New Delhi, 9 नवंबर . हर साल 10 नवंबर को पूरी दुनिया में ‘विश्व विज्ञान दिवस’ (शांति व विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस) मनाया जाता है. इस दिन का मकसद है, समाज में विज्ञान की भूमिका को समझना और यह दिखाना कि विज्ञान किस तरह हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करता है.
इस दिवस की शुरुआत यूनेस्को ने साल 2001 में की थी और इसे पहली बार 2002 में मनाया गया था. उस समय से लेकर आज तक, हर साल इस दिन दुनिया भर में वैज्ञानिक संस्थान, विश्वविद्यालय और संगठन विज्ञान से जुड़ी गतिविधियां, वर्कशॉप्स और चर्चाएं आयोजित करते हैं ताकि आम लोगों में विज्ञान के प्रति रुचि और समझ बढ़ाई जा सके.
विज्ञान सिर्फ प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है. यह हमारे समाज, पर्यावरण, स्वास्थ्य और विकास से सीधा जुड़ा है. विश्व विज्ञान दिवस का मुख्य उद्देश्य है यह याद दिलाना कि शांति और सतत विकास के लिए विज्ञान की भूमिका कितनी अहम है. इस दिन वैज्ञानिकों के योगदान को भी सम्मान दिया जाता है और साथ ही लोगों को विज्ञान की प्रासंगिकता से अवगत कराया जाता है.
यूनेस्को हर साल इस दिवस के लिए एक नई थीम तय करता है. 2025 के लिए इसकी थीम है ‘विश्वास, परिवर्तन और कल: 2050 के लिए हमें जिस विज्ञान की आवश्यकता है.’ यह थीम इस बात पर फोकस करती है कि आने वाले दशकों में हमें कैसा विज्ञान चाहिए, जो मानवता, तकनीक और पर्यावरण तीनों के बीच संतुलन बनाए रख सके.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2024 से 2033 तक के दशक को ‘सतत विकास के लिए विज्ञान का अंतर्राष्ट्रीय दशक’ घोषित किया है. इसी के तहत 2025 का विश्व विज्ञान दिवस और भी खास माना जा रहा है, क्योंकि यह भविष्य की जरूरतों के अनुसार विज्ञान और समाज को फिर से समझने का मौका देता है.
इस दिवस का एक और बड़ा उद्देश्य लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है. जब समाज विज्ञान को समझेगा और अपनाएगा, तभी वह अंधविश्वासों से दूर रह पाएगा और तार्किक सोच विकसित करेगा. यही कारण है कि विश्व विज्ञान दिवस न केवल वैज्ञानिकों के लिए, बल्कि हर नागरिक के लिए अहम है.
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पीआईएम/एबीएम
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