जम्मू, 12 अप्रैल . अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में शनिवार को बैसाखी का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. जम्मू क्षेत्र में बैसाखी न केवल एक पारंपरिक त्योहार है, बल्कि इसे रबी फसल के पकने और कटाई के प्रतीक रूप में देखा जाता है. इस दिन को किसान ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करने और समृद्धि की कामना के रूप में मनाते हैं.
गांव मारह सहित जम्मू क्षेत्र के विभिन्न सीमावर्ती गांवों में शनिवार सुबह से ही लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला. पारंपरिक पोशाकों में सजे किसान और ग्रामीण ढोल-नगाड़ों की थाप पर थिरकते नजर आए. पूजा-पाठ के बाद सामूहिक भंडारे और लोकगीतों का आयोजन भी किया गया. लोगों ने एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर बैसाखी की शुभकामनाएं दीं.
सीमा से सटे सहारनपुर के नजदीकी गांवों के किसानों ने बातचीत के दौरान कहा कि कुछ साल पहले तक यहां गोलाबारी की घटनाएं आम थीं, जिसकी वजह से खेती और फसल कटाई में कई बार बाधाएं आती थीं, लेकिन अब हालात शांतिपूर्ण हैं और किसान बिना किसी डर के खेतों में काम कर रहे हैं.
किसानों ने बताया कि इस बार रबी की फसल अच्छी हुई है, जिससे वे काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि यह दिन उनके लिए ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है, क्योंकि खेती ही उनका जीवन और आशा का आधार है.
एक किसान ने कहा, “पहले जब खेत में काम करने जाते थे तो मन में डर बना रहता था, लेकिन अब सुकून से खेती कर पा रहे हैं. फसल भी अच्छी हुई है, जिससे घर की जरूरतें पूरी हो जाएंगी.”
इस दौरान ग्रामीणों ने मिलकर क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की और भविष्य में भी इसी प्रकार खुशहाली बनी रहे, इसकी कामना की.
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डीएससी/
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