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केरल में 11 साल की बच्ची को अमीबिक मेनिन्जाइटिस, मामले बढ़कर तीन हुए

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केरल, 20 अगस्त . केरल के मलप्पुरम जिले के चेलारी गांव में रहने वाली 11 साल की एक बच्ची को अमीबिक मेनिनजाइटिस नाम की बीमारी है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में ‘ब्रेन-ईटिंग अमीबा’ कहा जाता है. यह दिमाग का एक दुर्लभ लेकिन जानलेवा संक्रमण है. बच्ची का कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है और वह वेंटिलेटर पर है.

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, बच्ची का इलाज कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा है, जहां वह वेंटिलेटर पर है. इस सप्ताह की शुरुआत में किए गए पीसीआर टेस्ट में वह पॉजिटिव पाई गई थी. बच्ची को पिछले सप्ताह बुखार के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था.

इसके साथ ही, कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में अब इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है. इनमें एक तीन महीने का शिशु और एक 40 साल का आदमी भी शामिल हैं, जिन्हें इसी महीने पहले भर्ती किया गया था. तीनों मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है.

इससे पहले, 14 अगस्त को कोझिकोड जिले की एक नौ साल की बच्ची की इसी बीमारी से मौत हो गई थी. उसे 13 अगस्त को तेज बुखार होने के कारण स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, लेकिन भर्ती होने के कुछ घंटों के भीतर ही उसकी मौत हो गई थी.

बाद में जांच में पता चला कि उसको प्राइमरी अमीबिक मेनिंजोइनसिफेलाइटिस नाम की बीमारी थी. यह बीमारी तब होती है जब ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ नाक के रास्ते शरीर में जाकर दिमाग को संक्रमित कर देता है.

इसी तरह, इस साल फरवरी में कोझिकोड के चेंगोट्टुकाव की एक 39 साल की एक महिला की भी अमीबिक मेनिनजाइटिस से मौत हो गई थी. वह करीब एक महीने तक अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ती रहीं.

अमीबिक मेनिन्जाइटिस एक घातक बीमारी है, जिसमें मृत्यु दर 97 प्रतिशत से अधिक होती है. यह नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करने वाले अमीबा के कारण होता है. इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी, भ्रम और बाद में दौरे और कोमा शामिल हैं.

राज्य स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है. इसमें ठहरे हुए या दूषित पानी में नहाने से बचना, सार्वजनिक जल स्रोतों में क्लोरीनेशन सुनिश्चित करना और पानी में नाक बंद करने के लिए नोज क्लिप का उपयोग करना शामिल है.

एनएस/एएस

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