कलकत्ता, 19 अक्टूबर . देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंजों में से एक कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (सीईएस) Monday को आखिरी काली पूजा और दीपावली मनाएगा. इसकी वजह एक्सचेंज की ओर से कारोबार को समेटना है.
लंबी कानूनी प्रक्रिया और नियामक संघर्ष के बाद सीईएस ने कारोबार से बाहर होने का फैसला किया है और अब एक्सचेंज कारोबार बंद होने के अंतिम चरण में है.
सीईएस की स्थापना 117 साल पहले 1908 में हुई थी. उस समय बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को इसका चिरप्रतिद्वंदी माना जाता था और इसने कोलकाता में वित्तीय गतविधियों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है.
सीईएस को सबसे बड़ा नुकसान 2001 के केतन पारेख घोटाले में हुआ. उस समय में एक्सचेंज पर कई ब्रोकर्स सेटलमेंट को पूरा नहीं कर पाए थे. इससे निवेशकों का एक्सचेंज पर भरोसा धीरे-धीरे कम होता चला गया.
अप्रैल 2013 में, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नियामकीय मुद्दों के कारण सीएसई में व्यापार निलंबित कर दिया था.
तब से, एक्सचेंज ने वर्षों तक परिचालन पुनः आरंभ करने का प्रयास किया और सेबी के निर्णयों को अदालत में चुनौती दी. हालांकि, सीएसई के बोर्ड ने अंततः स्टॉक एक्सचेंज व्यवसाय से हटने का निर्णय लिया.
सीएसई के अध्यक्ष और जनहित निदेशक दीपांकर बोस के अनुसार, शेयरधारकों ने 25 अप्रैल, 2025 को एक असाधारण आम बैठक (ईजीएम) के दौरान निकास योजना को मंजूरी दे दी.
एक्सचेंज ने इस वर्ष 18 फरवरी को सेबी को अपना औपचारिक निकास आवेदन प्रस्तुत किया था. सेबी ने अनुमोदन प्रदान करने से पहले अंतिम समीक्षा करने के लिए राजवंशी एंड एसोसिएट को मूल्यांकन एजेंसी नियुक्त किया है.
सेबी द्वारा अंतिम हरी झंडी मिलने के बाद, कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज, स्टॉक एक्सचेंज के रूप में कार्य करना बंद कर देगा.
हालांकि, इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, सीएसई कैपिटल मार्केट्स प्राइवेट लिमिटेड (सीसीएमपीएल), एक ब्रोकर के रूप में परिचालन जारी रखेगी और एनएसई और बीएसई दोनों की सदस्य बनी रहेगी. मूल कंपनी तब एक होल्डिंग कंपनी बन जाएगी.
अपनी निकास प्रक्रिया के तहत, सीएसई को ईएम बाईपास पर अपनी तीन एकड़ जमीन 253 करोड़ रुपए में सृजन समूह को बेचने के लिए सेबी की मंजूरी भी मिल गई है. सेबी की मंजूरी मिलते ही बिक्री पूरी हो जाएगी.
सीएसई ने अपने कर्मचारियों के लिए एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) शुरू की है, जिसमें 20.95 करोड़ रुपए का एकमुश्त भुगतान शामिल है.
सभी कर्मचारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है और कुछ कर्मचारियों को अनुपालन कार्य के लिए अनुबंध पर रखा गया है. इस कदम से कंपनी को हर साल लगभग 10 करोड़ रुपए की बचत होने की उम्मीद है.
सीएसई में पहले 1,749 कंपनियां सूचीबद्ध थीं और इस पर 650 व्यापारिक सदस्य पंजीकृत थे. वित्त वर्ष 2025 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, अध्यक्ष बोस ने लिखा है कि सीएसई ने India के पूंजी बाजारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें इस वित्तीय वर्ष के दौरान 5.9 लाख रुपए की सिटिंग फीस मिली.
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एबीएस/
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