कभी भविष्य की चिंता। ऐसे माहौल में मुस्कुराना लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है और वह अब धीरे-धीरे मुस्कुराना भूलते जा रहे हैं। लेकिन अगर चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान कायम रखी जाए, तो यह जीवन की दिशा को बदल सकती है।
वर्ल्ड स्माइल डे कब और क्यों मनाया जाता है?इसी सोच के साथ हर साल अक्टूबर के पहले शुक्रवार को दुनियाभर में वर्ल्ड स्माइल डे मनाया जाता है। इस साल यह खास दिन 3 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य है जीवन में सकारात्मकता का जश्न मनाना है, जिसमें हम भी मुस्कुराएं और दूसरों को भी मुस्कुराने की वजह दें।
वर्ल्ड स्माइल डे की शुरुआतवर्ल्ड स्माइल डे की शुरुआत एक अमेरिकी कलाकार हार्वे बॉल ने की थी, जिन्होंने 1963 में मशहूर 'स्माइली फेस' डिजाइन किया था जो आज भी सोशल मीडिया से लेकर विज्ञापनों तक में खूब दिखता है। हार्वे बॉल ने देखा कि उनका बनाया गया यह मुस्कुराता हुआ येलो फेस पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है, लेकिन इसके पीछे की भावना, पॉजिटिविटी और दयालुता, कहीं खोती जा रही है। इसी को वापस लाने के लिए उन्होंने 1999 में पहली बार वर्ल्ड स्माइल डे मनाया। तब से यह एक अंतरराष्ट्रीय पर्व बन गया है।
मुस्कुराने का वैज्ञानिक महत्वयह दिन लोगों को मुस्कुराने का संदेश देता है। वर्ल्ड स्माइल डे के पीछे यह भी वैज्ञानिक तर्क है कि मुस्कुराना न सिर्फ भावनात्मक रूप से मदद करता है, बल्कि शारीरिक रूप से भी फायदेमंद होता है। जब हम मुस्कुराते हैं तो हमारे दिमाग में एंडोर्फिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हार्मोन रिलीज होते हैं, जो हमें अंदर से खुश और शांत महसूस कराते हैं। मुस्कुराने से न केवल मूड अच्छा होता है बल्कि तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याओं में भी राहत मिलती है।
मुस्कुराने के छोटे-छोटे तरीकेइस दिन को मनाने के कई तरीके हैं। कोई अनजान व्यक्ति को देखकर मुस्कुरा सकता है, कोई बुजुर्ग की मदद कर सकता है, किसी जरूरतमंद को खाना खिला सकता है, या बस किसी दोस्त या सहकर्मी को एक छोटा-सा 'थैंक यू' कहकर उनका दिन बना सकता है। कई स्कूलों और संस्थाओं में इस दिन को खास अंदाज में मनाया जाता है। बच्चों को 'स्माइली बैज' पहनाए जाते हैं, मोटिवेशनल कहानियां सुनाई जाती हैं और दयालुता के छोटे-छोटे कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
डिजिटल युग और मुस्कान का महत्वआज के डिजिटल युग में जब रिश्ते भी वर्चुअल होते जा रहे हैं, मुस्कान का महत्व और भी बढ़ जाता है। एक इमोजी से भेजी गई मुस्कान भी सामने वाले के चेहरे पर हंसी ला सकती है। लेकिन वर्ल्ड स्माइल डे हमें याद दिलाता है कि सिर्फ स्क्रीन पर नहीं, असल जिंदगी में भी हमें मुस्कुराना और दूसरों को मुस्कुराने का कारण देना चाहिए।
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