नई दिल्ली, 17 अप्रैल . इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन इंडस्ट्री में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण वित्त वर्ष 2025-26 (चालू वित्त वर्ष) में वॉल्यूम ग्रोथ 25 प्रतिशत के करीब रह सकती है. यह जानकारी गुरुवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई.
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में 10 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री हुई थी, जो कि देश में दर्ज की गई कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री का 6 प्रतिशत था.
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, मॉडलों की बढ़ती उपलब्धता और पुरानी कंपनियों के वितरण नेटवर्क की व्यापक पहुंच के कारण, पेट्रोल वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन की अनुकूल लागत वॉल्यूम ग्रोथ को सपोर्ट करेगी.
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक आनंद कुलकर्णी ने कहा, “बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बाजार हिस्सेदारी पर ध्यान केंद्रित करने से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों की ब्रेक-ईवन अवधि बढ़ती दिख रही है. मौजूदा उद्योग विकास दर पर कुछ कंपनियों को ईबीआईटीडीए ब्रेक-ईवन तक पहुंचने में 2-3 साल लग सकते हैं.”
वित्त वर्ष 25 में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन इंडस्ट्री में पारंपरिक मैन्युफैक्चरर्स की वॉल्यूम में हिस्सेदारी बढ़कर 45 प्रतिशत हो गई है, जो कि वित्त वर्ष 23 में केवल 15 प्रतिशत थी. इसकी वजह ब्रांड इमेज मजबूत होना है.
वित्त वर्ष 2026 में दो और पारंपरिक मैन्युफैक्चरर्स ने नए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन लॉन्च करने की घोषणा की है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ने की उम्मीद है.
इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन इंडस्ट्री वॉल्यूम बढ़ाने के लिए कीमतों में कटौती कर रही है, जिसके पीछे दो कारक हैं.
पहला, निर्माता छोटे बैटरी पैक वाले ज्यादा किफायती मॉडल लॉन्च कर रहे हैं, जिसकी वजह से पेट्रोल वाहनों के साथ शुरुआती लागत का अंतर 5-10 प्रतिशत तक कम हो गया है और दूसरा, बैटरी की कीमतों में कमी का एक हिस्सा (वित्त वर्ष 2025 में लगभग 20 प्रतिशत) उपभोक्ताओं को दिया गया है.
रिपोर्ट में अंत में कहा गया कि प्रतिस्पर्धा इंडस्ट्री की वॉल्यूम वृद्धि और दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुंच को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
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एबीएस/
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